मंगलवार, 21 मार्च 2017

Poetry डस्टबीन...!!

डस्टबीन हूं खाली हूं देखो
भूखा हूं दो कचरा लाकर
कूड़ा करकट अटपट गटपट.
सब कुछ भर दो मुझमें आकर
********************
पक्का तुम मुझको भर दोगे
साफ़ सफ़ाई जब कर लोगे
चाट-पकौड़ी खाके चाचू-
रस्ते में पत्ते फ़ैंकोगे…?
डस्टबीन हूं… पास रखा हूं..
कचरा डालो मुझमें.. आकर ..
डस्टबीन हूं ……..
********************
गंदी सड़क सराफ़े वाली
पुरवा और गोकलपुरवाली
गली गली में ढेर गंदगी –
मिली सड़क न सुंदर वाली.
सुंदर शहर एक दिन में होगा..
अपना हिस्सा साफ़ बनाकर
डस्टबीन हूं ……..
********************
दूर बीमारी दूर गंदगी
सबके मन में बात यही
घर का कचरा सड़क पे न हो –
शहर को दो सौगात यही .
सुंदर शहर जबलपुर होगा..
खुद हम साफ़ करें जो आकर

::::::::::::::::::::::::::::::::::::
::::::::::::::::::::::::::::::::::::

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thanking you For Visit

Featured Post

पुरस्कार पाकर लाड़ली-लक्ष्मियों के खिले चेहरे

संभागीय बाल भवन जबलपुर में लाडली लक्ष्मी सप्ताह अंतर्गत आयोजित विभिन्न गतिविधियों लाडली लक्ष्मी हितग्राही बालिकाओं द्वारा बढ़ चढ...