शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017
मंगलवार, 31 जनवरी 2017
शौर्या-शक्ति आत्मरक्षा प्रशिक्षण : दिख रहा असर
संभागीय
बाल भवन जबलपुर द्वारा निर्भया दिवस दिनांक 16 दिसंबर 2014 से
प्रारम्भ मार्शल आर्ट प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन 31 दिसंबर 2014 को बाल भवन परिसर में श्रीमती प्रज्ञा
रिचा श्रीवास्तव, आईपीएस, आईजी-महिला
सेल,जबलपुर के मुख्यआतिथ्य में सम्पन्न हुआ था तब अपने उदबोधन में श्रीमती
प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ने बच्चों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि जो
बच्चों ने मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त किया हैं वो किसी भी स्थिति में जीवन
के लिए बेहद महत्वपूर्ण है खासकर तब और आवश्यक है जब कि सामाजिक परिस्थितियाँ
सामान्य नहीं हैं ।किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि किसी अन्य व्यक्ति खासकर बालिकाओं, बच्चों , महिलाओं , के
विरुद्ध हिंसक हो । बच्चे देश का भविष्य हैं हमारी कोशिशें ये होनी चाहिए कि
हम खुद बेहतर तरीके से जिएं और समूचे समाज को सुख से जीनें दें । बाल भवन के
इस प्रयास से मैं बेहद उत्साहित हूँ ।
मेरा सुझाव है कि प्रशिक्षण
निरंतर जारी रहे इस हेतु जो भी सहयोग अपेक्षित हो उसके लिए सदैव तत्पर हूँ ।
बालभवन जबलपुर ने उनकी
सलाह मानते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम को श्री नरेंद्र गुप्ता जी के नि:शुल्क
प्रशिक्षण देने के वादे के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम को निरंतरता दी. और वर्ष 2015 तक हम 400 बच्चों को
प्रशिक्षित कर सके. 23 दिसंबर 2015 को दीक्षांत समारोह में रानी दुर्गावती
संग्राहालय ग्राउंड में प्रदर्शन के उपरांत 8 जनवरी 2016 को सबला सम्मेलन में
प्रशिक्षित बालिकाओं ने स्ट्रीट फाईट का मंचीय प्रदर्शन मानस भवन में कर सभी को
चकित कर दिया. अगस्त 2016 में पुन: सरस्वती शिशु मंदिर में प्रदर्शन किया गया .
द्वितीय
चरण में बालभवन जबलपुर ने बेटियों में आत्मविश्वास जगाने तथा सड़क पर असामाजिक
तत्वों को सबक सिखाने उनसे निपटने “30
दिवसीय शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम के” तैयार कर 1 सितम्बर 2016 से नई पहल श्री दिग्विजयसिंह ,
सचिव, मध्यप्रदेश ओलोम्पिक के आतिथ्य में बालभवन परिसर में प्रशिक्षण कार्यक्रम की
शुरुआत की गई . जिसका संचालन बिदाम बाई गुगलिया स्कूल, माता गुज़री कालेज, बालभवन,
शासकीय स्कूल बरगी में किया गया. दिसंबर 16 तक लगभग 800 बालिकाएं प्रशिक्षित हो
चुकीं हैं. इन प्रशिक्षणों में डा पंकज शुक्ल (बिदामबाई स्कूल), श्रीमती अभिलाषा
शुक्ल (माता गुज़री कालेज), श्रीमती आरती साहू (बरगी) का उल्लेखनीय सहयोग रहा .
24
जनवरी 2017 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बालभवन द्वारा आत्मरक्षा प्रदर्शन से प्रेरित होकर होमसायंस कालेज की
प्रोफ़ेसर डा. राजलक्ष्मी त्रिपाठी एवं
नचिकेता कालेज की डा (श्रीमती) श्रीकांता
अवस्थी द्वारा 30 जनवरी 2017 से अपने अपने महाविद्यालयों में “30 दिवसीय
शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम” के आयोजन की पेशकश की . दौनों ही प्रशिक्षण
केन्द्रों में क्रमश: 100 एवं 40 कुल 140 बालिकाओं को दिनांक 30 जनवरी 2017 से
प्रशिक्षण प्रारम्भ किया जा चुका है.
शनिवार, 21 जनवरी 2017
बालिकाओं ने बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया
राष्ट्रीय बालिका दिवस के अंतर्गत संभागीय बालभवन जबलपुर में आयोजित कंठ संगीत प्रतियोगिता में बालिकाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. सर्वाधिक कठिन प्रतियोगिता सब जूनियर ग्रुप आयुवर्ग 06 से 14 वर्ष में रही जिसमें प्रथम स्थान अर्जित किया – बेबी इशिता तिवारी ने. द्वितीय शाम्भवी पंडया एवं बेबी समिष्ठा दास गुप्ता, तथा तृतीय स्थान पर कु. प्रज्ञा साहू रहीं जबकि विशेष स्थान कु. इशिता नामदेव एवं बेबी पायल श्रीवास को प्राप्त हुआ.
जूनियर 14 से 18 आयुवर्ग में प्रथम स्थान कु. उन्नति तिवारी , द्वितीय शिफाली सुहाने, तृतीय सना परवीन रहीं . साथ ही विशेष स्थान पर कु. वैशाली बरसैंया रहीं .
सीनियर आयुवर्ग में कु. परिक्षा राजपूत प्रथम, साक्षी गुप्ता द्वितीय तथा कुमारी प्रिया सौंधिया तृतीय स्थान पर रहीं . जबकि विशेष स्थान पर कु. रंजना निषाद एवं कु मनीषा तिवारी रहीं .
कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री मनीष शर्मा जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री अखिलेश मिश्र,पुनीत मारवाह, सहायक संचालक सुश्री माधुरी रजक, परियोजना अधिकारी श्रीमती संजना चौकसे, श्री जी एस लौवंशी, संजय अब्राहम, माधव सिंह यादव, श्रीमती रीता पटैल, श्री प्रशांत पुराबिया आदि अधिकारी गण उपस्थित रहे .प्रतियोगिता के आयोजन में सुश्री शिप्रा सुल्लेरे एवं श्री सोमनाथ सोनी का विशेष योगदान रहा .
दिनांक 22 जनवरी 2016 को बालिकाओं के लिए पोषण काउंसलिंग सत्र एवं पोषण क्विज़ डा दीप्ती पारे की उपस्थिति में अपरान्ह 2 बजे से एवं बालिकाओं का बालीबाल मैच शाम चार बजे बालभवन परिसर में आयोजित है
गुरुवार, 19 जनवरी 2017
Boby : story of lonely girl on youtube
Balbhavan Jabalpur Presents Hindi Short Play
Boby : Story of lonely girl
Written by : Shri Vijay Tendulakar
Direction : Sanjay Garg
Music :- Miss Shipra Sullere
Lyrics – Girish Billore (Fudak Chiraiya)
Producer :- Girish Billore Assistant Director
Balbhavan Women Empowerment W& CD Jabalpur
1. Artist :-
Boby – Baby Shreya Khandelwal
Micky – Samriddhi Asathi
Bird Gouraiya – Baby Palak Gupta
Moon – Mini Dayal,
Mother- Sana Parveen
Father- Manasi Soni
Akabar – Shiva Namdev
Birbal –Ashutosh Rajak
Shivaji - Sagar Soni
Fairies – Riddhi Shukla, Vaishali Barsainya, Aastha
Agrahari, Dipali Thakur, Aakriti Vaishy, Shaifali
Suhane,
2. Dress :- Sanjay Pateriya
3. Sound :- Miss Mahima Piparsaniyan
4. Light :- Manisha Tiwari
5. Assistance Music- Somnath Soni, Muskan Soni , Suryabhan Singh Thakur, Dance :- Indra Pande & Mahima Piparsaniyan
6. Special Support :- Mr. Anjani Vishvakarma, Studio Music Zone, Jabalpur
सोमवार, 16 जनवरी 2017
PHOTO : STORY OF INNOCENT LONELY BABY
मशहूर नाटक लेखक स्व. विजय तेंदुलकर द्वारा
लिखित कथानक पर आधारित बाल-नाटक "बॉबी" का निर्माण संभागीय बालभवन जबलपुर
द्वारा श्री संजय गर्ग के निर्देशन में तैयार कराया गया है. जिसकी दो प्रस्तुतियां
भोपाल में दिसंबर माह में तथा जबलपुर में 2
प्रस्तुतियां की जा चुकीं है.
बॉबी नौकरी पेशा माता पिता की इकलौती बेटी है जिसे
स्कूल से लौटकर आम बच्चों की तरह माँ की घर से अनुपस्थिति बेहद कष्ट पहुंचाने वाली
महसूस होती है. उसे टीवी खेल पढने लिखने से अरुचि हो जाती है. स्कूली किताबों के
पात्र शिवाजी, अकबर बीरबल, आदि से उसे घृणा होती है. इतिहास के के इन पात्रों
की कालावधि याद करना उसे बेहद उबाऊ कार्य लगता है. साथ ही बाल सुलभ रुचिकर पात्र
मिकी माउस, परियां गौरैया से उसे आम
बच्चों की तरह स्नेह होता है. और वह एक फैंटेसी में विचरण करती है. शिवाजी, अकबर बीरबल, से वह संवाद करती हुई वह उनको वर्त्तमान परिस्थियों की
शिक्षा देती है तो परियों गौरैया मिकी आदि के साथ खेलती है. अपनी पीढा शेयर करती
है...
महानगरों की तरह अब मध्य-स्तरीय
शहरों तक संयुक्त परिवार के बाद तेज़ी से परिवारों का छोटा आकार होने
लगे हैं तथा उससे बालमन पर पड़ने वाले
प्रभाव को प्रभावी तरीके से इस नाटक में उकेरा गया है.
बालरंग निर्देशकों द्वारा बच्चों के ज़रिये ऐसे कथानक
के मंचन का जोखिम बहुधा काम ही उठाया होगा
लेकिन संस्कारधानी के इस नाटक को देखकर अधिकांश दर्शकों की पलकें भीगी नज़र आईं थी संस्कारधानी में
बालरंग-कर्म की दिशा में कार्य करने वाले नाट्य-निर्देशक संजय गर्ग एवम
बालभवन जबलपुर के बालकलाकारों की कठिन तपस्या ही मानेंगे
कि नाटक दर्शकों के मन को छूने की ताकत रख सका.
मुख्य पात्र बॉबी के चरित्र को जीवंत बनाने में
बालअभिनेत्री श्रेया खंडेलवाल पूरे नाटक में गहरा प्रभाव छोड़तीं है. जबकि अकबर -प्रगीत
शर्मा , बीरबल हर्ष सौंधिया, मिकी समृद्धि असाटी , शिवाजी -सागर सोनी, के अलावा पलक गुप्ता (गौरैया) ने अपनी भूमिकाओं में प्रोफेशनल होने का आभास
करा ही दिया। इसके अलावा मानसी सोनी, मिनी दयाल, परियां-
वैशाली बरसैंया, शैफाली सुहाने, आकृति वैश्य, आस्था
अग्रहरी , रिद्धि शुक्ला, दीपाली ठाकुर, का
अभिनय भी प्रभावी बन पड़ा था.
नाटक की प्रकाश, ध्वनि
एवम संगीत की ज़िम्मेदारी सुश्री शिप्रा सुल्लेरे सहित कु. मनीषा तिवारी , कुमारी महिमा गुप्ता, के ज़िम्मे थी जबकि बाल
गायक कलाकार - उन्नति तिवारी,
श्रेया
ठाकुर, सजल सोनी, राजवर्धन सिंह कु. रंजना निषाद, साक्षी गुप्ता, आदर्श
अग्रवाल, परिक्षा राजपूत के गाये
गीतों से नाटक बेहद असरदार बन गया था.
मेरी नज़र में - "बच्चों से ऐसे विषय पर मंचन कराना बेहद
कठिन काम है किन्तु निर्देशक श्री संजय गर्ग इस नाटक के ज़रिए उन चुनिंदा
लोगों में शुमार हो गए हैं जिनको भारत में ख्याति प्राप्त हुई है. भोपाल में
समीक्षकों ने बॉबी नाटक को उत्कृष्ट बता कर पुनः मंचन करा था."
कुल मिला कराकर नाट्य लोक संस्था द्वारा
प्रस्तुत नाटक को श्रेष्ठ बाल नाटकों की सूची में रखा जा सकता है.
गुरुवार, 12 जनवरी 2017
सूर्य उपासना का पर्व है मकर संक्रांति -सरफ़राज़ ख़ान
भारत में समय-समय पर अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं. इसलिए भारत को त्योहारों का देश कहना गलत न होगा. कई त्योहारों का संबंध ऋतुओं से भी है. ऐसा ही एक पर्व है . मकर संक्रान्ति. मकर संक्रान्ति पूरे भारत में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब इस त्यौहार को मनाया जाता है. दरअसल, सूर्य की एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने की प्रक्रिया को संक्रांति कहते हैं. सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. यह इकलौता ऐसा त्यौहार है, जो हर साल एक ही तारीख़ पर आता है. दरअसल यह सौर्य कैलेंडर के हिसाब से मनाया जाता है. इस साल 28 साल के बाद मकर संक्रांति पर महायोग बन रहा है. 14 जनवरी को दोपहर 1.51 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा और सूर्य उत्तरायण हो जाएगा. मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति शुरू हो जाती है. इसलिये इसको उत्तरायणी भी कहते हैं. तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग शाम होते ही आग जलाकर अग्नि की पूजा करते हैं और अग्नि को तिल, गुड़, चावल और भुने हुए मक्के की आहुति देते हैं. इस पर्व पर लोग मूंगफली, तिल की गजक, रेवड़ियां आपस में बांटकर खुशियां मनाते हैं. देहात में बहुएं घर-घर जाकर लोकगीत गाकर लोहड़ी मांगती हैं. बच्चे तो कई दिन पहले से ही लोहड़ी मांगना शुरू कर देते हैं. लोहड़ी पर बच्चों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है.
यह त्यौहार सर्दी के मौसम के बीतने की ख़बर देता है. मकर संक्रांति पर दिन और रात बराबर अवधि के माने जाते हैं. इसके बाद से दिन लंबा होने लगता है और रातें छोटी होने लगती हैं. मौसम में भी गरमाहट आने लगती है.
उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से दान का पर्व है. इलाहाबाद में यह पर्व माघ मेले के नाम से जाना जाता है. 14 जनवरी से इलाहाबाद में हर साल माघ मेले की शुरुआत होती है. 14 दिसम्बर से 14 जनवरी का समय खर मास के नाम से जाना जाता है. और उत्तर भारत मे तो पहले इस एक महीने मे किसी भी अच्छे कार्य को अंजाम नही दिया जाता था. मसलन विवाह आदि मंगल कार्य नहीं किए जाते थे पर अब तो समय के साथ लोग काफी बदल गए है. 14 जनवरी यानी मकर संक्रान्ति से अच्छे दिनों की शुरुआत होती है. माघ मेला पहला नहान मकर संक्रान्ति से शुरू होकर शिवरात्रि तक यानी आख़िरी नहान तक चलता है. संक्रान्ति के दिन नहान के बाद दान करने का भी चलन है. उत्तराखंड के बागेश्वर में बड़ा मेला होता है. वैसे गंगा स्नान रामेश्वर, चित्रशिला व अन्य स्थानों में भी होते हैं. इस दिन गंगा स्नान करके, तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है. इस पर्व पर भी क्षेत्र में गंगा एवं रामगंगा घाटों पर बड़े मेले लगते है. समूचे उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है और इस दिन खिचड़ी सेवन एवं खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व होता है. इलाहाबाद में गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष एक माह तक माघ मेला लगता है.
महाराष्ट्र में इस दिन सभी विवाहित महिलाएं अपनी पहली संक्रांति पर कपास, तेल, नमक आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं. ताल-गूल नामक हलवे के बांटने की प्रथा भी है. लोग एक दूसरे को तिल गुड़ देते हैं और देते समय बोलते हैं :- `तिल गुड़ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला` अर्थात तिल गुड़ लो और मीठा मीठा बोलो. इस दिन महिलाएं आपस में तिल, गुड़, रोली और हल्दी बांटती हैं.
बंगाल में इस पर्व पर स्नान पश्चात तिल दान करने की प्रथा है. यहां गंगासागर में हर साल विशाल मेला लगता है. मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था. इस दिन गंगा सागर में स्नान-दान के लिए लाखों लोगों की भीड़ होती है. लोग कष्ट उठाकर गंगा सागर की यात्रा करते हैं.
तमिलनाडु में इस त्यौहार को पोंगल के रूप में चार दिन तक मनाया जाता है.पहले दिन भोगी-पोंगल, दूसरे दिन सूर्य-पोंगल, तीसरे दिन मट्टू-पोंगल अथवा केनू-पोंगल, चौथे व अंतिम दिन कन्या-पोंगल. इस प्रकार पहले दिन कूड़ा करकट इकट्ठा कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और तीसरे दिन पशु धन की पूजा की जाती है. पोंगल मनाने के लिए स्नान करके खुले आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है, जिसे पोंगल कहते हैं. इसके बाद सूर्य देव को नैवैद्य चढ़ाया जाता है. उसके बाद खीर को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते हैं. असम में मकर संक्रांति को माघ-बिहू या भोगाली-बिहू के नाम से मनाते हैं. राजस्थान में इस पर्व पर सुहागन महिलाएं अपनी सास को वायना देकर आशीर्वाद लेती हैं. साथ ही महिलाएं किसी भी सौभाग्यसूचक वस्तु का चौदह की संख्या में पूजन व संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान देती हैं. अन्य भारतीय त्योहारों की तरह मकर संक्रांति पर भी लोगों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है. (स्टार न्यूज़ एजेंसी)
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