शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

बालभवन जबलपुर पंद्रह दिवसीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला

बच्चों में रचनात्मक विधाओं  के विकास के साथ साथ उनके व्यक्तित्व में  निखार लाने के उद्देश्य से संभागीय बालभवन जबलपुर  द्वारा  पंद्रह दिवसीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला आयोजन दिनाँक 25.11.14  से 10.12. 2014  तक किया गया । जिसमें 45  बच्चों ने भाग लिया, जिसमें  नेत्रहीन बालिकाएँ का शामिल होना एक उल्लेखनीय बिन्दु रहा ।
                  कार्यशाला की विषय विशेषज्ञ   सुश्री नीतू पाँडे, एम.एस-सी., एम सी ए , कराते ( ब्लैक-बैल्ट )   कार्यशाला एक्सपर्ट  सुश्री नीतू पाँडे ने  कार्यशाला में शामिल बच्चों को उनके व्यक्तित्व विकास के लिए एक विशेष प्रविधि एवं तकनीकी का सहारा लिया जिसमें  “करके दिखाओ : सिखाओ” . कार्यशाला, संप्रेषणीयता बातचीत, साक्षात्कार, संवाद, टेबल-मैनर्स , व्यक्तिगत दैनिक समय सारणी आदि मुद्दों पर विशेषरूप से केन्द्रित रही । 
“संपादक दैनिक नवभारत ने लिया कार्यशाला का जायजा”
         


   दिनाँक 26.11.14 को  बालभवन पहुँचे वरिष्ठ पत्रकार एवम नवभारत जबलपुर के सँपादक श्री चैतन्य भट्ट ने व्यक्तित्व विकास कार्यशाला में  पहुँचकर प्रशिक्षणरत  बच्चों से बातचीत की तथा व्यक्तित्व विकास को बच्चों के सम्पूर्ण विकास का ज़रूरी हिस्सा मानते हुए कहा कि- शैक्षिकोत्तर गतिविधियों को रुचिकर एवम आवश्यकता के अनूकूल बनाके बालभवन जबलपुर ने उत्कृष्ट प्रयोग किया है. बहुधा अनेक प्रतिभाएँ केवल इस कारण पीछे रह जातीं हैं  क्यों कि उनका एपीरिएन्स  प्रभावशाली नहीं होता अथवा वे आगे चलकर प्रभावशाली संप्रेषणीयता असफल रह जाते हैं  . सम्पूर्ण रूप से विकसित व्यक्तित्व किसी भी परिस्थिति मेँ प्रखर एवम मुखर होता है. सँभागीय बालभवन जबलपुर इस हेतु बधाई का पात्र है.
            “बच्चों ने परिसंवाद के लिए स्वयमेव चुना विषय ”
            दिनांक 08. 12. 2014 को संचालक की उपस्थिति में बच्चों द्वारा स्वयं चुने गए विषय पर   “ईश्वर एवं आस्था” विषय पर रोचक  परिसंवाद का आयोजन हुआ । परिसंवाद में संचालक द्वारा हस्तक्षेप कराते हुए “मानवीय सभ्यताओं  विकास में ईश्वर के प्रति आस्था को सर्वोपरि बताते हुए विश्व की धार्मिक आस्थाओं एवं मान्यताओं का सरल शब्दों में विश्लेषण कर बच्चों को प्रेरक प्रसंगों का  उदाहरण देकर  बताया कि किस प्रकार मानवसेवा, ही सच्ची ईश्वरीय भक्ति है ”
“टॉक- शो में पहुंचे होशंगाबाद के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ”
            कार्यशाला के समापन दिवस के एक दिन पूर्व दिनांक 9. 12. 2014 को  होशंगाबाद के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री शशांक गर्ग सपरिवार  पहुँचें । जो कार्यशाला के फीडबैक जानने के उद्देश्य से आयोजित “टॉक-शो” के लिए विशेष रूप से आमंत्रित थे ।
                              टॉक-शो विषयाधारित न होकर मुक्त रखा गया था ताकि इस तथ्य की पतासाजी की जा सके कि बच्चों की  अतिथि से क्या अपेक्षाएँ हो सकतीं हैं एवं बच्चे किसी पद विशेष पर आसीन अतिथि से क्या सवाल करेगें ? उम्मीद  के अनुरूप अधिकतर  बच्चों ने “पुलिस” की जवाबदेही पर अधिकाधिक सवाल किए, किन्तु हाईस्कूल के बच्चों नें “पुलिस विभाग में करिअर को लेकर सवाल किए ।  नीति अग्रवाल, कल्याणी नेमा,  मनीषा तिवारी ,  स्वयमेव गजेंद्र डहरिया , आयुष राठौर , विशेष शर्मा, श्रेया ठाकुर,  तान्या बड़कुल समृद्धि असाठी आदि ने विभिन्न मुद्दों पर सवाल किए गए ।  
 जबकि एक  बालिका  ने श्रीमती गर्ग से अचानक सवाल किया कि –“अपने पति की  पुलिस अधिकारी के रूप में अत्यधिक  जवाबदेही के चलते उनको क्या मुश्किलें होतीं है ?
            श्रीमती गर्ग ने महिलाओं में आत्मनिर्भरता एवं प्रबंधन क्षमता के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि –“ हमें स्वयम के  सशक्तिकरण के लिए स्वम ही कोशिश करते रहना चाहिए । शिक्षण एवं प्रशिक्षण केवल नौकरी के लिए ही नहीं वरन सफल जीवन प्रबंधन  के लिए भी आवश्यक हैं ।      
          यातायात एवं कानून व्यवस्था में पुलिस की जवाबदारी को लेकर भी बच्चों ने सवाल किए गए । नीति अग्रवाल ने बालिकाओं की सुरक्षा एवं पुलिस की भूमिका  सवाल उठाया ।
          बच्चों की हर जिज्ञासा को महत्वपूर्ण मानते हुए बेहद सहज एवं  रोचक तरीके बच्चों को प्रतिउत्तर देकर श्री शशांक गर्ग जी ने उनकी जिज्ञासा शांत की । यातायात के प्रश्न पर यातायात  नियमों के पालन, को महत्वपूर्ण बताया तो बच्चों को सजग नागरिक के दायित्व के निर्वहन के तरीके भी सुझाए । पुलिस के प्रति नकारात्मक सोच को बदलने का आग्रह करते हुए अपराधों को अनदेखा न करने की शिक्षा दी और कहा कि- “ कई ऐसे घटना क्रम हैं जिनसे यह साबित हुआ है कि अपराधी के हौसले उसकी अनदेखी की वजह से होते हैं ।”
        बालिकाओं को सलाह दी कि वे किसी पर भी सहज विश्वास न करें । हमेशा 1090 याद रखें । यथा संभव भयभीत न रहें बल्कि सदैव चौकस  रहें ।
          श्री गर्ग ने  आई पी एस , राज्य  पुलिस सेवा, अथवा किसी भी सेवा में जाने के लिए नियत लक्ष्य को पाने दैनंदिन  परिश्रम, को सर्वोपरि बताया ।         
        सुश्री शिप्रा सुल्लेरे द्वारा  संगीतबद्ध सरस्वती वंदना  टॉक-शो के प्रारम्भ प्रस्तुत  की गई  में मास्टर अब्दुल , मास्टर विशेष शर्मा . मास्टर आयुष . ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की । जिसमें  हारमोनियम पर कु. मनीषा तिवारी, तबले पर श्री सोमनाथ सोनी का सहयोग रहा । तदुपरान्त अतिथियों का स्वागत कु .अपूर्वा   तथा कु . अनन्या  बालिकाओं ने किया ।  बाल-भवन की  चित्रकार कुमारी तान्या बड़कुल ने गर्ग दंपति को  पेंटिंग   भेंट की । कार्यक्रम का संचालन व्योम ने किया । 

गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

“Be a part of Bal Bhavan team”

                         // कला जीवनस्य सौंदर्यम //
“Be a part of Bal Bhavan team”






Respected Madam / Sir ………………


Bal Bhavan a creativity resource centre for children, in the age group of 5 – 16 years,  and here they pursue a myriad of activities like Creative Art, Creative Performance, Science Activities, Photography, Literary Activities, Integrated Activities (including traditional folk arts), Physical education (Indoor & Outdoor Games), Museum Techniques, Home Management etc. It also runs a training centre for teachers & teacher trainees.
We are looking out for people who hold welfare of children and their overall development close to their heart and wish to render voluntary service for this noble cause and contribute in reaching out with Bal Bhavan activities to a larger section of society. If you are such a person and willing to be a part of Bal Bhavan team, you are invited to apply for the same in
the attached form and e-mail to :- balbhavanjbp@gmail.com or girishbillore@gmail.com


FORM
1. Name
2. D.O.B.
3. Academic Qualification
4. Address of correspondence and Phone Number.
.........................................................................................................................................
......................................................................................................................................
5. Additional Qualification (if any) in the field of Visual Arts/ Performing Arts/ Creative- Writing, Teacher Training, teaching, Scientific activities, Physical Education, Home Management etc.
6. If pursued any creative activities in college/school level indicate the same and attach
relevant certificates (if any)
7. Present Status
i) Student (School)
ii) College Student
iii) Retired Officer
iv) Any other ..........
8. My contribution as a Volunteer would be { 250 aprox }
9. How many hours and how frequently you can associate with Bal Bhavan activities?

 { 250 aprox }

गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

निर्भया दिवस :- दिनांक 16.12 .2014 से बालिकाओं के लिए भारतीय मार्शल आर्ट kalaripayattu कलरीपयटट कार्यशाला



राज्य केरल से व्युत्पन्न भारत की एक युद्ध कला है। संभवतः सबसे पुरानी अस्तित्ववान युद्ध पद्धतियों में से एक, ये केरल में और तमिलनाडु  कर्नाटक से सटे भागों में साथ ही पूर्वोत्तर श्रीलंका और मलेशिया के मलयाली समुदाय के बीच प्रचलित है। इसका अभ्यास मुख्य रूप से केरल की योद्धा जातियों जैसे नायर, एझावा द्वारा, किया जाता था
           कलरीयपट्टू   में हमले, पैर से मारना, मल्लयुद्ध, पूर्व निर्धारित तरीके, हथियारों के जखीरें और उपचार के तरीके शामिल हैं। इसके क्षेत्रीय स्वरुप केरल की भौगोलिक स्थिति के अनुसार वर्गीकृत हैं, ये हैं मलयालियो की उत्तरी शैली, तमिलों की दक्षिणी शैली और भीतरी केरल से केन्द्रीय शैली. उत्तरी कलारी पयट कठिन तकनीक के सिद्धांत पर आधारित है, जबकि दक्षिणी शैली मुख्यतः नर्म तकनीकों का अनुसरण करती है, हालांकि दोनों प्रणालियां आंतरिक और बाह्य अवधारणाओं का उपयोग करतीं हैं।
            कलारी पयट के कुछ युद्ध अभ्यासों को नृत्य में उपयोग किया जा सकता है और वो कथकली नर्तक जो युद्ध कला को जानते थे, वे स्पष्ट रूप से अन्य दूसरे कलाकारों की तुलना में बेहतर थे । कुछ पारंपरिक भारतीय नृत्य स्कूल अभी भी कलारी पयट को अपने व्यायाम नियम के हिस्से के रूप में शामिल करते हैं

            कलरई एवं  पयाट्टू शब्द, दो शब्दों की तत्पुरुष संधि है, पहला    कलरई (मलयालम:കളരി)जिसका अर्थ विद्यालय या व्यायामशाला है, तथा दूसरा पयाट्टू  जिसे पयाट्टूका  से लिया गया है एवं जिसका अर्थ युद्ध/व्यायाम या "कड़ी मेहनत करना" है। अंग्रेजी में  kalaripayattu लिखा जाता है ।  
                               कलरईपयट्के विस्तार के लिए बाकायदा संस्थागत कोशिशें जारी हैं जिसे इस वेबसाइट   www.kalaripayattu.org पर देखा जा सकता है । 
         इस मार्शल आर्ट में गति-दिशा- एवं सटीक अनुमान से अचानक हमले से बचा जा सकता है । महिलाओं के लिए तो वर्तमान संदर्भों में यह बेहद आवश्यक आत्मरक्षा-विधा के रूप में आवश्यक प्रतीत होता है । निर्भया की स्मृति में बालभवन जबलपुर द्वारा  "कलरीपयटट" पर एक कार्यशाला आयोजित कर 40 बालिकाओं को प्रशिक्षित करने का प्रारम्भिक लक्ष्य रखा है ।  
  • कलरईपयट्   प्रशिक्षणार्थी समूह  :- 10 से 18 वर्ष  आयु वर्ग की बालिकाएं
  • अवधि     :- दिनांक 16.12 .2014 से 31.12 .2014 
  • स्थान      :- बालभवन परिसर 
  • प्रशिक्षक  :- श्री अमित सुदर्शन एवं  कुमारी राशि गौतम 
  • प्रशिक्षणोपरांत - बालिकाओं के निर्भया ब्रिगेड गठित किए जाने के प्रयास होंगे....   

          

   

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

हमको मन की शक्ति देना..........




हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें
 दूसरों की जय से पहले, खुद की जय करें ।
 हमको मन की शक्ति देना ॥
 भेदभाव अपने दिल से, साफ कर सकें ।
 दूसरों से भूल हो तो, माफ कर सकें ।
झूठ से बचे रहें, सचका दम भरें ।
 दूसरों की जयसे पहले, मुश्किलें पडें तो हम पे, इतना कर्म कर ।
साथ दें तो धर्म का, चलें तो धर्म पर ।
खुद पे हौसला रहे, सच का दम भरें ।
 दूसरों की जय से पहले, खुद की जय करें ।

यूट्यूब पर सुनने के लिये इस पंक्ति को क्लिक कीजिये
हमको मन की शक्ति देना, मन विजय करें ।

बुधवार, 26 नवंबर 2014

बालभवन मेँ व्यक्तित्व विकास कार्यशाला

      
बच्चोँ मेँ प्रतिभाओँ के विकास के साथ साथ उनके व्यक्तित्व मेँ निखार लाने के उद्देश्य से सँभागीय बालभवन जबलपुर मेँ “पँद्रह दिवसीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला ” आयोजित की जा रही है.  दिनाँक 25.11.14  से 10.12. 2014   तक चलने वाली इस कार्यशाला मेँ नेत्रहीन बालिकाएँ भी सम्मिलित हैँ. कार्यशाला एक्सपर्ट  सुश्री नीतू पाँडे ने बताया कि- “”व्यक्तिव विकास मेँ उन सभी बिँदुओँ को शामिल किया गया है जिससे व्यक्तित्व को आकर्षक एवम समाजोन्नमुखी बनाया जा सकता है .
            दिनाँक 26.11.14 को  बालभवन पहुँचे वरिष्ठ पत्रकार एवम नवभारत जबलपुर के सँपादक श्री चैतन्य भट्ट ने व्यक्तित्व विकास कार्यशाला मेँ पहुँचकर प्रशिक्षण मेँ शामिल बच्चोँ से बातचीत की तथा व्यक्तित्व विकास को बच्चोँ के सम्पूर्ण विकास का ज़रूरी हिस्सा मानते हुए कहा कि- “शैक्षिकोत्तर गतिविधियोँ को रुचिकर एवम आवाश्यकता के अनूकूल बनाके बालभवन जबलपुर ने उत्कृष्ट प्रयोग किया है. बहुधा अनेक प्रतिभाएँ केवल इस कारण पीछे रह जातीँ हैँ क्योँकि उनका एपीरियेँस प्रभावशाली नहीँ होता अथवा वे आगे चलकर प्रभावशाली सँप्रेषणीयता मेँ सफला नहीँ हो पाते . सम्पूर्ण रूप से विकसित व्यक्तित्व किसी भी परिस्थिति मेँ प्रखर एवम मुखर होता है. सँभागीय बालभवन जबलपुर इस हेतु बधाई का पात्र है. ”

           
 संभागीय बालभवन जबलपुर में माह दिसंबर में एक सप्ताह के लिए  एक्टिविटी क्लासेस  भी चलाई जावेंगी 

मंगलवार, 25 नवंबर 2014

स्वप्न-पाखियों ने भरी उड़ान .... : मनीषा तिवारी


प्रतिभाओँ को  पहचानना  निखारना फिर उसे विस्तार देना एक जटिल प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया को भली प्रकार समझने के लिये धैर्य के महत्व का अनदेखा करना अनुचित है. बाल भवन मेँ इस सूत्र को आत्मसात किया है. परिणाम स्वरूप हम सीधे अपने प्रशिक्षणार्थियोँ से हम स्वयँ को सीधे व्यक्तिगत रूप से जुडे पा रहे हैँ .
सेजल तपा के बाद मनीषा तिवारी एक और तबला वादिका से आज़ आपका परिचय करा रहा हूँ.  मनीषा के   घर में टेबल ( मेज ) पर थपकियां देकर गीत को ताल देतीं  किन्तु  बिना तालीम के संगीत साधना एक सपना ही होता है.अपने सपने को आकार देने मनीषा तिवारी ने 2007  बालभवन की ओर कदम बढाया । फिर शुरू हुई मनीषा तिवारी की  प्रतिभा के निखारने की प्रक्रिया. सोमनाथ सोनी जी  [ अनुदेशक ताल-वाद्य ] के  साथ ही शिप्रा सुल्लेरे के प्रशिक्षकीय दायित्व में प्रशिक्षण आज भी जारी है । मनीषा का संकल्प ये है कि वो तबला वादन में अपना नाम रोशन कर संस्कारधानी एवं माता श्रीमती सुशीला तिवारी एवं  पिता श्री जी. पी. तिवारी के यश को बढ़ाएं ।
मनीषा अपने बाल भवन में अपने आने से अब तक को कुछ यूं बयाँ  किया 
  न सुर का था ज्ञान - 
   थे मन में गुनगुनाने के अरमान !
        जब मिला बाल भवन का साथ -
               तो स्वप्न-पाखियों ने भरी उड़ान !!
प्रबंधक  के रूप में मैंने संस्था के निरीक्षण के दौरान मैंने पाया मनीषा की तबले पर थिरकती  अंगुलियां और ताल उगाती थपकियां वाकई कल की बड़ी नामचीन प्रतिभा की आमद की आहट सी लगी । तबला वादन, घुड़सवारी, चैस यानी शतरंज, बॉक्सिंग से  पुरुषों के एकाधिकार को समाप्त करने बेटियों की तैयारीयाँ  नि:संदेह स्वागतेय है. 
अपने हर उपलब्धि को बालभवन जोड़ने वाली बेटी मनीषा के मन में कविताऐं  भी अंकुरित हो रहीं हैं … पर विषय अभी बाल-भवन ही शायद मनीषा के मन पर बालभवन अमिट  रूप से अंकित है । यूं तो मन था कि मनीषा की कविता टाइप करूँ पर आप उसकी सुन्दर हस्तलिपि न देख पाते अतएव ज़रूरी था कि  कविता मनीषा की हस्तलिपि में हूँ बहू पेश की जावे ।
मनीषा को बाल भवन की और से असीम स्नेह  … यशस्वी भव: 

बुधवार, 19 नवंबर 2014

“बालभवन-कप” व्हालीबाल टूर्नामेंट दिसंबर में

बाल भवन कप वालीबाल टूर्नामेंट 
          12 से 16 वर्ष आयु वर्ग के किशोर बालकों के लिये “बालभवन-कप” व्हालीबाल टूर्नामेंट दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बाल-भवन परिसर में प्रस्तावित है . संस्था प्रमुख अपने विद्यालय / संस्थान से ऐसे खिलाड़ियों की  टीम हेतु प्रविष्ठी भेज सकते हैं जिनकी उम्र 31.12.2014  तक न्यूनतम 12 वर्ष से कम तथा अधिकतम 16 वर्ष से अधिक न हो. संस्था प्रमुख अपनी सहमति के साथ ऐसी सूची भेजेंगे जिसमें खिलाड़ी का सम्पूर्ण व्यक्तिगत विवरण अंकित हो.
स्वतंत्र खिलाड़ी एवम संस्थागत खिलाड़ियों की व्यक्तिगत जानकारी हेतु  प्रारूप निम्नानुसार  उपलब्ध है

   “बालभवन-कप” व्हालीबाल टूर्नामेंट

क्र.
खिलाड़ी का नाम
आत्मज
जन्म तिथि
पता
फ़ोन नम्बर
श्रेणी
स्कूल टीम/ स्वतंत्र खिलाड़ी
1
2
3
4
5
6
7





 हस्ताक्षर 
संस्था प्रमुख की मुहर 
नोट :-
1.  टूर्नामेंट की तिथि में बदलाव, स्थगन का अधिकार संचालक को होगा.
2.  स्वतंत्र खिलाड़ी के चयन के लिये चयनकर्ताओं का निर्णय अंतिम होगा 
3.  टीम के लिये किसी भी प्रकार के शुल्क की आवश्यकता नहीं है
4.  तीन से अधिक टीम के भाग लेने पर टूर्नामेंट लीग प्रणाली से होगा ।
5.  विस्तृत जानकारी के लिये अनुदेशक श्री देवेंद्र यादव से 9425388971 अथवा बाल भवन के फ़ोन नम्बर 0761- 2401584 पर संपर्क किया जा सकता है.      


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