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रविवार, 19 फ़रवरी 2017

मिल बांचें : मध्यप्रदेश - आकांक्षा बैगा के सपने अब मेरे सपने हो गए


“मिल बांचें मध्यप्रदेश”
जबलपुर से 54 किलोमीटर  दूर बम्हनी  पंचायत में तीन गाँव हैं बम्हनी, बासनपानी धवई, बासनपानी ग्राम के ईजीएस स्कूल   मेरे आकर्षण का कारण इस वज़ह से  है क्योंकि यह स्कूल दूरस्थ पहाड़ी इलाके में स्थित किसी गुरुकुल का एहसास देता है . बम्हनी पंचायत के  आदिवासी बाहुल्य गाँव बासनपानी स्थित ईजीएस स्कूल डायस क्रमांक 23390100501 की दर्ज संख्या 41 है उपस्थिति अक्सर 25 से 35 के आसपास रहा करती है. आज मुझे 26 बच्चों से मुलाक़ात हुई 
 शिक्षिका श्रीमती जमना राजपूत के अनुसार स्कूल में अनुपस्थिति अभिभावकों के  रोज़गार-प्रवास की वज़ह से हुआ करती है.  इस बात की तस्दीक आंगनवाडी कार्यकर्ता की .
स्कूल में बच्चों से बातचीत के दौरान पूरे स्कूल की सबसे अधिक ज्ञान रखने वाली कु. आकांक्षा बैगा ने मेरे हर सवाल का ज़वाब दिए. आकांक्षा जानती है कि निर्जलीकरण क्या है. दस्त की बीमारी के लिए ज़रूरी  ओआरएस के साथ जिंक की गोलियाँ आँगनवाड़ी केंद्र पर या ग्राम आरोग्य केंद्र पर मिलती है. उसे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी, और प्रधानमंत्री जी  का नाम भी याद है.  इतना ही नहीं बालिका आकांक्षा बैगा को अखबार पढ़ना रेडियो सुनना यानी हर सामान्य जानकारीयों के लिए उत्सुकता बनी रहती है.
वास्तव में राज्य शासन का यह अभियान एक पाजिटिव सोच से उपजा सूत्र है – “मिल बांचें मध्यप्रदेश” मध्यप्रदेश जो शहरों से ज़्यादा गाँवों में बसता है ....... इस प्रदेश को हर विचारक को बांचना ही होगा. यहाँ हर एक्टिविस्ट को अन्त्योदय के लिए केवल सरकारी कार्यक्रम मानना गलत है. एक्टिविस्ट्स खुद को आगे लाएं बिना किसी राग-द्वेष के बच्चों में शिक्षा के वो गैप्स भरें जो ज़रूरी हैं. आज यानी 18 फरवरी 17 को मैं एक वालेंटियर के रूप में जुड़ा हूँ. पर  इस जुडाव को  अभियान के ख़त्म होने पर भी हर माह में एक बार जो यथा परिस्थिति  माह के हर तीसरे शनिवार होगा  को बम्हनी पंचायत के  आदिवासी बाहुल्य गाँव बासनपानी स्थित ईजीएस स्कूल डायस क्रमांक 23390100501 उस स्कूल में जाकर बच्चों से मिलना मेरी ज़वाबदारी रहेगी. उनमें क्रिएटिविटी तलाश कर उसमें रंग भरने की कोशिश भी रहेगी .
चर्चा के दौरान अधिकाँश बच्चों ने शहरी बच्चों की तरह ये तय नहीं किया कि उनको पढ़लिख कर वे क्या करेंगें..? परन्तु आकांक्षा बैगा को अच्छी नौकरी करने की बात सामने आई उसका यह सपना अब से  मेरा हुआ. आकांक्षा बैगा... बेशक एक अधिकारी भी बन सकती है. अगर वो अधिकारी बनाना चाहती है तो उसके लिए सतत अध्ययन के अवसरों में कमी न आए इस कोशिश का संकल्प भी लेता हूँ.
बच्चों ने बताया – उनके परिवारों में शौचालय का उपयोग नहीं किया जाता. आज भी वे खुले में शौच के लिए जाते हैं तो दुःख अवश्य हुआ. परन्तु बच्चों के ज़रिये इस बदलाव को लाना संभव है ऐसा मेरा मानना है. बच्चों को जब पहाड़ काट के रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी की कहानी सुनाई तो अधिकाँश बच्चे हतप्रभ थे तभी बच्चों से चर्चा के दौरान पता चला कि उनमे क्रिएटिविटी है जिसे पहचानना ज़रूरी है. इसकी पुष्टि हुई शर्मीले कृष्णा उर्फ़ श्यामलाल की सृजन शीलता से उस बच्चे ने मिट्टी से ट्रेक्टर का छोटा सा माडल बनाया था. जिस बच्चे में भी मुझे ज़रा भी क्रिएटिविटी नज़र आई उसे पदक देने से मुझे बेहद संतोष मिला.
पदक किस किस को मिले
1.  कु. आकांक्षा बैगा      स्वर्णिम पदक
2.  श्यामलाल (कृष्णा)   स्वर्णिम पदक
3.  सरस्वती                रजत पदक
4.  अरविन्द                 रजत पदक
5.  नीतू                       कांस्य पदक
6.  रामकुमार               कांस्य पदक         
                         
                          मेरा संकल्प
बम्हनी पंचायत के  आदिवासी बाहुल्य गाँव बासनपानी स्थित ईजीएस स्कूल डायस क्रमांक 23390100501 के बच्चों  लिए शैक्षिक संसाधन यथा बालोपयोगी कहानी कविताओं की पुस्तकें, बच्चों को उनकी मांग अनुसार चित्रकला के लिए 41 सेट ड्राइंग अभ्यास बुक देना मेरी ज़वाब देही होगी . एक सप्ताह में यह सामग्री स्कूल भेज दी जावेगी . 
youtube पर देखिये आकांक्षा बैगा  

सोमवार, 7 दिसंबर 2015

तारसप्तक से बंधे बाल कलासाधक

                 जबलपुर 7 /12/15
बाल भवन जबलपुर एवं स्पिकमैके के संयुक्त तत्वावधान में बाल भवन के बच्चों के लिए आयोजित कार्यक्रम में श्रीमती श्रुति अधिकारी के संतूर वादन का कार्यक्रम आयोजित किया गया । कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथि कलाकार ने दीप-प्रज्जवलन किया तथा उनका स्वागत तबलावादक कुमारी मनु एवं बाल साहित्यकार कुमारी नीति शर्मा ने श्रीमति श्रुति अधिकारी एवं अतिथि संगतकार श्री परिवेश चौधरी का पुष्प-गुच्छ भेंट कर स्वागत किया । कार्यक्रम के प्रारम्भ में शास्त्रीय संगीत के महत्व तथा शास्त्रीय संगीत में प्रयुक्त होने वाले वाद्यों की जानकारी दी तदुपरान्त सामूहिक रूप से संतूर की धुन पर वंदे मातरम का गायन हुआ । साथ ही विभिन्न रागों पर आधारित संतूर वादन प्रस्तुत किया गया । संयोजक संस्था प्रमुख श्रीमती अंजली पाठक ने बताया बाल-भवन के साथ सदैव ही हमारे अतिथि कलाकारों के अनुभव उल्लेखनीय रहे । बालाभवन के साथ ऐसे कार्यक्रम सतत रूप से जारी रहेंगे । गिरीश बिल्लोरे संचालक बाल-भवन ने महिला सशक्तिकरण विभाग की ओर से  “स्वागतम-लक्ष्मी” कार्यक्रम के तहत अतिथि कलाकार को सम्मान पत्र भेंट किया गया ।
             बालभवन के बच्चों ने अतिथि कलाकार से प्रश्नोत्तर भी किए गए । कार्यक्रम में श्री श्री इंद्र पाण्डेय, श्री देवेंद्र यादव, श्रीमाती रेणु पाण्डेय, श्री सोमनाथ सोनी, सुश्री शिप्रा सुल्लेरे, श्री देवेन्द्र यादव एवं  श्री टी आर डेहरिया का अवदान उल्लेखनीय रहा है ।   
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कलाकार - श्रीमती श्रुति अधिकारी
पति - श्री दीपन अधिकारी थियेटर आर्टिस्ट  
पुत्र -  निनाद अधिकारी जवाहर बाल भवन के छात्र रहे हैं तथा बाल-श्री विजेता भी हैं ।
गुरु - पद्मश्री प्रसिद्ध संतूर वादक शिवकुमार शर्मा से संतूर वादन की बारीकियां सीखीं ।
           उन्हें सुरमणि, समता प्रतिभा, सुरकला साधना आदि सम्मान प्राप्त हैं । भोपाल  की श्रुति जी ने देश विदेश में  अनेकानेक प्रस्तुतियाँ दी हैं ।
   संतूर – मूलत: काश्मीर से संबन्धित वाद्य है । इसे सूफ़ी संगीत में इस्तेमाल किया जाता था यह भी माना जाता है कि संतूर की उत्पत्ती लगभग 1800 वर्षों  से भी पूर्व ईरान  में मानी जाती है बाद में यह एशिया   के कई अन्य देशों में प्रचलित हुआ जिन्होंने अपनी-अपनी सभ्यता और संस्कृति  के अनुसार इसके रूप में परिवर्तन किए ।  संतूर लकड़ी का एक चतुर्भुजाकार बक्सानुमा यंत्र है जिसके ऊपर दो-दो मेरु की पंद्रह पंक्तियाँ होती हैं । एक सुर से मिलाये गये  के चार तार एक जोड़ी मेरु के ऊपर लगे होते हैं। इस प्रकार तारों की कुल संख्या 100 होती है । आगे से मुड़ी हुई डंडियों से इसे बजाया जाता है । यद्यपि  वेदों में इस वाद्ययंत्र का ज़िक्र है । 
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रविवार, 15 नवंबर 2015

“नई-दिल्ली में छाई : बुन्देली-राई”



नई दिल्ली के बाल भवन में राष्ट्रीय बाल असेंबली के दूसरे दिन विभिन्न प्रदेशों के लोकनृत्यों की प्रस्तुति का दिन था . जिसमें हर प्रदेश से आए बच्चों ने अपने अपने प्रदेश के प्रतिनिधि लोकनृत्यों की प्रस्तुति दी गई . उक्त प्रस्तुतियों में जबलपुर बालभवन ने श्री इंद्र पाण्डेय के निर्देशन में बुंदेलखंड के लोकप्रिय राई नृत्य का प्रदर्शन किया . अपनी तीव्र ताललय के कारण इस नृत्य को बेहद प्रशंसनीय बताते हुए बालभवन के जबलपुर के प्रयासों की सफल बताया नयन सोनी, आयुष रजक हर्ष सौंधिया के स्वरों को संगीत से संवारा मनु कौशल, अमन बेन, राघव ने
जबकि प्रभावी नृत्य की प्रस्तुति समृध्दि असाटी, शैफाली सुहाने , मिनी दयाल,  आस्था अग्रहरी एवं मनु कौशल ने दी .
(स्रोत :- दिल्ली से सुश्री शिप्रा सुल्लेरे एवं श्री देवेन्द्र यादव )

शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

पेशावर त्रासदी पर बनाई पेंटिंग देख भावुक हुए माननीय मुख्यमंत्री


माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज चौहान को  
श्रीमती रेणु पांडे बाल भवन के बच्चों की
बनाई पेंटिंग की
के बारे में  जानकारी देते हुए 
संभागीय बालभवन जबलपुर के बच्चे  पाकिस्तान
 के पेशावर में 16 दिसंबर 2014 को स्कूली बच्चों पर हुए आतंकी हमले से बेहद दु:खी थे । सामूहिक प्रार्थना के उपरांत बच्चों ने विश्व में आतंक के खात्मे पर खुला के बातचीत की । सभी बच्चों  के मन में आक्रोश था ।  सभी दु:खी थे कुछ बच्चे भावुक भी थे आंखों में नमी लिए हमसे पूछा – “आतंक का अंत क्या है ?
      बच्चों को हमने बताया कि जितना अधिक से अधिक सकारात्मकता एवं तेजी से  को बढ़ावा दिया जाएगा उतना तीव्रता से आतंक का अंत होगा । हम एक महान देश के नागरिक हैं हमें विश्व को शांति का संदेश देते रहना होगा । अगर हम कलाकार हैं तो कला के जरिये, कवि हैं तो हमारी कविताएं सकारात्मक होनी चाहिए । सबसे पहले हम मन से कुंठा निकालें और विश्व को शांति का संदेश देने की कोशिश करें चित्रों से गीतों से कविताओं से साहित्य से ......... !!
पेंटिंग पर हस्ताक्षर करते हुए मान मुख्यमंत्री जी 

   बस फिर क्या था किसी  ने कलम उठाई तो किसी ने ब्रश ......... रात आठ बजे जब मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रवास दिनांक 18 दिसंबर 2014  के लिए मिली ज़िम्मेदारी पूरी कर  वापस बालभवन पहुंचा तो कला-कक्ष में बच्चों और उनकी निर्देशिका को पेशावर-त्रासदी पर बनाई पेंटिंग को अंतिम रूप देते पाया । सारे अनुदेशक एवं समस्त स्टाफ उनके साथ था । यह पूछे जाने पर कि – आप लोग क्यों इतना कर रहे हो ..... बच्चे ज़रा झिझके पर फिर दृढ़ता से बोले- सर, जब कल हमें बाक़ी सारी पेंटिंग लगानी ही है तो हमने सोचा कि पेशावर ट्रेजेडी पर क्यों न संदेश दिया जाए । मैडम से हमने ज़िद कर इसे पूरा करवाने को कहा । बच्चों  के अभिभावक भी बालाभवन में मौजूद थे । उन अभिभावकों का मानना था कि- नेक काम है आप नाराज़ न हों हमने काम करने की अनुमति दी है ।
बाल चित्रकार टोली की सदस्य रिंकी राय को स्नेह से दुलारते
माननीय मुख्यमंत्री जी 

            पेंटिंग अगले दिन यानी 18 दिसंबर 2014 को  माननीय मुख्यमंत्री जी के जबलपुर प्रवास के समय मानसभवन प्रेक्षागार के कारीडोर में प्रदर्शित हुई । माननीय मुख्यमंत्री जी पेंटिंग देखकर द्रवित हुए उन्हौने अनुदेशिका श्रीमती रेणु पांडे से पेंटिंग एवं बालभवन जबलपुर की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त की । साथ सी पेंटिंग पर अपने हस्ताक्षर भी किए । इस अवसर पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री शरद जैन सांसद राकेश सिंह,  जबलपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्माश्री विनोद गोंटिया सहित अधिकारी गण उपस्थित थे ।  


शनिवार, 15 नवंबर 2014

वरिष्ट कलाकार श्री राजेंद्र कामले किलकारी में

 दशावतार पेंटिंग में खो गये मुख्य अतिथि श्री  राजेंद्र कामले जी .. ऐनक  के पीछे वाली आंखें स्थिर थीं.. अवाक भी हुए कुछ पल फ़िर बोले बच्चे कभी अमौलिक नहीं होते  वे असली होते हैं और उनके रंग भी....... वाह क्या बात है !! 

बाल दिवस बच्चों का दिन मस्ती मज़ा और एक दूसरे से भोलेपन से मिलने वाला दिन पूरे एक हफ़्ते की गई मेहनत के रिज़ल्ट वाला दिन ठीक दो बज़े शहीद स्मारक भवन में आ गए हमारे प्रथम सत्र यानी प्रदर्शनी एवम मूर्ति के अनावरणकर्ता  मुख्यअतिथि श्री राजेंद्र कामले जी. गैलरी में सजी चित्र प्रदर्शनी का प्रवेशद्वार फ़ीता काटकर खोला     
दशावतार पेंटिंग में खो गये मुख्य अतिथि श्री  राजेंद्र कामले जी .. चस्मे के पीछे वाली आंखें स्थिर थीं.. अवाक भी हुए कुछ पल फ़िर बोले बच्चे कभी अमौलिक नहीं होते  वे असली होते हैं और उनके रंग भी....... वाह क्या बात है !! 

 चाहा नेहरू की प्रतिमा का अनावरण किया 
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 महान पुरुषों की चर्चा करते हुए नेहरूजी की प्रतिमा में अच्कन पर चस्पा लाल ग़ुलाब को अपलक निहारते बोले- "वाह, बच्चे ही किसी भी रंग के सटीक अनुप्रयोग को पूरी दृढ़ता से उपयोग में लाने  का सामर्थ्य रखते हैं "


 मुख्यअतिथि श्री कामले ने स्वच्छतारत  गांधी जी के  चित्र पर हस्ताक्षर करके "स्वच्छभारत" आंदोलन के प्रति समर्थ व्यक्त किया.  

बच्चों द्वारा रानी दुर्गावति संग्रहालय में  जाकर प्रतिमाओं का हूबहू चित्रांकन किया गया जिससे प्रभावित होकर  श्री कामले ने बालकलाकार को  प्रतिभा सम्पन्न कलाकार बनने की भविष्यवाणी की. उन्हौने कहा -"कमर्शियल आर्ट के दौर में पोट्रेट , लाइव एवम स्पोट पेंटिंग को नेपथ्य में लाया गया है पर बच्चों ने आज भी मौलिकता को बरकरार रखा है मुझे आज़ विश्वास हो चला है.  "  


टाक-शो में खूब पूछा बच्चों ने 
               
 प्रदर्शनी के उदघाटन अवलोकन के बाद मुख्य अतिथि श्री राजेंद्र कामले जी को  टाक-शो के लिये कु. लक्षिता शुक्ला , कल्याणी नेमा एवं मास्टर स्वमेव सूर्यवंशी ने मंचासीन कराया और बौछार कर दी सवालों की. 
आप ने सिर्फ़ पेंटिंग क्यों सीखी...? 


आप पेंटिंग कब करते हैं....?
आप किससे प्रभावित हैं....?
आपको, आपके मम्मी-पापा ने पेंटिंग के लिये डांट डपट तो नहीं की..?
    जैसे ही श्री कामले ने कहा नहीं... कभी नहीं तो .. अक्षिता झट बोल पड़ी- मेरी मम्मी को समझा दीजिये..  
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दिनांक  बाल दिवस 14. नवम्बर 2014 को जबलपुर के  शहीद स्मारक भवन परिसर में “चित्रकला एवं  कला प्रदर्शनी”  का आयोजन मुख्य अतिथि श्री राजेन्द्र कामले की उपस्थिति में किया गया . जिसे में प्रशिक्षणरत बच्चों  कु. लक्षिता शुक्ला कल्याणी नेमा एवं मास्टर स्वमेव सूर्यवंशी ने संचालित किया . प्रवेश द्वार पर ही बच्चों ने  गुलदस्ता भैंट कर  मुख्य अतिथि श्री कामले का स्वागत किया गया .
 मुख्यअतिथि श्री कामले ने स्वच्छतारत  गांधी जी के  चित्र पर हस्ताक्षर करके "स्वच्छ भारत आंदोलन" के प्रति समर्थन व्यक्त किया
अतिथि द्वारा बाल-भवन के प्रशिक्षणार्थी  द्वारा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. जवाहरलाल नेहरू की मूर्ति को अनावृत किया.  नेहरूजी की प्रतिमा में अचकन पर उकेरे लाल ग़ुलाब को अपलक देखते हुए अतिथि ने कहा कि -"वाह, ऐसा प्रयोग मुझे कभी देखने नही मिला अक्सर बस्ट में केवल आधार कलर का ही प्रयोग होता है. पर इस प्रतिमा में लगा ग़ुलाब अनूठा प्रयोग है.  बच्चे ही किसी भी अनुप्रयोग को पूरी दृढ़ता से करने एवं उस पर ध्यान आकृष्ट कराने का सामर्थ्य रख सकते हैं "
कु. लक्षिता शुक्ला, कल्याणी नेमा
एवं मास्टर स्वमेव सूर्यवंशी 
प्रदर्शनी का अवलोकन पूरे धैर्य से करते हुए श्री राजेंद्र कामले ने प्रत्येक पेंटिग पर अपनी टिप्पणी दी. तथा बाल कलाकारों को शाबासी देते हुए अनुदेशिका श्रीमति रेणु पांडे की भूरि-भूरि प्रशंसा की. प्रदर्शनी में 2007 से 2014 तक बच्चों द्वारा बनाए परंपरागत, लोकभित्ति चित्रांकन, लोकेशन पेंटिंग, प्राकृतिक चित्रांकन को शामिल किया गया था  

जबलपुर नगर के प्रतिष्ठित कलाकार श्री राजेंद्र कामले ने समारोह से विदा लेते समय सहायक संचालक से  अपनी आत्मीयता दर्शाते हुए कहा मैं स्वयं बालभवन आकर बच्चों के साथ सीखूंगा भी सिखाऊंगा भी ....  

सोमवार, 10 नवंबर 2014

Sejal Tapa : BalBhavan

NAME:-KU. SEJAL TAPA
FATHER’s NAME:-MR. SUNIL KUMAR TAPA
MOTHER’S NAME: - MRS. SUNITA TAPA
D.O.B:- 07-08-2001, AGE:-13
ADRESS:-NEAR GAHOI DHARAMSHALA,
 BARSAIYAN KA BADA, KATNI (M.P.)
MOBILE:-09630802456 / 09893129787
SCHOOL:- SYNA INTERNATIONAL SCHOOL, JHINJHARI , KATNI-JBP
HOBBIES:- TABLA, ART & CRAFT .ETC

ACHIEVEMENTS:- 

1.      Kolkata ON 25-12-2013 TO 01-01-2014. 6TH ALL INDIAN CLASSICAL MUSIC, DANCE, FOLK DANCE, DRAMA COMPETITION & 3RD INTERNATIONAL FESTIVAL & SECURE - CHAIRMAN’S AWARD IN TABLA.
2.      CUTTACK ON 20-01-2014 TO 31-01-2014. ALL INDIA MULTI-LINGUAL CHILDREN’S / YOUTH/ WOMEN’S PLAY/DANCER & MUSIC COMPETITION-2014 & SECURE -1ST POSITION IN TABLA.

3.      MALAYSIA ON 19-08-2014 TO 20-08-2014.INDIAN CULTURAL CENTER, HIGH COMMISSION OF INDIA , KUALA LAMPUR , MALAYSIA & SECURE-FUTURE TALENT SAMMAN AWARD WITH CERTIFICATE & CURRENCY.

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