शुक्रवार, 20 मार्च 2015

बाल-भवन जबलपुर एक बहुद्देशीय केंद्र







  बच्चों में प्रदर्शनकारी रूपंकर एवं ललित कलाओं के विकास  , विज्ञान के प्रति दृष्टिकोण एवं खेल के लिए बच्चों की अभिरुचि के विकास के लिए संभागीय बाल-भवन एक बहुद्देशीय केंद्र के रूप में वर्ष 2007 से गढ़ा फाटक, मुख्यमार्ग केशरवानी महाविद्यालय के आगे संचालित है ।
उद्देश्य :- इन प्रशिक्षणों का उद्देश्य यह  है  बच्चों में विषय का ज्ञान, नया नजरिया एवं प्रभावशाली अभिव्यक्ति सम्पुष्ट हो सके  ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके। उक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु बालभवन जबलपुर में बच्चो के लिए निम्नानुसार प्रशिक्षणसत्र  5+ से 16 वर्ष तक के बच्चों के लिए चलाए जाते हैं
1. पूर्णकालिक प्रशिक्षण
2. अल्पकालिक प्रशिक्षण

1. पूर्णकालिक प्रशिक्षण :
बालभवन जबलपुर  में नियमित रूप से बच्चों को छ: तरह के पूर्णकालिक प्रशिक्षण दिये जाते हैं, जो प्रत्येक दिन दो-दो घंटे के तीन सत्रों में चलता है। बच्चे अपनी इच्छानुसार किसी भी विधा में किसी भी समय आकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। संबंधित क्षेत्र के योग्य एवं अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा यह प्रशिक्षण दिया जाता है । प्रशिक्षण निम्न अनुसार है .
(A) शास्त्रीय नृत्य
         5+ से 16 आयुवर्ग के सभी बच्चों को अलग-अलग समूह में शास्त्रीय नृत्य ( कथक ) का आरंभिक प्रशिक्षण दिया जाता है। यह अनुभाग बच्चों में विशेष लोकप्रिय है। प्रशिक्षण के साथ-साथ बच्चे तनाव मुक्त होकर नृत्य का भरपूर आनन्द उठाते हैं ।
खुशी पाल (वर्ष         ), वर्ष              के लिए  राष्ट्रीय बालश्री एवार्ड प्राप्त हो चुका है ।
(B) शास्त्रीय संगीत
संगीत प्रशिक्षण के लिए बालभवन  में सरगम कक्ष है । नाम के अनुरूप यहाँ बच्चे सरगम की धुन, अलाप, लय और ताल का प्रशिक्षण पाते हैं। समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों में अपने गायन की प्रस्तुति भी करते हैं। बालभवन  द्वारा बच्चों को संगीत की डिग्री दिलाने का भी प्रयास किया जाता है । वर्तमान में बालभवन द्वारा एक “प्रमाण-पत्र कोर्स ” का पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है .
सरगम कक्ष के मास्टर संतलाल पाठक वर्ष              के लिए  राष्ट्रीय बालश्री एवार्ड प्राप्त हो चुका है ।
(C) चित्रकला
बालभवन के जिस कक्ष में बच्चे चित्रकला का प्रशिक्षण दिया जाता है  उसे 'रंगालय के रूप में जाना जाता है  । नाम के अनुरूप यहाँ बच्चों का सतरंगा संसार है। यहाँ विशेष रूप से बच्चे क्रेओन, वाटर कलर, आयल और पेंसिल द्वारा चित्र बनाकर अपनी रचनात्मकता को अभिव्यक्त करते हैं। यह बड़े-छोटे सभी बच्चों को बेहद भाता है। 05+   से 16 वर्ष तक के सभी बच्चे चित्र बनाने और रंग संयोजन को सीखने के लिए बड़े उत्साहित रहते हैं। अपनी कल्पना से बच्चे पोट्रेट, स्केच व प्राकृतिक दृश्य बनाने और विषय के आधार पर चित्रकला की तकनीक सीखने का आनन्द उठाते हैं ।
 इस कक्ष के दो  बच्चों को राष्ट्रीय बालश्री एवार्ड प्राप्त हो चुके हैं मास्टर रोहित गुप्ता (वर्ष         ),  , एवं मास्टर शुभम राज अहिरवार  (वर्ष         ),
(E) सृजनात्मक लेखन
बच्चों को स्वस्थ एवं आनन्दायी वातावरण में सृजनात्मक लेखन प्रशिक्षण के तहत स्व-अभिव्यक्ति का अवसर तो मिलता ही है साथ ही उनके अन्दर छिपी हुर्इ रचनात्मक प्रतिभा को पहचान कर उसे आहिस्ते-आहिस्ते तराशा जाता है। लेखन क्लास में बच्चे अपनी मौलिक रचना कविता, कहानी, चुटकुले , नाटक आदि लिखते हैं। अपनी लिखी रचनाओं की बच्चे आपस में समीक्षा करते हैं और एक दूसरे के रचनाओं को बेहतर बनाने का सुझाव भी देते हैं। प्रशिक्षण के दौरान बच्चों को खेल-खेल में वर्तनी सुधार, लिखने और बोलने की शैली और सृजनात्मक लेखन के आयामों पर चर्चा और कार्य-कलाप होता है। समय-समय पर बच्चों द्वारा बाल कवि सम्मेलन की प्रस्तुति होती है। बच्चे विभिन्न कार्यक्रमों में मंच संचालन भी करते हैं। यह प्रशिक्षण संचालक द्वारा स्वयम ही दिया जा रहा है .
(F) कम्प्यूटर प्रशिक्षण
बच्चों के कम्प्यूटर प्रशिक्षण हेतु एक कम्प्यूटर कक्ष है। आज के संदर्भ में कोर्इ भी शिक्षा कम्प्यूटर के बिना अधूरी है। किलकारी में अधिकतम बच्चे साधनहीन परिवेश से आते हैं अत: बच्चों की सुविधा के अनुसार उन्हें कम्प्यूटर साक्षरता और अभ्यास का अवसर मिलता है। बच्चों को कम्प्यूटर के आरंभिक ज्ञान से परिचित करवाकर उन्हें कम्प्यूटर की उपयोगिता को समझने का अवसर प्रदान किया जाता है।

2. अल्पकालिक प्रशिक्षण :

उक्त प्रशिक्षणों के अतिरिक्त बालभवन  में बच्चों के लिए सप्ताह के चुने हुए दिनों में निर्धारित समय में निम्न तरह के अल्पकालिक प्रशिक्षण भी दिये जाते हैं:

(A) मूर्त्तिकला

इस दीर्घा में बच्चे मिट्टी का काम भी करते हैं। मिट्टी के लौंदे को अपनी कल्पना से नए-नए रूप देना छोटे बच्चों को बेहद भाता है। इस गतिविधि में बच्चे को आनन्द तो मिलता ही है साथ ही इसके माध्यम से मस्तिष्क, हृदय और हाथों का समन्वय होता है जो बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में सहयोग करता है। बच्चे मिट्टी के जानवर, मानव आकृतियाँ, मुख, हाथ-पाँव, दृश्य आदि बनाते हैं ।

(B) हस्तशिल्प

हस्तकला दीर्घा में बच्चे हस्तशिल्प का प्रशिक्षण पाते हैं। बच्चों को हस्तशिल्प काफी पसंद है। इसमें बच्चे काम में ना आने वाली चीजों जैसे- पुराने अखबार और पत्रिकाएँ, गत्ते के खाली डब्बे, पुराने कागज, प्रयोग किए हुए डिब्बे, बल्ब, बटन, थर्मोकोल, तार, पत्तियाँ या पेड़ों के तनों से निकली हुर्इ छाल आदि से कल्पना और उनकी क्षमता के अनुरूप नयी आकृतियाँ बनाना सीखते हैं। पूरी खुली छूट के साथ इन बेकार पड़ी वस्तुओं से बच्चों द्वारा बनार्इ गर्इ ये कृत्तियाँ अनोखी होती है । बच्चे पेपरमेसी, क्राफ्ट, टेराकोटा और प्लास्टर आफ पेरिस के साँचे, वाल हैंगिग, गुलदान, पेन स्टैण्ड आदि कर्इ चीजें बनाना सीखते हैं।

(C) लोक नृत्य

मध्यप्रदेश विशेषकर महाकौशल अंचल की संस्कृति एवं इतिहास पर आधारित इस प्रशिक्षण में बच्चों को नियमित रूप से लोक नृत्य का प्रशिक्षण दिया जाता है । इसमें बच्चों को निम्नानुसार नृत्य शिविरो एवम कार्यशालाओं के माध्यम से प्रशिक्षित करने का प्रावधान है :-
1.  बुंदेली :-  राई, बधाई, डिमराई, दिवारी, नौरता, जवारा फाग, सैरा,
2.  आदिवासी :-  कर्मा, ददरिया , बैगा,पूजा-परब, भोजली परब,  सावन, सैला, रीना,
3.  अन्य आंचलिक लोकनृत्य :- मध्य-प्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान, महाराष्ट्र,भांगडा, 

(D) तबला

बालभवन में बच्चों को तबला का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। तबला सीखते हुए बच्चे गायन में भी संगत देते हैं। फिलहाल बच्चे तबला को आरंभिक तौर पर बजाना सीख रहे हैं।

(E) गिटार वादन

बच्चों के रुचि को ध्यान में रखते हुए बालभवन ’’ द्वारा गिटार बजाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा। गिटार वादन में हवार्इयन और स्पैनिश गिटार बजाने का आरंभिक ज्ञान प्रदान किया जा रहा है।

(F) विज्ञान

बच्चों में वैज्ञानिक नवीकरण, विज्ञान के प्रयोग, विज्ञान के नवाचार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास के लिये विज्ञान का प्रशिक्षण दिया जाता है । बालभवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास के लिये कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं जिसमें वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट, माडल निर्माण, एयरो माडलिंग, पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न क्रियाकलाप, इलेक्ट्रानिक, खगोल विज्ञान आदि पर कार्य एवम विमर्श भी बालभवन के कार्यकलापों में शामिल किए गए हैं  
अन्य लघु पाठ्यक्रम
फोटोग्राफी, बैडमिन्टन, शतरंज, व्हालीबाल, फुटबाल, क्रिकेट विशेष रूप से बालिका क्रिकेट, कैरम, भारतीय एवं अन्य मार्शल आर्ट जैसे :- कराटे, तायक्वांडो आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है ।  इसके साथ ही पाककला, योगाभ्यास, का प्रशिक्षण एवं  समसामयिक तीज-त्योहारों पर केन्द्रित कार्यक्रमों, टाक-शो, व्यक्तित्व-विकास, रंगोली, मेंहदी, एवं कैंडिल-मेकिंग, ग्रीटिंग कार्ड मेकिंग  आदि कार्यक्रमों एवं प्रतिष्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है ।
            प्रतिभावान बच्चों को मंच प्रदाय करना एवं कराना  
              बालभवन जबलपुर द्वारा प्रतिभावान बच्चों को समय समय पर उनकी कलाभिव्यक्ति को जनसामान्य के बीच लाने की निरंतर कोशिशों के क्रम में आंतरिक एवं अन्य  शासकीय, अशासकीय सामाजिक मंचों पर प्रस्तुति देने का अवसर भी प्रदत्त किया जाता है ।
              साथ ही राष्ट्रीय बाल-भवन एवं  अन्य बालभवनों द्वारा आयोजित सेमिनार,कार्यशालाओं, में बाल-भवन के बच्चों को अवसर दिया जाता है ।

बुधवार, 18 मार्च 2015

"Balbhavan Jabalpur के खाते में एक और बालश्री एवार्ड जोड़ा शुभम ने "



 आयुक्त श्रीयुत खाण्डेकर जी के साथ शुभम

#शुभमराज_अहिरवार अभावों से जूझता किशोर 11 वीं का छात्र , पिता सब्जी का ठेला लेकर फेरी लगाते हैं बढ़ते बच्चों के सपने पूरे करने एवं परिवार के भरण पोषण के लिए ये परिस्थियाँ अनुकूल कदापि नहीं मानी जा सकतीं निम्न आय वर्ग के जगदीश अहिरवार का बेटा एक डूबा हुआ कलाकार अपने सुनहरे कल के स्वागत के लिए खुद को तैयार करने के लिए तत्पर........ उसके बनाए चित्रों में मौलिकता साफ साफ झलकती है .
श्रीमती रेणु पाण्डे 
 बालश्री एवार्ड   वर्ष 2013 के लिए शुभमराज  लगातार अथक परिश्रम कर देश भर से आए बच्चों में अपना अधिकार साबित कर ही दिया । शुभम की इस उपलब्धि के पीछे श्रीमती रेणु पाण्डे , कला-अनुदेशिका  की भूमिका सर्वोपरि है । साथ ही यह कहना सही ही होगा कि अभाव किसी भी तरह से चमक को चुनौती दे ही नहीं सकते । शुभम पर विस्तृत आलेख शीघ्र .............. प्रतीक्षा कीजिये ....




सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

कमिश्नर श्री दीपक खाण्डेकर बालभवन के प्रतिभाशाली बच्चों की हौसला अफजाई की


https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvClcEyB0UjcROAaXNxgYHkXex0TAoZQ3aPVW9Mebe2uHokCr6Qw0Cv1kqsl8iTwvvYRYiE_HFGG6TszxEtonrLsJDoEyWSb3ZpKk9T_rmfTYtU5QOt7zrR7z_nlkI1JJaBGPMu4h4CvxI/s1600/01.jpgजबलपुर 16 फरवरी 2015  
कमिश्नर श्री दीपक खाण्डेकर ने आज यहां उनसे मिलने पहुंचे बाल भवन के बच्चों से स्नेहसिक्त भाव से मुलाकात की और उनकी हौसला अफजाई की। इन बच्चों में राष्ट्रीय बालश्री पुरस्कार (सृजनात्मक कला) विजेता रोहित गुप्ता तथा संतलाल पाठक (प्रदर्शनकारी कला विशेष श्रेणी) के अलावा सारेगामा लिटिल चैम्प्स में प्रथम ग्यारह प्रतियोगियों में स्थान बनाने वाली ईशिता विश्वकर्मा के अलावा रेशम ठाकुर, शुभम् अहिरवार और श्रेया ठाकुर शामिल थे।
श्री खाण्डेकर ने बच्चों के साथ खुले दिल से देर तक चर्चा की और उनकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी ली । उन्होंने इन प्रतिभाशाली बच्चों को बधाई दी। साथ ही उनके साथ और वक्त गुजारने के लिए बाल भवन आने का वादा भी किया । कमिश्नर श्री खान्डेकर  के सरल व्यवहार से सहज हुए बच्चों ने उनके साथ ढेर सारी बातें की । कमिश्नर ने पूरी रूचि से उनकी बातें सुनी और उन्हें बुके और चॉकलेट भी भेंट किए। बच्चों के साथ श्री खाण्डेकर ने ग्रुप फोटो भी खिंचवाई । बच्चों ने भी इस स्नेह के प्रतिदान में कमिश्नर को स्वयं की बनाई पेंटिंग्स भेंट कीं ।
इस दौरान मौजूद उप संचालक महिला सशक्तिकरण श्रीमती मनीषा लुम्बा और संचालक बाल भवन श्री गिरीश बिल्लोरे के साथ कमिश्नर ने बाल भवन की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बातचीत की । उन्होंने बाल भवन का बेहतर से बेहतर ढंग से उपयोग किए जाने की जरूरत बताई । उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रयास किए जाएं कि बाल भवन की पूरी क्षमता के अनुरूप वहां बच्चे हों। इस सिलसिले में श्री खाण्डेकर ने सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों के साथ पृथक से बैठक बुलाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने बाल भवन की जरूरतों के बारे में भी जानकारी ली ।  साथ ही विशेष श्रेणी के बच्चों, अजा, अजजा के बच्चों  के लिए संचालित शासकीय  अशासकीय  आवासीय संस्थानों, हास्टलस के बच्चों को बालभवन से जोड़ने के निर्देश ही नहीं दिये वरन अति-शीघ्र ऐसी अंतर्विभागीय  बैठक के आयोजन के निर्देश भी दिये ।
श्री खाण्डेकर ने कहा कि बाल भवन के बच्चों को इंटैक के कार्यक्रमों से जोड़ने की दिशा में त्वरित पहल के निर्देश देते हुए कहा कि- बाल भवन के सदस्य बनने से संस्था  इंटैक की गतिविधियों एवं आयोजनों में संभागीय बालभवन की   साधिकार इंटैक के कार्यक्रमों में सहभागिता सुनिश्चित हो सकेगी  
(स्रोत : संयुक्त संचालक, सूचना एवं जनसम्पर्क जबलपुर संभाग )  

मंगलवार, 27 जनवरी 2015

महिला एवं बाल विकास विभाग जबलपुर ने स्टेडियम में रेल चला कर पहला स्थान पाया

 प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकाससामाजिक न्याय तथा सहकारिता मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने आज यहां जिला मुख्यालय में गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण किया और परेड की सलामी ली। इस अवसर पर कमिश्नर श्री दीपक खाण्डेकर एवं पुलिस महानिरीक्षक श्री डी. श्रीनिवास राव भी मौजूद थे।
                ध्वजारोहण के बाद समारोह के मुख्य अतिथि श्री भार्गव ने कलेक्टर श्री एस.एन. रूपला एवं पुलिस अधीक्षक श्री हरिनारायणचारी मिश्र के साथ खुली सफेद जिप्सी में परेड का निरीक्षण किया। इसके उपरांत श्री भार्गव ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के गणतंत्र दिवस संदेश का वाचन किया। सुरक्षा बलों ने हर्ष फायर किए और राष्ट्रपति की जयकार की। तदुपरांत सुरक्षा बलों की टुकड़ियों ने लयबद्ध कदम-ताल करते हुए शानदार मार्च पास्ट किया। मार्च पास्ट का नेतृत्व उप पुलिस अधीक्षक श्री मनोज खत्री ने किया। मार्च पास्ट में 29 वीं वाहिनी आईटीबीपी, 6 वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बलजिला पुलिस बल पुरूषजिला पुलिस बल महिला,रेल पुलिस बलएनसीसी तथा स्काउट एवं शौर्या-दल (प्रथम बार) शामिल थे। मार्च पास्ट के बाद मुख्य अतिथि पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री भार्गव ने सभी प्लाटून कमाण्डर्स से परिचय प्राप्त किया। उन्होंने तिरंगे के तीन रंगों वाले गुब्बारे भी छोड़े । श्री भार्गव ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को शाल-श्रीफल से सम्मानित किया।
गणतंत्र दिवस समारोह में नगर के विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के बच्चों ने नयनाभिराम सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। शासकीय उ.मा. विद्यालय मेडिकल के बच्चों ने योग प्रदर्शन किया। सत्य प्रकाश विद्यालय के बच्चों ने मां सरस्वती की आराधना पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया। सेंट नार्बर्ट स्कूल की विविधवर्णी परिधानों में सुसज्जित छात्राओं ने बेहतरीन नृत्य प्रस्तुत किया जिसे काफी पसंद किया गया। गुरूनानक स्कूल मढ़ाताल की छात्राओं ने बुंदेलखण्ड अंचल का बधाई नृत्य प्रस्तुत किया। लोकशैली के इस नृत्य पर दर्शक झूम उठे। इस प्रस्तुति में अस्वच्छता का त्याग कर रोगों से बचाव के जतन का संदेश निहित था। शासकीय नवोदय विद्यालय बरगी नगर की छात्राओं ने भी देशभक्ति से ओत-प्रोत नृत्य-गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की सर्वाधिक प्रशंसित प्रस्तुति मलखम्ब की थी। जिला खेल एवं युवक कल्याण विभाग की इस प्रस्तुति में नन्हें बच्चों ने मलखम्ब पर असाधारण कौशल और गजब का संतुलन दिखाते हुए दु:साध्य आसन प्रदर्शित किए। घूमते मलखम्ब पर अद्भुत संतुलन के साक्षी बने दर्शकों ने करतल ध्वनि से आकाश गुंजा दिया। इस प्रस्तुति को दर्शकों का प्रतिसाद तो मिला ही स्वयं मुख्य अतिथि ने भी बच्चों के सतत् अभ्यास से हासिल कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए 11हजार रूपए बतौर पुरस्कार प्रदान किए। घूमते मलखम्ब के शिखर पर बैठे बच्चे के कंधों पर बैठी नन्हीं बच्ची देख दर्शक विस्मित रह गए। समारोह में विभिन्न विभागों के द्वारा तैयार की गई झांकियां भी प्रदर्शित की गई। नगर निगम की झांकी में शहर को स्वच्छ रखने की अपील की गई थी। स्वास्थ्य विभाग की झांकी सम्पूर्ण स्वास्थ्य सबके लिए तथा जिला शिक्षा केंद्र की झांकी स्कूल चलें हम अभियान पर केंद्रित थी।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा तैयार झांकी में एक्सप्रेस ट्रेन के माध्यम से महिला हिंसा पर पूर्ण विराम और सुपोषण जैसे मसलों के बारे में प्रभावी ढंग से संदेश सम्प्रेषित किए गए थे । झांकी में बालवियास सेवाओं एवं महिला सशक्तिकरण संचालनालय द्वारा संचालित कार्यक्रमों यथा शौर्यादल आई. सी. पी.एस. , लाड़ो अभियान, आंगनवाड़ी द्वारा प्रदत्त सेवाओं महिला एवं चाइल्ड  हैल्पलाइन के नंबरों को प्रभावी तरीके से प्रदर्शित किया गया था इतना ही नहीं स्टेडियम में प्रवेश करते ही रेलवे स्टेशन का आभास कराती उड़घोषणा का स्टेडियम में गुंजायमान होना एक प्रभावी प्रयोग रहा है । झाकी की परिकल्पना श्री आर सी त्रिपाठी नवपदस्थ जिला कार्यक्रम अधिकारी की थी जिसे विभाग के सहायक संचालकों क्रमश: मनीष शर्मा गिरीश बिल्लोरे, अखिलेश मिश्रा, पुनीत मारवाह तथा परियोजना अधिकारी श्रीमती संजना चौकसे एवं  दीपेन्द्रसिंह बिसेन, के मार्गदर्शन में पूर्ण किया गया । ध्वनि प्रभाव बालभवन अनुदेशिका सुश्री  शिप्रा सुल्लेरे के निर्देशन में  मास्टर अक्षय ठाकुर एवं बेबी ईशिता विश्वकर्मा (प्रसिद्ध बाल गायिका ) तैयार किया  निर्माण श्री राजू का रहा है ।  इस झांकी के स्टेडियम में प्रवेश करते ही रेलवे स्टेशन जैसा वातावरण निर्मित करने ध्वनि प्रभाव से स्टेडियम में मौजूद  दर्शको ने  तालियां बाजा कर स्वागत किया गया मुख्यअतिथि एवं अन्य  अतिथिगण सहित सभी अधिकारी गण प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके  सभी ने इसे काफी पसंद किया गया ।

श्रम विभाग की झांकी में निर्माण श्रमिकों के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्रदर्शित की गई थी। इसके अलावा जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्रलोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभागवन विभागजिला पंचायतकृषि विभागउद्यान विभागविद्युत वितरण कम्पनी तथा आदिवासी विकास विभाग की झांकियां भी प्रदर्शित की गई। केंद्रीय जेल की झांकी में ब्रिाटिशकालीन जेल और आधुनिक जेल के तुलनात्मक दृश्य प्रदर्शित किए गए थे। ब्रिाटिशकालीन जेल में चक्की चलाता कैदी दिखाया गया था वहीं वर्तमान आधुनिक जेल में योग प्रशिक्षण और कम्प्यूटर प्रशिक्षण के साथ टेलीफोन सुविधा प्रदर्शित की गई थी। यातायात विभाग की झांकी भी काफी दिलचस्प थी। इस झांकी में वाहन चालकों के लिए हेलमेट की जरूरत और वाहन चलाते समय शराब से परहेज को जरूरी बताया गया। झांकी में एक दुर्घटना का दृश्य और पुलिस कार्यवाही प्रदर्शित की गई। यह झांकी काफी सराही गई।
परेड में विशेष सशस्त्र बल की छठीं वाहिनी को प्रथम, 29 वीं वाहिनी आईटीबीपी को द्वितीय तथा जिला पुलिस बल (पुरूष) को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। झांकियों में महिला एवं बाल विकास विभाग को प्रथमकेंद्रीय जेल को द्वितीय तथा यातायात विभाग को तृतीय स्थान मिला। मुख्य अतिथि पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री भार्गव ने विजेताओं को पुरस्कृत किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाली सभी शिक्षण संस्थाओं के प्रतिभागी बच्चों को पुरस्कृत किया गया।

कार्यक्रम में पुलिस उप महानिरीक्षक श्री डी.पी. सिंहसीईओ जिला पंचायत श्रीमती नेहा मारव्याअपर कलेक्टर श्री छोटे सिंह एवं श्री ए.बी. सिंहआयुक्त नगर निगम श्री वेदप्रकाश एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रदीप दुबे और श्रीमती संदीपा स्थापक पचौरी ने किया।

मंगलवार, 13 जनवरी 2015

संतलाल पाठक एवं रोहित गुप्ता बालश्री सम्मान से अलंकृत होंगे

संतलाल पाठक
संभागीय बाल भवन जबलपुर के प्रतिभाशाली कलाकारों क्रमश:  मास्टर संतलाल पाठक वर्ष 2011 में प्रदर्शनकारी कला एवं मास्टर रोहित गुप्ता को चित्रकला के लिए वर्ष 2012 के लिए    राष्ट्रीय बालश्री अलंकरण के लिए चयनित किया है . इन बाल प्रतिभाओं को विज्ञान भवन नई दिल्ली में 29 जनवरी 2014 को  आयोजित एक  भव्य समारोह में श्रीमती स्मृति ईरानी द्वारा बालश्री अलंकरण से अलंकृत किया जावेगा । इसके पूर्व वर्ष 2010 को संभागीय बाल भवन जबलपुर को पहली बार गौरव  प्रतिभाशाली बालिका कु. खुशी पाल बालश्री अलंकरण प्राप्त कर दिलाया था.
          10 जून 1996 को सतना जिले के  सामान्य कृषक श्री सत्यनारायण पाठक एवं श्रीमती आशा पाठक के घर जन्मे मास्टर संतलाल पाठक जन्म से ही नेत्रज्योति विहीन हैं । मास्टर संतलाल ने अंध मूक विद्यालय जबलपुर में अध्ययन के साथ साथ बाल भवन में सुश्री शिप्रा सुल्लेरे  से  संगीत की शिक्षा ग्रहण की है, वर्तमान में वे बारहवीं कक्षा के विद्यार्थी हैं  । इतना ही नहीं वे विशेष बच्चों के लिए एक मोटीवेटर के रूप में जाने जाते हैं । सीमित साधनों में दृढ इच्छा शक्ति एवं आत्मिक साहस के कारण संतलाल ने बाल श्री हेतु  संभागीय , ज़ोनल एवं राष्ट्रीय स्तर की चयन की कठिन  प्रक्रिया में  सहजता से सफलताएँ हासिल कीं हैं । कवि हृदय संतलाल पाठक प्ले-बैक सिंगर बनाना चाहते हैं किन्तु उच्च शिक्षा के लिए वे बी एच  यू में दाखिले के इच्छुक हैं  । साथ ही वे उमरिया कलेक्टर श्री के जे तिवारी को अपना आदर्श मानते हुए कहते हैं कि – सफलता कड़ी मेहनत एवं लगन से ही हासिल होती है । सतत साधना किसी भी बाधा को लांघने की शक्ति देती है ।
          चित्रकला के लिए बालश्री अलंकरण  वर्ष 2012 के लिए चयनित मास्टर रोहित गुप्ता पंडित लज्जा शंकर झा उ. मा. विद्यालय में वर्तमान में बारहवीं के विद्यार्थी हैं । गढ़ाफ़ाटक निवासी श्री राजीव एवं श्रीमती अलका गुप्ता के पुत्र मास्टर रोहित का सपना है कि वे देश के ख्याति प्राप्त आर्किटेक्ट के रूप में प्रतिष्ठित हों । अपनी सफलता का श्रेय अपनी गुरु श्रीमती रेणु पांडे को देने वाले रोहित ने जिला, संभाग, एवं राज्य स्तर कई पुरस्कार अर्जित किए हैं ।
रोहित गुप्ता
          बाल भवन संचालक गिरीश बिल्लोरे ने बताया – “मेरे पूर्ववर्ती अधिकारियों क्रमश: श्रीमती शालिनी तिवारी एवं श्रीमती  मनीषा लुम्बा के उचित प्रबंधन के परिणाम स्वरूप बालश्री हेतु दो बच्चों का चयन हुआ है । वर्तमान में चार अन्य प्रतिभागी ज़ोनल-स्तर के लिए  चयनित हुए हैं उम्मीद है कि इस बार भी संस्कारधानी को अधिक सम्मान मिलेगा । बाल भवन जबलपुर नें वर्ष 2015 में बच्चों के लिए गतिविधियों में कुछ अहम बदलाव भी किए गए हैं जिसमें क्रिएटिव राइटिंग, साहित्य, काव्य, एवं गद्य लेखन, वक्तव्य कला, के साथ साथ मार्शल आर्ट, वालीबाल,  थियेटर, पर  विशेषरूप ध्यान दिया जा रहा है ।    
बालश्री अवार्ड  हेतु चयनित बच्चों को नकद राशि, स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाता है ।
            
           

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