बुधवार, 19 अप्रैल 2017
शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017
“दो माह में दो नाटक तैयार करेगा बालभवन ”
संभागीय बालभवन जबलपुर द्वारा बाबा भीम राव अम्बेडकर जयंती दिनांक 14 अप्रैल 2016 से बालनाट्य एवं अभिनय कार्यशाला प्रारम्भ की गई . कार्यशाला का संचालन श्री संजय गर्ग द्वारा किया जा रहा है. इस कार्यशाला में 2 बालनाटक तैयार किये जावेंगे. प्रथम नाटक पोट्रेटस है जिसका मुख्य पात्र नकारात्मक विचारों वाला एक कलाकार है . जो अपने मित्रों के मुखौटे एवं चित्र बनाता है पर उनको को किसी न किसी नकारात्मक हिंसक चरित्र या पशु के रूप में बनाता है. अंत में एक यक्ष उन सभी को उसी रूप में सजीव कर देता है जिस रूप में कलाकार उसे देखता है. और अंत में सभी पात्र कलाकार के पास आते हैं जिनसे भयभीत होकर भागता है और बचने के लिए स्थान तलाशता है. इस नाटक के लेखक गिरीश बिल्लोरे हैं . संगीत रचना शिप्रा सुल्लेरे तथा कोरियोग्राफी सुश्री प्रभुता चौबे करेंगीं.
निर्देशक श्री संजय गर्ग ने बताया – “बाल-रंगकर्म के लिए बालभवन की भूमिका उल्लेखनीय है. संस्थान ने रानी अवंतिबाई के जीवन पर आधारित नाटक के अलावा विगत वर्ष बॉबी नाटक तैयार किया था. जिसका 5 बार मंचन किया जा चुका है.”
गुरुवार, 13 अप्रैल 2017
नई दुनिया जबलपुर के साथ Balbhavan Jabalpur ने *लौट आओ गौरैया* गीतनाटिका के ज़रिए गौरैया बचाओ अभियान में भागीदारी तय की है । दिनांक 13 अप्रैल 17 से प्रारंभ इस कार्यक्रम का प्रदर्शन सात दिनों तक कई स्कूलों में होगा ।
निरंतर ७ दिन तक अथक परिश्रम के बाद यह गीतनाटिका तैयार हुई है.
फुदक चिरैया उड़ गई भैया
माँ कहती थी आ गौरैया
कनकी चांवल खा गौरैया उड़ गई भैया उड़ गई भैया ..!!
माँ कहती थी आ गौरैया
कनकी चांवल खा गौरैया उड़ गई भैया उड़ गई भैया ..!!
पंखे से टकराई थी तो काकी चुनका लाई थी !
दादी ने रुई के फाहे से
जल बूंदे टपकाई थी !!
होश में आई जब गौरैया उड़ गई भैया उड़ गई भैया ..!!
दादी ने रुई के फाहे से
जल बूंदे टपकाई थी !!
होश में आई जब गौरैया उड़ गई भैया उड़ गई भैया ..!!
गेंहू चावल ज्वार बाजरा
पापड़- वापड़, अमकरियाँ ,
पलक झपकते चौंच में चुग्गा
भर लेतीं थीं जो चिड़ियाँ !!
चिकचिक हल्ला करतीं - आँगन आँगन गौरैया ...!!
पापड़- वापड़, अमकरियाँ ,
पलक झपकते चौंच में चुग्गा
भर लेतीं थीं जो चिड़ियाँ !!
चिकचिक हल्ला करतीं - आँगन आँगन गौरैया ...!!
जंगला साफ़ करो न साजन
चिड़िया का घर बना वहां ..!
जो तोड़ोगे घर इनका तुम
भटकेंगी ये कहाँ कहाँ ?
अंडे सेने दो इनको तुम – अपनी प्यारी गौरैया ...!!
चिड़िया का घर बना वहां ..!
जो तोड़ोगे घर इनका तुम
भटकेंगी ये कहाँ कहाँ ?
अंडे सेने दो इनको तुम – अपनी प्यारी गौरैया ...!!
हर जंगले में जाली लग गई
आँगन से चुग्गा भी गुम...!
बच्चे सब परदेश निकल गए-
घर में शेष रहे हम तुम ....!!
न तो घर में रौनक बाक़ी, न आंगन में गौरैया ...!!
आँगन से चुग्गा भी गुम...!
बच्चे सब परदेश निकल गए-
घर में शेष रहे हम तुम ....!!
न तो घर में रौनक बाक़ी, न आंगन में गौरैया ...!!
शुक्रवार, 24 मार्च 2017
आर्ट डायरेक्टर श्री राज सैनी संभागीय बाल भवन में
मशहूर सीरियल रामायण, सहायक आर्ट डायरेक्टर सीरियल शिर्डी साईं बाबा, बाइबल कि कहानियां, आदि
सीरियल्स के आर्ट डायरेक्टर नन्ही आँखें एवं
राजनीति वक्त हमारा है, पनाह, कन्यादान,
अंगारे आदि फिल्मों के सहायक आर्ट डायरेक्टर श्री राज सैनी संभागीय बालभवन जबलपुर
के विशेष आमंत्रण पर दिनांक 27 मार्च से 31 मार्च 2017 तक बाल भवन परिसर में
बालकलाकारों को 5 दिवसीय प्रशिक्षण देंगें. यह प्रशिक्षण पूर्णत: निशुल्क है.
प्रशिक्षण सत्र प्रतिदिन प्रात: 11 बजे से शाम 5:00 बजे तक 4 सत्रों में संचालित होगा जिसमें 5 से 16 वर्ष के बालक एवं 5
से 18 वर्ष की बालिकाएं भाग ले सकतीं हैं.
अनाथ एवं दिव्यांग बच्चों को एवं बालिकाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी
जावेगी.
जिन बच्चों को इस प्रशिक्षण का लाभ लेना
है वे दिनांक 25 मार्च 17 तक अपना नाम पंजीकृत करा सकते हैं.
गुरुवार, 23 मार्च 2017
नन्ही चिड़िया
नन्हें - नन्हें पंखों से वह ,
उड़ती है उस आसमान में
उसे घूमता-फिरता देख,
बस जाती वह मेरे मन में.
उड़ती है उस आसमान में
उसे घूमता-फिरता देख,
बस जाती वह मेरे मन में.
रोज सवेरे वह जग जाती ,
फिर धीरे से हमें उठाती.
हर दम वह चिक-चिक करती है,
लेकिन कभी ना तंग करती है .
फिर धीरे से हमें उठाती.
हर दम वह चिक-चिक करती है,
लेकिन कभी ना तंग करती है .
पेड़ों की डालों में रहता ,
है उसका इक नन्हा घर.
अपने चूज़ों को वह उसमें,
देती है दानें लाकर.
है उसका इक नन्हा घर.
अपने चूज़ों को वह उसमें,
देती है दानें लाकर.
अपने बच्चों को , सिखाती
कैसे है जीना इस जग में.
फिर धीरे से उन्हें सिखाती,
उड़ना है उस आसमान में.
कैसे है जीना इस जग में.
फिर धीरे से उन्हें सिखाती,
उड़ना है उस आसमान में.
जीने का अधिकार इन्हें भी
फिर क्यों इन्हें भगाते हैं .
उड़ जाती हैं जब आँगन से,
आँगन सूने पड़ जाते हैं .
फिर क्यों इन्हें भगाते हैं .
उड़ जाती हैं जब आँगन से,
आँगन सूने पड़ जाते हैं .
यदि अलोप हो गए ये पक्षी,
तो क्या अगली पीढ़ी को तुम,
चित्रों से दशाॆओगे और
आसमान की यह कहानी
क्या इतिहास बनाओगे?
- उन्नति तिवारी
तो क्या अगली पीढ़ी को तुम,
चित्रों से दशाॆओगे और
आसमान की यह कहानी
क्या इतिहास बनाओगे?
- उन्नति तिवारी
मंगलवार, 21 मार्च 2017
Poetry डस्टबीन...!!
डस्टबीन हूं खाली हूं देखो
भूखा हूं दो कचरा लाकर
कूड़ा करकट अटपट गटपट.
सब कुछ भर दो मुझमें आकर
********************
पक्का तुम मुझको भर दोगे
साफ़ सफ़ाई जब कर लोगे
चाट-पकौड़ी खाके चाचू-
रस्ते में पत्ते फ़ैंकोगे…?
डस्टबीन हूं… पास रखा हूं..
कचरा डालो मुझमें.. आकर ..
डस्टबीन हूं ……..
********************
गंदी सड़क सराफ़े वाली
पुरवा और गोकलपुरवाली
गली गली में ढेर गंदगी –
मिली सड़क न सुंदर वाली.
सुंदर शहर एक दिन में होगा..
अपना हिस्सा साफ़ बनाकर
डस्टबीन हूं ……..
********************
दूर बीमारी दूर गंदगी
सबके मन में बात यही
घर का कचरा सड़क पे न हो –
शहर को दो सौगात यही .
सुंदर शहर जबलपुर होगा..
खुद हम साफ़ करें जो आकर
भूखा हूं दो कचरा लाकर
कूड़ा करकट अटपट गटपट.
सब कुछ भर दो मुझमें आकर
********************
पक्का तुम मुझको भर दोगे
साफ़ सफ़ाई जब कर लोगे
चाट-पकौड़ी खाके चाचू-
रस्ते में पत्ते फ़ैंकोगे…?
डस्टबीन हूं… पास रखा हूं..
कचरा डालो मुझमें.. आकर ..
डस्टबीन हूं ……..
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गंदी सड़क सराफ़े वाली
पुरवा और गोकलपुरवाली
गली गली में ढेर गंदगी –
मिली सड़क न सुंदर वाली.
सुंदर शहर एक दिन में होगा..
अपना हिस्सा साफ़ बनाकर
डस्टबीन हूं ……..
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दूर बीमारी दूर गंदगी
सबके मन में बात यही
घर का कचरा सड़क पे न हो –
शहर को दो सौगात यही .
सुंदर शहर जबलपुर होगा..
खुद हम साफ़ करें जो आकर
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शनिवार, 18 मार्च 2017
“30 दिवसीय शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम से 1200 बालिकाएं लाभान्वित हुईं ”
संभागीय बाल भवन जबलपुर द्वारा निर्भया दिवस दिनांक 16
दिसंबर 2014 से प्रारम्भ मार्शल आर्ट प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन 31 दिसंबर 2014 को बाल भवन
परिसर में श्रीमती प्रज्ञारिचा श्रीवास्तव, आईपीएस, आईजी-महिला सेल,जबलपुर के मुख्यआतिथ्य में सम्पन्न
हुआ था तब अपने उदबोधन में श्रीमती प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ने बच्चों की भूरि
भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि जो बच्चों ने मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त किया
हैं वो किसी भी स्थिति में जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है खासकर तब और
आवश्यक है जब कि सामाजिक परिस्थितियाँ सामान्य नहीं हैं ।
किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि किसी अन्य व्यक्ति खासकर बालिकाओं, बच्चों , महिलाओं ,
के विरुद्ध हिंसक हो । बच्चे देश का भविष्य हैं हमारी
कोशिशें ये होनी चाहिए कि हम खुद बेहतर तरीके से जिएं और समूचे समाज को सुख
से जीनें दें । बाल भवन के इस प्रयास से मैं बेहद उत्साहित हूँ ।
मेरा सुझाव है कि प्रशिक्षण निरंतर जारी रहे इस हेतु जो भी सहयोग अपेक्षित हो
उसके लिए सदैव तत्पर हूँ ।
बालभवन जबलपुर ने उनकी सलाह मानते हुए प्रशिक्षण
कार्यक्रम को श्री नरेंद्र गुप्ता जी के नि:शुल्क प्रशिक्षण देने के वादे के साथ
प्रशिक्षण कार्यक्रम को निरंतरता दी. और वर्ष 2015 तक हम 400 बच्चों कोप्रशिक्षित
कर सके. 23 दिसंबर 2015 को दीक्षांत समारोह में रानी दुर्गावती संग्राहालय ग्राउंड
में प्रदर्शन के उपरांत 8 जनवरी 2016 को सबला सम्मेलन में प्रशिक्षित बालिकाओं ने
स्ट्रीट फाईट का मंचीय प्रदर्शन मानस भवन में कर सभी को चकित कर दिया. अगस्त 2016
में पुन: सरस्वती शिशु मंदिर में प्रदर्शन किया गया द्वितीय चरण में बालभवन जबलपुर
ने बेटियों में आत्मविश्वास जगाने तथा सड़क पर असामाजिक तत्वों को सबक सिखाने उनसे
निपटने “30 दिवसीय शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम
के” तैयार कर 1 सितम्बर 2016 से नई पहल श्री
दिग्विजयसिंह , सचिव, मध्यप्रदेश
ओलोम्पिक के आतिथ्य में बालभवन परिसर में प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई .
जिसका संचालन बिदाम बाई गुगलिया स्कूल, माता गुज़री कालेज,
बालभवन, शासकीय स्कूल बरगी में किया गया.
दिसंबर 2016 तक लगभग 800 बालिकाएं प्रशिक्षित हो चुकीं हैं. इन प्रशिक्षणों में डा
पंकज शुक्ल (बिदामबाई स्कूल), श्रीमती अभिलाषा शुक्ल (माता
गुज़री कालेज), श्रीमती आरती साहू (बरगी) का उल्लेखनीय सहयोग
रहा . 24 जनवरी 2017 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बालभवन द्वारा आत्मरक्षा
प्रदर्शन से प्रेरित होकर होमसायंस कालेज की प्रोफ़ेसर डा. राजलक्ष्मी
त्रिपाठी एवं नचिकेता कालेज की डा (श्रीमती) श्रीकांता अवस्थी द्वारा 30
जनवरी 2017 से अपने अपने महाविद्यालयों में “30 दिवसीय शौर्या-शक्ति
प्रशिक्षण कार्यक्रम” के आयोजन की पेशकश की . दौनों ही
प्रशिक्षण केन्द्रों में क्रमश: 100 एवं 40 कुल 140 बालिकाओं को दिनांक 30 जनवरी
2017 से प्रशिक्षण प्रारम्भ किया गया.
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