शनिवार, 21 जुलाई 2018

बाल विकास भविष्य के आदर्श भारत की आधारशिला है : पूर्व महाप्रबंधक भारतीय रेल सेवा डॉ आलोक दवे



          "बच्चों में सदाचार वृत्तियों का बीजारोपण करने का दायित्व माता-पिता का ही है । बदलते परिवेश में अब अधिक सजगता एवम सतर्कता की ज़रूरत है ।आज संचार माध्यमों के ज़रिए जो कुछ भी हासिल हो रहा है उससे बच्चों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर हर अभिभावकों में चिंता व्याप्त है । अब ज़रूरत है 5 से 10 वर्ष की आयु तक के बच्चों से सतत संवाद करते रहने की क्योंकि हर बच्चा अनमोल है" - तदाशय के विचार पूर्व महाप्रबंधक भारतीय रेल सेवा डॉ आलोक दवे ने बालभवन में आयोजित *बदलते सामाजिक परिवेश में अभिभावकों के दायित्व* विषय पर आयोजित आमंत्रित  अभिभावकों के सम्मेलन में बोल रहे थे । श्री दवे सेवा निवृत्ति के उपरांत सत्य साईं सेवा समिति में बालविकास की गतिविधियों के लिए मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रभारी भी हैं ।


सम्मेलन का शुभारंभ करते हुये संस्कार शिक्षा प्रशिक्षक (मानसेवी) डॉ. अपर्णा तिवारी, ने बालभवन में 2010 से संचालित संस्कार कक्षाओं का संक्षिप्त विवरण देते हुए सम्पूर्ण बाल विकास में बच्चों के लिए संस्कार शिक्षा की उपयोगिता एवम औचित्य पर विस्तार से विचार रखे । श्रीमती पुनीता उपाध्याय ने विजुअल माध्यम से पॉवर-प्वाइंट प्रजेंटेशन के ज़रिये बच्चों के लिए के दायित्वों का तथ्यात्मक विश्लेषण करते हुए बच्चों के प्रति जागरूक किया ।

आयोजन के दौरान प्रशिक्षण खेलों का अभ्यास भी कराया गया । इस एक दिवसीय कार्यक्रम में प्रशिक्षण सहभागिता श्रीमती सीमा इसरानी , श्रीमती ज्योति नायडू, श्रीमती भारती , श्रीमती कुंदा, विरुढ़कर सुश्री प्रियंका मौज़ूद थीं ।
अतिथियों का सम्मान डॉ शिप्रा सुल्लेरे, श्री देवेंद्र यादव, श्री सोमनाथ सोनी द्वारा तिलक लगाकर एवम श्रीफल भेंट कर किया गया । आयोजन के लिए सहायक संचालक बालभवन गिरीश बिल्लोरे द्वारा आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के आयोजन में श्री टी आर डेहरिया एवम श्री धर्मेंद्र, श्रीमती सीता ठाकुर  का विशेष योगदान उल्लेखनीय रहा ।




सोमवार, 2 जुलाई 2018

सुशील शुक्ला ने दी बाल भवन के बच्चों के लिए खेल सामग्री


पंडित सुशील शुक्ला ने दी बाल भवन के बच्चों के लिए खेल सामग्री 
      माननीय सदस्य  जिला योजना समिति  एवं पार्षद श्री सुशील शुक्ला जो बालभवन सलाहकार एवं सहयोगी समिति के अध्यक्ष हैं द्वारा बालभवन के बच्चों के लिए लगभग रूपए  7000 /- की  खेल सामग्री प्रदान की गई. 
संभागीय बालभवन में नाट्यगतिविधियों को बढ़ावा देने विगत दो वर्षों से   नाट्यलोक द्वारा बच्चों को नि:शुल्क रूप से श्री जानकी रमण महाविद्यालय में  प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसके फलस्वरूप बॉबी, मिला तेज़ से तेज़, लौट आओ गौरैया , प्लास्टिक के प्रयोग को रोकने गणपति बप्पा मोरया, एवं पोट्रेट नाटकों का निर्माण एवं मंचन संस्कृति विभाग के सहयोग से श्री जानकी रमण म.वि. की रंगड्यौढ़ी पर किया जा चुका है. नाट्य-प्रशिक्षण में शामिल बच्चों  को  आहार हेतु डा संध्या जैन श्रुति श्री सतीश बिल्लोरे द्वारा व्यवस्था की गई  . साथ ही विवेचना रंग मंडल के श्री अरुण पांडे के सहयोग से नाट्य नवरात्र में बाल एवं महिला कवयत्री सम्मेलन सहित कई प्रस्तुतियां नाट्य नवरात्र के तहत की गईं. साथ ही 5 जून को पर्यावरण दिवस का आयोजन म.प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं 21 जून को ग्रीष्मकालीन योग शिविर का समापन भी नेहरू युवा केंद्र जबलपुर के सौजन्य से संपन्न हुआ. 
 संचालक संभागीय बालभवन द्वारा इस वर्ष बालोपयोगी साहित्य के ग्रंथालय के लिए व्यक्तियों, संस्थाओं से किताबें उपलब्ध कराने की अपील की जाती है ताकि बच्चों के सर्वांगीण विकास में अधिकाधिक जन भागीदारी जुटाई जा सके . 

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