सामान्य चर्चा
में एक बार संगीत अनुदेशिका क्षिप्रा सुल्लेरे बताया था कि – “सामान्य मध्यम एवं निम्नआयवर्ग” वाले परिवारों
के बच्चे अपनी प्रतिभा को निखारने आते हैं. इस क्रम में लगभग सोलह वर्षीय प्रिया
सौंधिया की साधना सराहनीय है. गढ़ाफाटक इलाके
में निवासरत सौंधिया परिवार संयुक्त परिवार है. इसी संयुक्त परिवार में रहने वाली प्रिया अपने माता
पिता की द्वितीय बेटी हैं. जो 2009 से बालभवन में आ रहीं है. परिवार में कला का संबध मात्र श्री प्रकाशचन्द्र सौंधिया के व्यावसायिक रूप से पेंटिंग की वज़ह से है . वे मध्यम आय वर्ग से हैं तथा पेशे से मूर्तियों में पेंटिंग करते हैं. माँ श्रीमती अनिता गृहणी है. प्रिया पिता के की तरह कला के
प्रति समर्पित है . परंतु प्रिया केवल मूर्तिकला से ही नहीं वरन चित्रकला,
क्राफ्ट , गीत-संगीत, एवं नृत्य में रूचि रखतीं हैं . किन्तु सुश्री
क्षिप्रा एवं अतिथि अनुदेशक का मानना है कि-
प्रिया की आवाज लोक संगीत के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है अत: उसे हमने सलाह डी गई थी
की वह लोकसंगीत सीखे. छै बरस होगे अब प्रिया सुगम, शास्त्रीय एवं लोग गीत गायन में
पारंगत हैं. अब प्रिया राजा मानसिंह तोमर
संगीत वि.वि. से शास्त्रीय संगीत की द्वितीय वर्ष की छात्रा भी हैं ... बालभवन की ओर से प्रिया को हार्दिक शुभकामनाएं.. एक उजली सुबह
बिटिया प्रिया की बाट जोह रही है..
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