दिनांक 09 अप्रैल 2018 को शहीद-भवन भोपाल में लोक गुंजन नाट्य संस्था के
तत्वावधान में आयोजित टंट्याबाबा षष्टम
बाल-नाट्य समारोह शहीद भवन भोपाल में आयोजित है. जिसमें संभागीय बालभवन
जबलपुर के नाटक मिला तेज से तेज को
आमंत्रित किया गया है. दिनांक 08 अप्रैल 18 को वरिष्ट नाट्य-निर्देशक श्री संजय गर्ग, एवं श्री दविंदर सिंह ग्रोवर के
नेतृत्व में 23 सदस्यीय दल भोपाल
प्रस्थान करेगा. डॉक्टर शिप्रा
सुल्लेरे के संगीत निर्देशन में लाइव संगीत एवं सुभद्रा जी के गीतों / कविताओं का
समावेश इस नाटक को अन्य नाटकों से अलग साबित करता है. मिला तेज से तेज नाटक जहां एक और सुभद्रा जी के
बाल्यकाल को रेखांकित करता है वहीँ दूसरी ओर उनके द्वारा जबलपुर में स्वतन्त्रता आन्दोलन को रेखित करता
है. स्व. सुभद्रा कुमारी चौहान के बचपन की भूमिका जिम्मेदारी बालिका अंजली गुप्ता एवं वयस्क आयु की भूमिका
को कुमारी उन्नति तिवारी ने बखूबी निभाया है.
BALBHAVAN JABALPUR लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
BALBHAVAN JABALPUR लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018
भोपाल में बालभवन जबलपुर के नाटक मिला तेज से तेज से शुरू होगा टंट्याबाबा छटवां बाल-नाट्य समारोह..!!
शुक्रवार, 6 जनवरी 2017
बॉबी नाटक : छोटे परिवारों की बड़ी समस्या का सजीव चित्रण
मशहूर नाटक लेखक स्व. विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित कथानक पर आधारित बाल-नाटक "बॉबी" का निर्माण संभागीय बालभवन जबलपुर द्वारा श्री संजय गर्ग के निर्देशन में तैयार कराया गया है. जिसकी दो प्रस्तुतियां भोपाल में दिसंबर माह में की जा चुकीं है.
महानगरों की तरह अब मध्य-स्तरीय शहरों तक संयुक्त परिवार के बाद तेज़ी से परिवारों का छोटा आकार होने लगे हैं तथा उससे बालमन पर पड़ने वाले प्रभाव को प्रभावी तरीके से इस नाटक में उकेरा गया है.
बॉबी नौकरी पेशा माता पिता की इकलौती बेटी है जिसे स्कूल से लौटकर आम बच्चों की तरह माँ की घर से अनुपस्थिति बेहद कष्ट पहुंचाने वाली महसूस होती है. उसे टीवी खेल पढने लिखने से अरुचि हो जाती है. स्कूली किताबों के पात्र शिवाजी, अकबर बीरबल, आदि से उसे घृणा होती है. इतिहास के के इन पात्रों की कालावधि याद करना उसे बेहद उबाऊ कार्य लगता है. साथ ही बाल सुलभ रुचिकर पात्र मिकी माउस, परियां गौरैया से उसे आम बच्चों की तरह स्नेह होता है. और वह एक फैंटेसी में विचरण करती है. शिवाजी, अकबर बीरबल, से वह संवाद करती हुई वह उनको वर्त्तमान परिस्थियों की शिक्षा देती है तो परियों गौरैया मिकी आदि के साथ खेलती है. अपनी पीढा शेयर करती है... कि उसे माँ और पिता के बिना एकाकी पन कितना पीढ़ा दायक लगता है.
बॉबी एक ऐसा चरित्र है जो हर उस परिवार का हिस्सा होता है जो माइक्रो परिवार हैं. जिसके माता पिता जॉब करतें हैं। स्कूल से आने से लेकर शाम को माँ और पिता के लौटने तक वास्तविकता और स्वप्नलोक तक विचरण करने वाली बॉबी अपनी फैंटेसी के बीच झूलती है. इस अंतर्द्वंद को बहुतेरे बच्चे झेलते हैं परंतु माता-पिता को इस स्थिति से बहुधा अनभिज्ञ रहते है। बॉबी यानी श्रेया खंडेलवाल यह सिखाने समझाने में सफल रहीं।
बॉबी एक ऐसा चरित्र है जो हर उस परिवार का हिस्सा होता है जो माइक्रो परिवार हैं. जिसके माता पिता जॉब करतें हैं। स्कूल से आने से लेकर शाम को माँ और पिता के लौटने तक वास्तविकता और स्वप्नलोक तक विचरण करने वाली बॉबी अपनी फैंटेसी के बीच झूलती है. इस अंतर्द्वंद को बहुतेरे बच्चे झेलते हैं परंतु माता-पिता को इस स्थिति से बहुधा अनभिज्ञ रहते है। बॉबी यानी श्रेया खंडेलवाल यह सिखाने समझाने में सफल रहीं।
महानगरों की तरह अब मध्य-स्तरीय शहरों तक संयुक्त परिवार के बाद तेज़ी से परिवारों का छोटा आकार होने लगे हैं तथा उससे बालमन पर पड़ने वाले प्रभाव को प्रभावी तरीके से इस नाटक में उकेरा गया है.
बालरंग निर्देशकों द्वारा बच्चों के ज़रिये ऐसे कथानक के मंचन का जोखिम बहुधा काम ही उठाया होगा लेकिन संस्कारधानी के इस नाटक को देखकर अधिकांश दर्शकों की पलकें भीगी नज़र आईं थी संस्कारधानी में बालरंग-कर्म की दिशा में कार्य करने वाले नाट्य-निर्देशक संजय गर्ग एवम बालभवन जबलपुर के बालकलाकारों की कठिन तपस्या ही मानेंगे कि नाटक दर्शकों के मन को छूने की ताकत रख सका.
मुख्य पात्र बॉबी के चरित्र को जीवंत बनाने में बालअभिनेत्री श्रेया खंडेलवाल पूरे नाटक में गहरा प्रभाव छोड़तीं है. जबकि अकबर -प्रगीत शर्मा , बीरबल हर्ष सौंधिया, मिकी समृद्धि असाटी , शिवाजी -सागर सोनी, के अलावा पलक गुप्ता (गौरैया) ने अपनी भूमिकाओं में प्रोफेशनल होने का आभास करा ही दिया। इसके अलावा मानसी सोनी, मिनी दयाल, परियां- वैशाली बरसैंया, शैफाली सुहानी, आकृति वैश्य, आस्था अग्रहरी , रिद्धि शुक्ला, दीपाली ठाकुर, का अभिनय भी प्रभावी बन पड़ा था.
नाटक की प्रकाश, ध्वनि एवम संगीत की ज़िम्मेदारी सुश्री शिप्रा सुल्लेरे सहित कु. मनीषा तिवारी , कुमारी महिमा गुप्ता, के ज़िम्मे थी जबकि बाल गायक कलाकार - उन्नति तिवारी, श्रेया ठाकुर, सजल सोनी, राजवर्धन सिंह कु. रंजना निषाद, साक्षी गुप्ता, आदर्श अग्रवाल, परिक्षा राजपूत के गाये गीतों से नाटक बेहद असरदार बन गया था.
संभागीय बालभवन के संचालक ने बताया कि - "बच्चों से ऐसे विषय पर मंचन कराना बेहद कठिन काम है किन्तु निर्देशक श्री संजय गर्ग इस नाटक के ज़रिए उन चुनिंदा लोगों में शुमार हो गए हैं जिनको भारत में ख्याति प्राप्त हुई है. भोपाल में समीक्षकों ने बॉबी नाटक को उत्कृष्ट बता कर पुनः मंचन करा था."
कुल मिला कराकर नाट्य लोक संस्था द्वारा प्रस्तुत नाटक को श्रेष्ठ बाल नाटकों की सूची में रखा जा सकता है.
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
Featured Post
पुरस्कार पाकर लाड़ली-लक्ष्मियों के खिले चेहरे
संभागीय बाल भवन जबलपुर में लाडली लक्ष्मी सप्ताह अंतर्गत आयोजित विभिन्न गतिविधियों लाडली लक्ष्मी हितग्राही बालिकाओं द्वारा बढ़ चढ...
-
बालविवाह रोको अभियान लाडो के लिए संभागीय बालभवन जबलपुर द्वारा बाल-कलाकारों के स्वरों में निर्मित लाडो मेरी लाडो एलबम ...
-
संभागीय बाल भवन जबलपुर में लाडली लक्ष्मी सप्ताह अंतर्गत आयोजित विभिन्न गतिविधियों लाडली लक्ष्मी हितग्राही बालिकाओं द्वारा बढ़ चढ...
-
बाल नाट्य शिविर : व्यक्तित्व विकास का असाधारण टूल GIRISH BILLORE “MUKUL” आप हजारों रुपये फीस देकर व्यक्तित्...