गुरुवार, 23 मार्च 2017

नन्ही चिड़िया

नन्हें - नन्हें पंखों से वह ,
उड़ती है उस आसमान में
उसे घूमता-फिरता देख,
बस जाती वह मेरे मन में.
रोज सवेरे वह जग जाती ,
फिर धीरे से हमें उठाती.
हर दम वह चिक-चिक करती है,
लेकिन कभी ना तंग करती है .
पेड़ों की डालों में रहता ,
है उसका इक नन्हा घर.
अपने चूज़ों को वह उसमें,
देती है दानें लाकर.
अपने बच्चों को , सिखाती
कैसे है जीना इस जग में.
फिर धीरे से उन्हें सिखाती,
उड़ना है उस आसमान में.
जीने का अधिकार इन्हें भी
फिर क्यों इन्हें भगाते हैं .
उड़ जाती हैं जब आँगन से,
आँगन सूने पड़ जाते हैं .
यदि अलोप हो गए ये पक्षी,
तो क्या अगली पीढ़ी को तुम,
चित्रों से दशाॆओगे और
आसमान की यह कहानी
क्या इतिहास बनाओगे?
            - उन्नति तिवारी

मंगलवार, 21 मार्च 2017

Poetry डस्टबीन...!!

डस्टबीन हूं खाली हूं देखो
भूखा हूं दो कचरा लाकर
कूड़ा करकट अटपट गटपट.
सब कुछ भर दो मुझमें आकर
********************
पक्का तुम मुझको भर दोगे
साफ़ सफ़ाई जब कर लोगे
चाट-पकौड़ी खाके चाचू-
रस्ते में पत्ते फ़ैंकोगे…?
डस्टबीन हूं… पास रखा हूं..
कचरा डालो मुझमें.. आकर ..
डस्टबीन हूं ……..
********************
गंदी सड़क सराफ़े वाली
पुरवा और गोकलपुरवाली
गली गली में ढेर गंदगी –
मिली सड़क न सुंदर वाली.
सुंदर शहर एक दिन में होगा..
अपना हिस्सा साफ़ बनाकर
डस्टबीन हूं ……..
********************
दूर बीमारी दूर गंदगी
सबके मन में बात यही
घर का कचरा सड़क पे न हो –
शहर को दो सौगात यही .
सुंदर शहर जबलपुर होगा..
खुद हम साफ़ करें जो आकर

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शनिवार, 18 मार्च 2017

“30 दिवसीय शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम से 1200 बालिकाएं लाभान्वित हुईं ”


संभागीय बाल भवन जबलपुर द्वारा निर्भया  दिवस  दिनांक  16 दिसंबर 2014 से प्रारम्भ  मार्शल आर्ट प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन  31 दिसंबर 2014 को बाल भवन परिसर में श्रीमती प्रज्ञारिचा श्रीवास्तवआईपीएसआईजी-महिला सेल,जबलपुर के मुख्यआतिथ्य में सम्पन्न हुआ था तब अपने उदबोधन में श्रीमती प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ने बच्चों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि जो बच्चों ने मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त किया हैं वो किसी भी स्थिति में जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है  खासकर तब और आवश्यक है जब कि सामाजिक परिस्थितियाँ सामान्य नहीं हैं ।

किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि किसी अन्य व्यक्ति खासकर बालिकाओं,   बच्चों ,  महिलाओं ,  के विरुद्ध हिंसक हो । बच्चे देश का  भविष्य हैं हमारी कोशिशें ये होनी चाहिए कि हम खुद बेहतर तरीके से जिएं  और समूचे समाज को सुख से जीनें दें । बाल भवन के इस प्रयास से मैं बेहद उत्साहित हूँ ।
मेरा सुझाव है कि प्रशिक्षण निरंतर जारी रहे इस हेतु जो भी सहयोग अपेक्षित हो उसके लिए सदैव तत्पर हूँ ।
 बालभवन जबलपुर ने उनकी सलाह मानते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम को श्री नरेंद्र गुप्ता जी के नि:शुल्क प्रशिक्षण देने के वादे के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम को  निरंतरता दी. और वर्ष 2015 तक हम 400 बच्चों कोप्रशिक्षित कर सके. 23 दिसंबर 2015 को दीक्षांत समारोह में रानी दुर्गावती संग्राहालय ग्राउंड में प्रदर्शन के उपरांत 8 जनवरी 2016 को सबला सम्मेलन में प्रशिक्षित बालिकाओं ने स्ट्रीट फाईट का मंचीय प्रदर्शन मानस भवन में कर सभी को चकित कर दिया. अगस्त 2016 में पुन: सरस्वती शिशु मंदिर में प्रदर्शन किया गया द्वितीय चरण में बालभवन जबलपुर ने बेटियों में आत्मविश्वास जगाने तथा सड़क पर असामाजिक तत्वों को सबक सिखाने उनसे निपटने  30 दिवसीय शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम के”  तैयार कर  1 सितम्बर 2016 से नई पहल श्री दिग्विजयसिंह , सचिव, मध्यप्रदेश ओलोम्पिक के आतिथ्य में बालभवन परिसर में प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई . जिसका संचालन बिदाम बाई गुगलिया स्कूल, माता गुज़री कालेज, बालभवन, शासकीय स्कूल बरगी में किया गया. दिसंबर 2016 तक लगभग 800 बालिकाएं प्रशिक्षित हो चुकीं हैं. इन प्रशिक्षणों में डा पंकज शुक्ल (बिदामबाई स्कूल), श्रीमती अभिलाषा शुक्ल (माता गुज़री कालेज), श्रीमती आरती साहू (बरगी) का उल्लेखनीय सहयोग रहा . 24 जनवरी 2017 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बालभवन द्वारा आत्मरक्षा  प्रदर्शन से प्रेरित होकर होमसायंस कालेज की प्रोफ़ेसर  डा. राजलक्ष्मी त्रिपाठी एवं नचिकेता कालेज की  डा (श्रीमती) श्रीकांता अवस्थी द्वारा 30 जनवरी 2017 से अपने अपने महाविद्यालयों में 30 दिवसीय शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रमके आयोजन की पेशकश की . दौनों ही प्रशिक्षण केन्द्रों में क्रमश: 100 एवं 40 कुल 140 बालिकाओं को दिनांक 30 जनवरी 2017 से प्रशिक्षण प्रारम्भ किया गया. 




बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

संभागीय बालभवन, जबलपुर

कार्यालय संचालक संभागीय बाल-भवन     (म.बा.वि. ) जबलपुर
383 जवाहरगंज वार्ड में रोड गढ़ाफाटक, जबलपुर
फोन :-  07999380094, balbhavanjbp@gmail.com
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 // संक्षेपिका //
 “संभागीय बालभवन जबलपुर मध्यप्रदेश के उन्नयन विषयक”
भाग  01
सामान्य-परिचय
जबलपुर जिले में संभागीय बालभवन की स्थापना मई 2007 से संचालित है. इसमें 2019 के लिए  900 बच्चों का पंजीयन पूर्ण हो चुका है .  
1.              उद्देश्य :- बच्चों में सृजनात्मकता को बढ़ावा  देने के लिए ऐसी गतिविधियों का संचालन करना जिससे  बच्चों की सृजनशीलता की पहचान कर उनकी अभिरुचि अनुसार सृजनक्षमता को समुचित अवसर दिया जा सके .
2.              लक्ष्य :- आयुवर्ग 05 से 16 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं को संगीत चित्रकलाकम्प्यूटर प्रशिक्षणखेलकूदअभिनयसाहित्य- सृजनात्मक साहित्य  लेखन गद्य-पद्य व्यक्तित्व विकास संवाद एवं सम्प्रेषण, मार्शल आर्ट आदि का प्रशिक्षण उनकी अभिरुचि के अनुसार देकर उनको विधा/योग्यतानुसार मंच प्रदान कराना तथा  बालिकाओं को जो 16 से 18 वर्ष की होतीं हैं को केवल पाककला के लिए कोर्ष चलाना . 
संचालित संभागीय बाल भवन में निम्नानुसार गतिविधियां नियमित रुप से संचालित है
1-   संगीत  गायन  में लोकशास्त्रीयसुगम,  वादन में ताल-वाध्यस्वर-वाद्यका प्रशिक्षण दिया  जाता है.    
2-   चित्रकला- क्रॉप्ट वर्कमूर्तिकलाचित्रकलाप्रशिक्षण दिया  जाता है.   3- कम्प्यूटर प्रशिक्षण – ग्राफिक्स डिजाईनडिज़िटल वर्क   
4- खेलकूद- इनडोर एवं आउटडोर खेल,
5- पाककला – साप्ताहिक शिविर के ज़रिये पौष्टिक आहार बनानाफायर-लेस कुकिंग,
6- 30 दिवसीय शौर्या शक्ति आत्मरक्षा प्रशिक्षण-  विशेष रुप से बालिकाओं  हेतु इस प्रशिक्षण  के तहत करातेभारतीय मार्शल आर्ट कलरई-पयटट द्वारा आकस्मिक परिस्थिति में हुए आक्रमण छेड़छाड़ से बचाव हेतु बालिकाओं में आत्मविश्वास को बढाने के उद्देश्य से ब्लाकिंगपंचिंगफाइटिंग की सुव्यवस्थित ट्रेनिंग दी जाती है. यह प्रशिक्षण 30 दिवस का है जिसमें अवकाश शामिल नहीं है 
7- अभिनय :- संवाद लेखनप्रस्तुतिलोक एवं  बाल नाट्य प्रोसेनियमनुक्कड़ नाटक.
8- साहित्य :-  सृजनात्मक साहित्य  लेखन गद्य-पद्य संवाद ,
9- व्यक्तित्व विकास :- बच्चों में संवाद एवं सम्प्रेषण की क्षमता के विकास के लिए शिविर लगाकर प्रशिक्षण दिया जाता है. साथ ही प्रति बुधवार नैतिक तथा प्रेरक शिक्षण की व्यवस्था है.    
उपलब्धियां
इस संस्थान में प्रशिक्षित कु. ख़ुशी पॉल 2010, मास्टर संतलाल पाठक 2012, मास्टर रोहित गुप्ता 2013, मास्टर शुभमराज अहिरवार 2014 , को पूर्व वर्षों में तथा वर्ष  2015  कुमारी श्रेया खंडेलवाल एवं मास्टर अभय सौंधिया 2018 में मास्टर अंकुर विश्वकर्मा एवं कु. राजश्री चौधरी  को राष्ट्रीय स्तर के बालश्री सम्मान प्राप्त हुए है. साथ ही वर्ष 2016 में  4 बच्चों समूहगान स्पर्धा में  मास्टर आदर्श अग्रवालमास्टर अब्दुल रहमानमास्टर चन्दन सेनमास्टर प्रगीत शर्मा को राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है. पूर्व कला विभाग की छात्रा कु. मुस्कान किरार एशियन गेम्स तीरंदाजी  विजेता रजत पदक प्राप्त हुआ जबकि कुमारी इशिता विश्वकर्मा ने सारेगामापा संगीत स्पर्धा में प्रथम स्थान अर्जित किया है.
                                     बालश्री चयन 2016
वर्ष 2017-18 में वर्ष  2016   के लिए राज्य स्तरीय बालश्री  चयन शिविर हेतु नामांकित 19  बच्चों में से 08 बच्चे क्रमश: बीनस खान, वैशाली बरसैंया, अंकुर विश्वकर्मा, शिखा पटेल, साक्षी साहू, देवांशी जैन, अंकित बेन, राजश्री चौधुरी का चयन 21 से 24 मार्च 2018 तक नॅशनल बालभवन में आयोजित  राष्ट्रीय बालश्री  चयन शिविर हेतु  चयनित हुए हैं.   
                                  ऑडियो एलबम
 प्रादेशिक स्तर पर बालभवन द्वारा शासकीय योजनाओं के प्रचार प्रसार हेतु दो एलबम लाडो मेरी लाडोतथा लाडो-पलकें झुकाना नहीं तथा नगर निगम जबलपुर के लिए स्वच्छता सन्देश” एलबम तैयार किये जा चुके हैं
थियेटर
संभागीय बालभवन जबलपुर द्वारा 2017 में बॉबी एवं मिला तेज़ से तेज नाटक तैयार किए गए जिनमें बॉबी का मंचन भोपाल में दो बार जबलपुर में 3 बार किया गया जबकि तेज़ से तेज नाटक की 3 प्रस्तुतियां जबलपुर में हो चुकीं हैं. 11 अप्रैल 2018 को भोपाल में इसका मंचन किया जावेगा.
नई दुनिया जबलपुर के सहयोग से लौट आओ गौरैयाका एक सप्ताह तक मंचन शहर के स्कूलों एवं सार्वजनिक स्थानों में किया गया. साथ ही नगर निगम जबलपुर के स्वच्छता अभियान, पर्यावरण विभाग को  सहयोग करते हुए बालभवन द्वारा नुक्कड़ किये गए .
बालभवन की सीनियर छात्रा कुमारी मनीषा तिवारी प्रथम बालिका नाट्य निर्देशक के रूप में जानी जातीं हैं.    
इशिता लाडो अभियान के थीम गीत “लाडो मेरी लाडो” की मुख्य गायिका है। गीत-संगीत के प्रति बचपन से ही लगाव रखने वाली इशिता के पिता अंजनी विश्वकर्मा और मां तेजल विश्वकर्मा का भी संगीत एवं गायन के क्षेत्र में अच्छा स्थान है । टेलीविजन एवं स्टेज शो में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी इशिता ने पांच वर्ष की आयु में ही संभगीय बाल भवन जबलपुर में संगीत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रवेश ले लिया था। वह बाल भवन की संगीत शिक्षिका डाक्टर शिप्रा सुल्लेरे की शिष्या है।
अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस ( 08 मार्च 2018 ) पर भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इशिता को ‘लाडो सम्मान’ के साथ ही 51 हजार रूपये का चेक भी प्रदान किया गया। समारोह में प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस व महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ललिता यादव भी मौजूद थीं ।
 टाक शो
संभागीय बालभवन द्वारा जबलपुर प्रवास में आए राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय  अतिथि कलाकारों लेखको साहित्यकारोंवक्ताओं अधिकारियों  के साथ टाक शो का आयोजन किया जाता है. विगत वर्ष श्रीमती प्रज्ञाऋचा श्रीवास्तवआई पी एस ,  श्री शशांक गर्ग, (वक्ता-साहित्यकार एवं एडी. एस पी छिंदवाडा)श्री राहुल शाकल्य (रंग-कर्मी एन एस डी)श्री प्रहलाद अग्रवाल फिल्म समीक्षक लेखकश्री सत्यदेव त्रिपाठी फिल्म समीक्षकश्री मोहन शशिश्री प्रतुल श्रीवास्तवआदि के अलावा कोड रेड दल के सदस्य टाक-शो में शामिल हुए .
अन्य संस्थाओं के सहयोग से आयोजित गतिविधियाँ
1.     माता गुज़री कन्या महा विद्यालय :- शौर्या शक्ति आत्मरक्षा पाठ्यक्रम प्रशिक्षण  , बालिकाओं के लिए लाडो अभियानएवं बेटी बचाओ बेटी पढाओ विषय एक दिवसीय  कार्यशाला का आयोजन
2.     बिदाम बाई  विद्यालय :- शौर्या शक्ति आत्मरक्षा पाठ्यक्रम प्रशिक्षण ,
3.     सेठ गोविन्द दास  कन्या महा विद्यालय :- शौर्या शक्ति आत्मरक्षा पाठ्यक्रम प्रशिक्षण
4.     मान कुंवर बाई  कन्या महा विद्यालय :- शौर्या शक्ति आत्मरक्षा पाठ्यक्रम प्रशिक्षण
5.     नचिकेता इन्स्टीटयूट पाटन बाईपास :- शौर्या शक्ति आत्मरक्षा पाठ्यक्रम प्रशिक्षण 
6.     शासकीय कन्या महाविद्यालय बरगी    :- शौर्या शक्ति आत्मरक्षा पाठ्यक्रम प्रशिक्षण 
7.     सरस्वती शिशुमंदिर गढा फाटक :- शौर्या शक्ति आत्मरक्षा प्रदर्शन
8.     हैल्प बाय हैल्प एन जी ओ   :-  सांस्कृतिक संध्या
9.     नाट्यलोक जबलपुर                 :- बॉबी नाटक का 5 बार प्रदर्शन
10.   प्रगल्भ                                   :- साहित्यिक सांस्कृतिक प्रतियोगिताएँ 
11.    संयुक्त संचालक बाल विकास सेवा :- बालिका-दिवस
12.    मुक्ति फाऊडेशन  :- वृद्धाश्रम जबलपुर में सांस्कृतिक आयोजन 26 जनवरी 17 एवं 15 अगस्त 2017 को प्रस्तुत किये गए.
13. विवेचना रंगमंडल :- संभागीय बाल भवन जबलपुर के बच्चे श्री अरुण पांडे जी  के मार्गदर्शन में चलने वाली संस्था  विवेचना रंगमंडल संस्था के सहयोग से  प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं .
13.  महिला बाल विकास :-  26 जनवरी 18 महिला बाल विकास की  झांकी के  निर्माण हेतु लगातार पांचवे साल प्रथम स्थान प्राप्त किया                       
मान्यता
संभागीय बालभवन को 2017 से  राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय से संगीत / कला / अभिनय हेतु  मान्यता  प्राप्त हो चुकी है .  53 बच्चे विश्विद्यालयीन परिक्षा में शामिल हुए हैं. 

नवाचार : ब्रांड एंबेसडर के लिए नियमावली 

                                                                         जबलपुर दिनांक 20 मार्च 2019
प्रयोग के तौर पर 2014 से संभागीय बाल भवन ने ब्रांड एंबेसडर की नियुक्ति नियम उद्देश्य
 के लिए की थी
1.      किसी भी बच्चे को जो अतिरिक्त क्षमता योग्यता रखता हो तथा उसके प्रदर्शन एवं प्रस्तुतीकरण में विशिष्टता हो उसके प्रतिभा के अनुसार शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों का प्रचार प्रसार किया जावे
2.      इससे बच्चे को बड़े काम को समझने का अवसर मिलेगा साथ ही इस बात का भी अनुभव होगा कि वह अपने कार्य को इस तरह करे कि उससे आम जनता जुड़े ।
3.      अन्य बच्चों के लिए भी वह बच्चा प्रेरणा का स्रोत बन सकता है । 
4.      प्रतिभाओं को शासकीय मंच पर अथवा निजी कार्यक्रम की प्रस्तुति में अवसर मिले । 
उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए केवल प्रयोग के तौर पर इशिता विश्वकर्मा को 22 दिसम्बर 2015 को ब्रांड एंबेसडर लाडो अभियान बनाया गया था । इशिता के स्वर बाल भवन के लाडो मेरी लाड़ो एलबम का प्रमुख गीत गाया । इसके अतिरिक्त कई बच्चों को भी अवसर मिला । एलबम के गीत बालविवाह रोको अभियान के लिए पूरे प्रदेश को भेजे गए थे । बालभवन ने यह महसूस किया कि दूसरा विषय स्वच्छता है । अतः 24 जनवरी 2017 में ब्रांड एंबेसडर के रूप में श्रेया खंडेलवाल को चुना गया । 
दौनो ब्रांड एम्बेसडर को लगातार कार्य करने के लिए शासकीय एवम निजी कार्यक्रमों में योजना की जानकारी एवम जनजागरण के लिये निरन्तर प्रोत्साहित किया गया । 
यह नवाचार उपयोगी सिध्द हुआ अतः इस वर्ष से ब्रांड एंबेसडर के लिए निम्नांकित नियम बनाए जाते हैं 
1 राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर यश अर्जन करने वाले बच्चों को जिले स्तर से तथा अन्य प्रतिभा शाली बच्चों को बालभवन स्तर से ब्रांड एंबेसडर बनाया जावेगा । 
2
पूर्व में नियुक्त किए बच्चों के स्थान पर नए बच्चों को आवश्यकता अनुरूप ब्रांड एंबेसडर विषयानुसार बनाया जा सकता है । 
3
यह नियुक्ति केवल सोशल वर्क के प्रति बच्चों की अभिरुचि एवम अभिव्यक्ति बढ़ाने के लिये मानसेवी तौर पर होगी ।
4
परिवार की स्वीकृति आवश्यक होगी 
5
ब्रांड एंबेसडर बनने का अवसर प्रदर्शनकारी अथवा क्रिएटिव कला के लिए समान रूप से होगा । 
6
नियुक्त ब्रांड एंबेसडर को विषय की जानकारी दी जावेगी ।
7
कोई भी ब्रांड एंबेसडर अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को प्रभावित न करें और ना ही ऐसा कोई कार्य कर सकेंगे जिससे संस्था एवम शासन की छवि धूमिल हो ।
8
इस कार्यालय द्वारा विशेष अवसर पर कार्य सौंपा जावेगा ऐसी स्थिति में कार्यालय द्वारा परिवहन आहार की व्यवस्था की जावेगी ।
9
ब्रांड एंबेसडर कोई शासकीय सेवक का पद न होकर केवल एक अभिप्रेरित करने वाला दायित्व है । इससे ज्ञानवर्धन का अवसर भी प्राप्त होगा ।
10
यह दायित्व सौंपने न सौंपने का अधिकार बालभवन के प्रमुख का है । 
11
किसी भी बाल प्रतिभा को केवल 1 साल का समय प्राप्त होगा । 
12
इस नवाचार में अगर कोई बदलाव की आवश्यकता होती है तो बालभवन ही संशोधन परिवर्तन के लिए सक्षम होगा । 
13
निजी तौर पर बच्चे द्वारा किये गए प्रयास बालभवन के लिए बच्चे तथा आयोजन कर्ता अभिभावकों से सम्पर्क कर सकते हैं । 
14
बच्चों की आवाज़ , कला क्षमता, का उपयोग अगर बालभवन द्वारा किया जा सकता है । साथ ही पोस्टर स्लोगन आदि पर बच्चे का फ़ोटो / कलाकृतियों का सन्देश के साथ आवश्यकता अनुसार करने का अधिकार बालभवन का होगा । 
15
किसी भी बच्चे को बिना सुरक्षा की गारंटी के कोई भी शासकीय/अशासकीय संस्थान प्रचार प्रसार के लिए नहीं ले जा सकेंगे । किन्तु उनके अभिभावकों की स्वीकृति के उपरांत यदि ऐसा कार्य किया जाता है तो इस कार्यालय को कोई आपत्ति नहीं होगी । परन्तु बालभवन कार्यालय को सूचना अवश्य देनी होनी 
16
कार्यालय द्वारा निर्धारित गतिविधियों के समाचार कार्यालय द्वारा अधिकृत व्यक्ति द्वारा ही केवल पी आर ओ के माध्यम से जारी होंगें । अन्य संस्थाओं द्वारा आयोजित गतिविधियों की प्रेस रिलीज उक्त संस्थान द्वारा जारी होना चाहिए । बच्चों को आत्म प्रशंसा युक्त पोस्ट सोशल मीडिया पर डालने को भी सकारात्मक नहीं माना जावेगा । बच्चों को चाहिए कि वे अपनी ब्रांडिंग खुद अपनी ओर से करने से बचें ताकि समाज में बेहतर सन्देश जाए । 
17
सोशल मीडिया पर प्रसारित प्रकाशित कंटेंट का दायित्व बालभवन का नहीं होगा । किन्तु निहित स्वार्थ के चलते अथवा व्यावसायिक लाभ के अर्जन हेतु एवं लाभ की प्राप्ति के लिए पोर्ट-फोलियो बनाने के लिए स्वयम के द्वारा स्वयम का प्रचार करना अनुचित गतिविधि माना जावेगा .
18 शासन/राज्य-सरकार-केंद्र सरकार या भारत के किसी भी राज्य व्यवस्था महिला-बाल विकास विभाग या बाल भवन के विरुद्ध अथवा  किसी भी जाति/धर्म/दिव्यांग व्यक्ति महिला पुरुष  प्रति भी विद्वेष पूर्ण भाव से की गई टीका टिप्पणी भी अनुचित होगी.
19 बालभवन में ब्रांड-एम्बेसडर की नियमित उपस्थिति भी अनिवार्य है .
20 शर्तों का पालन न करने अथवा कार्य न करने की दशा में ब्रांड एम्बेसडर को कार्य से मुक्त करने का अधिकार संस्था प्रमुख का होगा.
नोट : यह नवाचार केवल बच्चों के अभिव्यक्ति कौशल के विकास के साथ साथ उनमें शासकीय सामाजिक मुद्दों को समझने के लिए किया गया प्रयोग है.  इस प्रक्रिया को बंद भी किया जा सकता है. अत: केवल उद्देश्य एवं प्रयोजन के विरत कोई कार्य न हो पाए इसका ध्यान रखना अनिवार्य है.

गिरीश कुमार बिल्लोरे
सहायक-संचालक
संभागीय बाल भवन जबलपुर





रविवार, 19 फ़रवरी 2017

मिल बांचें : मध्यप्रदेश - आकांक्षा बैगा के सपने अब मेरे सपने हो गए


“मिल बांचें मध्यप्रदेश”
जबलपुर से 54 किलोमीटर  दूर बम्हनी  पंचायत में तीन गाँव हैं बम्हनी, बासनपानी धवई, बासनपानी ग्राम के ईजीएस स्कूल   मेरे आकर्षण का कारण इस वज़ह से  है क्योंकि यह स्कूल दूरस्थ पहाड़ी इलाके में स्थित किसी गुरुकुल का एहसास देता है . बम्हनी पंचायत के  आदिवासी बाहुल्य गाँव बासनपानी स्थित ईजीएस स्कूल डायस क्रमांक 23390100501 की दर्ज संख्या 41 है उपस्थिति अक्सर 25 से 35 के आसपास रहा करती है. आज मुझे 26 बच्चों से मुलाक़ात हुई 
 शिक्षिका श्रीमती जमना राजपूत के अनुसार स्कूल में अनुपस्थिति अभिभावकों के  रोज़गार-प्रवास की वज़ह से हुआ करती है.  इस बात की तस्दीक आंगनवाडी कार्यकर्ता की .
स्कूल में बच्चों से बातचीत के दौरान पूरे स्कूल की सबसे अधिक ज्ञान रखने वाली कु. आकांक्षा बैगा ने मेरे हर सवाल का ज़वाब दिए. आकांक्षा जानती है कि निर्जलीकरण क्या है. दस्त की बीमारी के लिए ज़रूरी  ओआरएस के साथ जिंक की गोलियाँ आँगनवाड़ी केंद्र पर या ग्राम आरोग्य केंद्र पर मिलती है. उसे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी, और प्रधानमंत्री जी  का नाम भी याद है.  इतना ही नहीं बालिका आकांक्षा बैगा को अखबार पढ़ना रेडियो सुनना यानी हर सामान्य जानकारीयों के लिए उत्सुकता बनी रहती है.
वास्तव में राज्य शासन का यह अभियान एक पाजिटिव सोच से उपजा सूत्र है – “मिल बांचें मध्यप्रदेश” मध्यप्रदेश जो शहरों से ज़्यादा गाँवों में बसता है ....... इस प्रदेश को हर विचारक को बांचना ही होगा. यहाँ हर एक्टिविस्ट को अन्त्योदय के लिए केवल सरकारी कार्यक्रम मानना गलत है. एक्टिविस्ट्स खुद को आगे लाएं बिना किसी राग-द्वेष के बच्चों में शिक्षा के वो गैप्स भरें जो ज़रूरी हैं. आज यानी 18 फरवरी 17 को मैं एक वालेंटियर के रूप में जुड़ा हूँ. पर  इस जुडाव को  अभियान के ख़त्म होने पर भी हर माह में एक बार जो यथा परिस्थिति  माह के हर तीसरे शनिवार होगा  को बम्हनी पंचायत के  आदिवासी बाहुल्य गाँव बासनपानी स्थित ईजीएस स्कूल डायस क्रमांक 23390100501 उस स्कूल में जाकर बच्चों से मिलना मेरी ज़वाबदारी रहेगी. उनमें क्रिएटिविटी तलाश कर उसमें रंग भरने की कोशिश भी रहेगी .
चर्चा के दौरान अधिकाँश बच्चों ने शहरी बच्चों की तरह ये तय नहीं किया कि उनको पढ़लिख कर वे क्या करेंगें..? परन्तु आकांक्षा बैगा को अच्छी नौकरी करने की बात सामने आई उसका यह सपना अब से  मेरा हुआ. आकांक्षा बैगा... बेशक एक अधिकारी भी बन सकती है. अगर वो अधिकारी बनाना चाहती है तो उसके लिए सतत अध्ययन के अवसरों में कमी न आए इस कोशिश का संकल्प भी लेता हूँ.
बच्चों ने बताया – उनके परिवारों में शौचालय का उपयोग नहीं किया जाता. आज भी वे खुले में शौच के लिए जाते हैं तो दुःख अवश्य हुआ. परन्तु बच्चों के ज़रिये इस बदलाव को लाना संभव है ऐसा मेरा मानना है. बच्चों को जब पहाड़ काट के रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी की कहानी सुनाई तो अधिकाँश बच्चे हतप्रभ थे तभी बच्चों से चर्चा के दौरान पता चला कि उनमे क्रिएटिविटी है जिसे पहचानना ज़रूरी है. इसकी पुष्टि हुई शर्मीले कृष्णा उर्फ़ श्यामलाल की सृजन शीलता से उस बच्चे ने मिट्टी से ट्रेक्टर का छोटा सा माडल बनाया था. जिस बच्चे में भी मुझे ज़रा भी क्रिएटिविटी नज़र आई उसे पदक देने से मुझे बेहद संतोष मिला.
पदक किस किस को मिले
1.  कु. आकांक्षा बैगा      स्वर्णिम पदक
2.  श्यामलाल (कृष्णा)   स्वर्णिम पदक
3.  सरस्वती                रजत पदक
4.  अरविन्द                 रजत पदक
5.  नीतू                       कांस्य पदक
6.  रामकुमार               कांस्य पदक         
                         
                          मेरा संकल्प
बम्हनी पंचायत के  आदिवासी बाहुल्य गाँव बासनपानी स्थित ईजीएस स्कूल डायस क्रमांक 23390100501 के बच्चों  लिए शैक्षिक संसाधन यथा बालोपयोगी कहानी कविताओं की पुस्तकें, बच्चों को उनकी मांग अनुसार चित्रकला के लिए 41 सेट ड्राइंग अभ्यास बुक देना मेरी ज़वाब देही होगी . एक सप्ताह में यह सामग्री स्कूल भेज दी जावेगी . 
youtube पर देखिये आकांक्षा बैगा  

रविवार, 5 फ़रवरी 2017

अंकल, स्ट्रीट टीजिंग करने वालों की साय्कोलाजी क्या होती है

जबलपुर 5 फरवरी 2017
         बालभवन के बच्चों कोड रेड दस्ते के बीच हुए संवाद उन्मुक्त पारिवारिक संवाद हुआ. बेटियों ने कोड रेड से ये तक पूछ लिया – “अंकल, स्ट्रीट टीजिंग करने वालों की टीजिंग के वक्त साय्कोलाजी क्या होती है.”
    इस जटिल से सवाल का बड़ी चतुराई से उत्तर देते हुए कोड रेड प्रभारी श्री अनुराग पंचेश्वर ने कहा –“बेशक उनकी सायाकोलाज़ी पाजिटिव तो नहीं होती परन्तु वे अंदर से बेहद कमज़ोर अवश्य होते हैं”
     एक अभिभावक कहा – “कोडरेड पर शिकायत दर्ज करने के बाद शोहदों को जमानत अथवा सज़ा से छूटने की स्थिति में शिकायतकर्ता को  भय बना रहता है..?”
  कोडरेड- “कोडरेड ऐसी कोई स्थिति नहीं बचने देती की अपराधी का अपराध साबित न हो सके फिर अगर हम पुलिस की मदद न लें तो अपराधियों के हौसले बुलंद होना स्वाभाविक है.”
   गायिका किशोरी रंजना निषाद- “शोहदे छुरी चाकू जैसे असलहे लेकर घूमते हैं ...... ऐसी स्थिति में हम बेबस ही होतीं हैं न..?”
   कोडरेड :- शोहदे आदतन ऐसा इस इस लिए करते हैं ..... क्योंकि वे हमेशा भयभीत रहते हैं ..... भयभीत केवल कमज़ोर व्यक्ति ही होता है... आप आत्मशक्ति और युक्तियों से इन कमज़र्फ और कमजोर लोगों पर आसानी से जीत हासिल कर सकतीं  हैं यानी क़ानून की मदद ले सकतीं हैं.
        इस अवसर पर कोडरेड के विक्टिम तक पहुंचने पर भी सवाल किये गए. साथ ही कोड रेड द्वारा शौर्या शक्ति मार्शल आर्ट प्रशिक्षण सत्रों के लिए बालभवन की सराहना की.
संचालक बालभवन गिरीश बिल्लोरे ने – कोडरेड की शिकायत पेटी बालभवन गेट पर लगाने के लिए पुलिस महकमें का आभार व्यक्त किया. 
        बालभवन द्वारा एस पी शिकरवार जी के लिए एक बच्चे द्वारा बनाई गई पेंटिग एवं कोडरेड के  सदस्यों को सुनहरे पदक देकर सम्मानित किया . टाकशो के आयोजन में श्री देवेन्द्र यादव, शिप्रा सुल्लेरे कीर्ती मिश्रा, प्रिया सौंधिया का योगदान उल्लेखनीय रहा .      

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