गुरुवार, 16 अगस्त 2018

समय से आगे का चिंतक महात्मा अटल

आज स्तब्ध हो जाना लाज़िमी है जिसकी अवधारणा थी कि डेमोक्रेटिक सिस्टम में हिंसा और वैमनस्यता का कोई स्थान न नहीं । एक कवि के अतिरिक्त शायद ही कोई इतना नरम रुख रखता हो एक सियासी होने के बावज़ूद । 
हिंसा के विरुद्ध एक समरस वातावरण निर्माण की कोशिश को ये देश याद रखेगा ।
अटल बिहारी वाजपेयी जी के जबलपुर आगमन पर हम युवा पीढ़ी के लोग अक्सर उस सभा में ज़रूर जाते थे । मैं तो उनकी मानवीय संवेदनाओं पर आधारित जीवन क्रम का प्रभाव देखना चाहता था । उनके वक्तव्यों में समकालीन परिस्थितियों के लिए सामाजिक सहिष्णुता के लिए जो भी कंटेंट्स होते थे सृजन के विद्यार्थी के रूप में मेरे अनंत तक उतरती थी । वक्तता के रूप में अपनी ओर सम्मोहित करने के मुद्दे पर विश्व के महान वक्ताओं में श्रीमती इंदिरा जी , ओपराह विनफ्रे मार्टिन लूथर किंग, के ऊपर रखता हूँ । क्योंकि वे जो कहते थे उसे जीते भी थे उनकी जिव्हा से निकली ध्वनि कोरे शब्द न थे उनमें सत्यबोधित हो जाने के सहज गुण मैने ही नहीं सभी ने महसूस किए ही होंगे । उनको सियासी नज़रिये से न देख पाऊंगा क्योंकि उनकी छवि अधिसंख्यक भारतीयों में साहित्यकारों की थी । उनकी कविताओं को ध्यान से समझा जाए तो वे मानवीय मूल्यों का पोषण करती नज़र आती हैं । वे हिंदू थे पर हिंदुत्व के समरसता वाले पहलू के पैरोकार थे यानी आध्यात्मिक से भरे थे लबाल6ब ।
1980 में जन्मी मुखर सियासी कवायद के पूर्व से ही उनका कद सांसद के रूप में बड़ा था ।

*आज यानि 16 अगस्त 2018 को बालभवन जबलपुर के बच्चों ने उनके शतायु होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की चित्रकला कक्ष में उनके रेखाचित्र बनाए गए
अटलजी के जीवन मूल्यों को आत्मसात करके ही हम विश्व में आगे ला सकतें हैं अटल जी के जीवन दर्शन में समरसता उनकी सम्मोहन शक्ति का आधार है

अटलजी को समर्पित कविता

मस्तैला अलबेला कवि था
प्रखर मुखर नवयुग का रवि था
^^^^^^^^
नवचिंतन , अध्ययन के दिन थे
तबसे तुमसे है मिलना जारी ।
मस्ताने वक्ता तबसे ही तुमसे
अपनी चली आ रही है यारी ।।
रिश्ता जाने क्या दुनियाँ वाले
इक कविता का अपने कवि का ।।
*****
न देखा छूकर ही है तुमको
न ही सनमुख संवाद किया है ।।
जितना अब तक बोला है मैंने -
तेरा सब कुछ हुआ दिया है ।।
दुश्मन से भी रार न पाली
असर तुम्हारे प्रखर कवि का ।।
*******
वर्ष सतत्तर याद है मुझको
विश्व मंच पर अभिव्यक्ति का ।
लोहा मनवाया था तुमने तब
इस भारत की शक्ति का ।।
मुस्काए जब बुद्ध विश्व हतप्रभ
मरुथल में हुआ उदय नए रवि का
^^^^^^
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*


बुधवार, 15 अगस्त 2018

खुद से अधिक राष्ट्र के लिए सोचना चाहिए

संभागीय बालभवन जबलपुर में प्रात: 08:00 बजे संचालक बालभवन द्वारा ध्वजारोहण किया । तदुपरांत याशिका तिवारी,प्रत्युषा तिवारी,शिवानी नामदेव,अनुश्री तिवारी,जानवी सोनी,अन्वेषा गुप्ता,आरना दुबे,दिव्यांशी अग्रवाल आदि ने राष्ट्रीय एवम भावात्मक गीतों की प्रस्तुति दी । 
इस अवसर पर संचालक बालभवन गिरीश बिल्लोरे ने बच्चों से बात करते हुए कहा कि देश के विकास के लिए सबके महत्व को समझना चाहिए । दूसरों को कमज़ोर बना के किसी का विकास नहीं होता देश का भी नहीं । खुद से अधिक राष्ट्र के लिए सोचना और कार्य करना चाहिए । अब बालभवन का अर्थ सभी बच्चे और अभिभावकों से छिपा नहीं है । इसके लिए सभी गुरुजन की मेहनत है कि बालभवन जबलपुर में जाना और पहचाना जा रहा है बच्चों, अभिभावकों, को धन्यवाद देते हुए अनुदेशकों क्रमशः: श्रीमती रेणु पांडे, डॉ शिप्रा सुल्लेरे, श्री देवेन्द्र यादव एवम श्री सोमनाथ सोनी की क्षमता की सराहना की ।
इस अवसर पर संचालक ने बताया कि बच्चों के लिए 7000=00 रुपये की खेल सामग्री प्रदान कर श्री सुशील शुक्ला अध्यक्ष बालभवन सहयोगिनी एवम सलाहकार समिति ने देकर जो कार्य किया है वो अनुकरणीय है । नाट्यलोक के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में नाश्ते हेतु डॉ संध्या जैन श्रुति एवम श्री सतीश बिल्लोरे द्वारा एक एक हज़ार रुपये की देकर सहयोग दिया । 
अंत में सहकर्मियों सहित सभी का आभार व्यक्त करते हुए सभी को शुभकामनाएं दीं ।

*मनीषा तिवारी* 
*छात्रा, मास कम्युनिकेशन एवम जर्नलिज़म RDVV जबलपुर पूर्व छात्रा सम्भागीय बालभवन जबलपुर*

सोमवार, 13 अगस्त 2018

स्वतंत्रता दिवस 2018 के अवसर पर बच्चों के नाम संदेश

प्रिय  बच्चो
           वंदेमातरम
अगस्त क्रांति सरदार उधम सिंह खुदीराम बोस की शहादत के दिनों की याद दिलाता है बच्चो 200 से अधिक साल गुलाम भारत ने आज़ादी की सावनी फुहारों में जश्न मनाया था । इस आज़ादी की कीमत त्याग, तपस्या, कुर्बानी, थी आज़ादी के आंदोलन में विश्व को भारत की सहिष्णुता एवम अहिंसा का परिचय भी मिला ।
जो इस आज़ादी को जाति धर्म वर्ग, वर्ण, क्षेत्र , भाषा के आधार पर बांटकर देखना चाहते हैं वे भारतीय होकर भी भारतीय नहीं लगते ।
बालभवन एक प्रयोगशाला है जहां सबके साथ एकता का पाठ में भी आपके साथ पढ़ रहा हूँ । सबके बच्चों और उनके गुरुजन मेरे लिए मुझसे अधिक आवश्यक एवम श्रेष्ठ हैं । आदरणीय गुरुजनों को नमन करता हूँ ।
मुझे यकीन है कि इस बार हम दो से भी अधिक बालश्री एवार्ड जीतेंगे । पूरे राष्ट्र में यह आंकड़ा 2 से 4 या अधिक हो जाता है तो जबलपुर एवम विभाग के लिये गौरव होना लाज़िमी है ।
यहां गुरुजनों श्रीमती रेणु जी, डॉ शिप्रा, श्री देवेन्द्र यादव, एवम श्री सोमनाथ सोनी की श्रेष्ठता बेजोड़ एवम अद्वितीय है । इन प्रतिभा वान गुरु जनों को मेरा नमन
बच्चो ,
बालभवन जबलपुर को स्मार्ट बालभवन बनाना है देश के माननीय प्रधानमंत्री जी के सपनों को साकार देने हम इस वर्ष श्री उज्जवल वाघ जी के सहयोग से एक वेबसाइट बना ली है जिसका लोकार्पण 17 अगस्त 2018 को होगा । जिससे ऑनलाइन एडमिशन, एवम जानकारी सबको मिल सकेगी । वेबसाइट के ज़रिए डिस्टेंस प्रशिक्षण, तक का कार्य भावी कार्यक्रम में शामिल किया जा रहा है इस वर्ष बालभवन में सी सी टीवी सुरक्षा की दृष्टि से लगाए गए जिससे इस वर्ष बच्चों की सायकलें न तो चोरी गईं न ही उनमें बाहरी तत्वों द्वारा छेड़ छाड़ न हुई । अवांछित तत्वों का प्रवेश भी रुक गया है ।
इस वर्ष बालभवन जबलपुर ने राजा मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय की परीक्षाएं सफलता पूर्वक सम्पन्न कराईं गईं जिसमें सीनियर छात्रों का सहयोग सराहनीय है । सीनियर छात्र छात्राओं का हर कार्यक्रम में समर्थन एवम सहयोग किसी भी संस्थान की सकारात्मक कार्य विधि का परिचय है ।
माननीय मंत्री जी श्री शरद जैन जी , के प्रति कृतकृत्य है जो अप्रत्यक्ष एवम प्रत्यक्ष रूप से बालभवन के लिए सदभावना पूर्ण हो कर मदद करते हैं ।
मान. सदस्य जिला योजना समिति तथा अध्यक्ष बालभवन सलाहकार समिति श्री सुशील शुक्ला जी , श्रीमती श्रद्धा सत्येंद्र शर्मा, श्री अरुनकान्त पांडे, श्री इरफ़ान झांस्वी, श्री अरुण पांडे, श्रीमती तापसी नागराज , सुश्री शैलजा सुल्लेरे, सहित कई कलाकारों साहित्यकारों का हर स्तर पर सपोर्ट मिल रहा है ।
संयुक्त संचालक सूचना प्रकाशन जबलपुर तथा नगर के सभी समाचार माध्यमों के माननीय संपादक गण, संवाददाता गण हमारे लिए वरदान हैं जिनके कारण हमारी गतिविधियों को जबलपुर जान पाया है ।
आकाशवाणी, से हमारी भी गतिविधियों की जानकारी समाज को मिलती है उनके द्वारा माह में एक बार फुलवारी कार्यक्रम का निर्माण बालभवन में होना किसी उपलब्धि से कम नहीं ।
संचालक जवाहर बालभवन श्री नगाइच सर के मार्गदर्शन में हम सभी आगे बढ़ रहे हैं ।
जबलपुर में वरिष्ठ अधिकारी संयुक्त संचालक महिला बाल विकास सुश्री सीमा शर्मा जी एवम उपसंचालक श्रीमति मनीषा लुम्बा जी का समय समय पर हमें सपोर्ट एवम स्नेह मिलता है ।
इस वर्ष बालभवन जबलपुर ने श्री संजय गर्ग, नाट्यलोक जानकीरमण महाविद्यालय के सहयोग से पुनः 2 नाटक का निर्माण तथा मंचन कराया गया जो सभी के लिए उत्साहित करने वाली खबर है ।
इस वर्ष कलेक्टर जबलपुर श्रीमती छवि भारद्वाज एस पी श्री अमित सिंह, दैनिक नई दुनियाँ श्री ड गुरुदयाल सिंह, यूनिट प्रमुख , श्री अनूप शाह, संपादक नई दुनियाँ, पीयूष बाजपेयी सुश्री अनुकृति श्रीवास्तव श्रीमति अर्चना ठाकुर आदि भारत रक्षा पर्व में उपस्थित रहे । बालगृह के 30 बच्चों सहित 1200 राखियाँ सीमा पर तैनात सैनिकों को भेजी गईं ।
बालभवन जबलपुर के ग्रीष्म कालीन शिविर में 500 से अधिक बच्चों की उपस्थिति उपलब्धि ही है ।
नाटक, संगीत, चित्रकला, एवम तबला विधाओं में कई उपलब्धि हासिल की हैं जो बिना जन सहयोग के सम्भव नहीं था ।
बच्चों हम अपनी इन सफलताओं का श्रेय ईश्वर और वीर स्वतंत्रता सेनानियों को देंगे जिसने हमारे देश को 70 साल पहले आज़ादी दिलाई । साथ ही उन सैनिकों को जिनने अपने जीवन की परवाह किये बिना सीमाओं की रक्षा की और पाकिस्तान तथा चीन के नापाक इरादों से देश की रक्षा की ।
स्वतंत्रता पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
आपका
गिरीश बिल्लोरे
संचालक
संभागीय बालभवन जबलपुर


रविवार, 5 अगस्त 2018

भारतरक्षा पर्व : कलेक्टर तथा व एसपी ने भी सैनिकों के लिए लिखे सन्देश

      
 स्लम की प्रतिभा  मास्टर तरुण अहिरवार ने आखिर अपने सैनिक के साथ डीएम साहिबा

 का फोटो करवा ही लिया .  
 जागरण पत्र समूह द्वारा 6 वर्षों से चलाई जा रही है एक मुहिम जिसे  भारत रक्षापर्व  के नाम से जाना जाता है. 02 अगस्त 2018 को जबलपुर से सैनिकों के लिए शहर भर के शैक्षिक संस्थानों स्वयम सेवी संगठनों से रक्षा-सूत्र एकत्र करते हुए रक्षा पर्व रथ को संभागीय बालभवन जबलपुर से भोपाल के लिए 
कलेक्टर छवि भारद्वाज व एसपी अमित सिंह ने रथ को हरी झंडी दिखाकर भोपाल के लिए रवाना किया गया ।
समापन संभागीय बाल भवन में किया गया। जहां कलेक्टर छवि भारद्वाज व एसपी अमित सिंह ने रथ को हरी झंडी दिखाकर भोपाल के लिए रवाना किया। बाल भवन में हुए समापन समारोह में नईदुनिया परिवार से यूनिट हैड गुरुदयाल सिंह, संपादक अनूप शाह के साथ संभागीय बाल भवन के संचालक गिरीश बिल्लौरे उपस्थित रहे । बाल भवन के बच्चों ने देशभक्ति गीतों से सजी प्रस्तुतियां डॉ.शिप्रा सुल्लेरे के निर्देशन में दी ।  



डॉ. रेणु पांडे के निर्देशन में बच्चों ने राखियां और कार्ड बनाकर सीमा पर तैनात सैनिक भाइयों के लिए भेजे । कार्यक्रम की आयोजना में श्री देवेन्द्र यादव एवं श्री सोमनाथ सोनी की विशेष भूमिका थी.

बाल भवन से लगभग हजार राखियां सैनिक भाइयों के लिए भेजी गईं। कलेक्टर छवि भारद्वाज ने बाल भवन के बच्चों की प्रतिभा को सराहा ।
उन्होंने कहा कि नईदुनिया के भारत रक्षा पर्व अभियान से जुड़ना गर्व की अनुभूति है। एसपी अमित सिंह ने कहा कि सैनिक बाहरी तौर पर हमारी रक्षा कर सकते हैं लेकिन समाज, घर-परिवार में आंतरिक रूप से रक्षा हम लोगों को ही करना है। इसलिए हम संकल्प लें कि यदि किसी विवाहित महिला से राखी बंधवाते हैं तो प्रण करें कि हर विवाहित स्त्री का सम्मान करेंगे। इसी तरह यदि अपनी छोटी बहन से राखी बंधवाते हैं तो प्रण लें कि उनकी उम्र की या उससे छोटी सभी बहनों व बेटियों की रक्षा करेंगे .
कलेक्टर श्रीमती छवि भारद्वाज तथा व एसपी श्री अमित सिंह ने भी लिखे सन्देश
सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए कलेक्टर जबलपुर एवं पुलिस अधीक्षक जबलपुर ने भी सन्देश लिखकर इस अभियान को उंचाई प्रदान की .

एसपी श्री अमित सिंह  को  समारोह स्थल पर आता देख बाल भवन के एक नन्हें बच्चे ने कहा :- ये असली पुलिस है क्या..?
एस पी अमित सिंह ने उस बच्चे के भोलेपन पर आकर्षित होकर उस बताया :- “हाँ.. बेटा असली है... और प्यार से गले लगाया साथ ही उसे अपनी कैप पहना कर पूछा – आप भी पुलिस बनोगे .

    कलेक्टर श्रीमती छवि भारद्वाज को लौटाया उनके बालपन में बेटियों ने
 दिन भर की व्यस्तता एवं प्रशासनिक दायित्वों का निर्वाहन करना अपने आप में कठिन साधना है. पर अगर बच्चों से आप घिरे तो समझिये आपकी थकान ही निकल जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ कलेक्टर श्रीमती छवि भारद्वाज के साथ . वे जब वापस जा रहीं थीं तो बालिकाओं ने सैल्फी की इच्छा ज़ाहिर की उनकी सहमती मिलते ही बेटियों ने खूब सैल्फी ली डी एम साहिबा के साथ.
रिपोर्ट: सुश्री अनुकृति श्रीवास्तव, श्रीमती अर्चना ठाकुर, के साथ श्री पियूष बाजपेई 

शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

बम फोड़ने वाला डिसीप्लीन इंचार्ज सागर सोनी


कोई ऐसा न होगा जिसने बचपन में कोई शरारत न की हो . अगर कोई बच्चे से शरारत का एकाधिकार छीनता है तो मुझे कोफ़्त अवश्य होती है.मेरी नज़र में शरारत पर बच्चों का एकाधिकार होना चाहिए चाहिए क्या होता ही है. पर उन गार्जियंस एवं अभिभावकों से असहमत हूँ जो तानाशाह की तरह बच्चे के इस नैसर्गिक अधिकार यानी शरारत के अधिकार को छीनते हुए अपने विचार थोंपते हैं. ऐसे अभिभावकों एवं शिक्षकों को जान लेना चाहिये कि सबसे अधिक शरारत करने वाले बच्चे सबसे अधिक क्रिएटिव होते हैं. इसके दो उदाहरण मैंने 2014 से बालभवन में आने के बाद देखे . एक है अक्षय ठाकुर शरारत का बफर स्टाक था ये बालक जब सुना था कि भाई को बालभवन के नाट्य-निर्देश भाई संतोष राजपूत जी ने प्ले से हटा दिया था. खेल टीचर जिन पर अनुशासन बनाए रखने की भीषण जवाब देही बाय डिफाल्ट होती है से भाई अक्षय ने किसी मुद्दे पर नाराज़ होकर अपनी नाराज़गी को डिफ्यूज करने की गरज से बालभवन में भयानक टाइप का सुतली बम फोड़ा पकड़ा भी गया सज़ा भी मिली . ये वही बच्चा है जो अब एम.पी.एस.डी. भोपाल का विद्यार्थी है. नाटक की लगन इसे ऐसा विद्यार्थी बना दिया है जो खुद कर कर के बहुत कुछ सीख चुका जाने कितने नाटक लिखे किये जुनून ऐसा कि 104 डिग्री बुखार भी न रोक पाया एक्टिंग करने से 

हाँ तो आइये वापस आते हैं उसी के नक्श-ए-क़दम पर चलने वाले सागर सोनी पर लड़ाई झगड़े में अव्वल सागर ( Sagar Soni ) ने एक बार खेल टीचर देवेन्द्र यादव जी से नाराज़ होने पर खेल कक्ष में बम फोड़ने की योजना बनाई यादव जी की चौकन्नी नज़र से सम्हाल कर सागर ने अगरबत्ती में बम को ऐसे सेट किया कि बम तब फूटे जब वो घर पहुँच कर किसी काम में व्यस्त हो जाए. उसके साथ शुभम , अंकित उर्फ़ टमाटर, आकाश राठौर , विशाल , यश गुप्ता इस षड्यंत्र के राज़दार थे . 
जब बम ब्लास्ट हुआ तब तक सागर सोनी की पतंग आकाश में गोते लगा रही थी . शुभम ने ज़ल्द ही राज़-फाश कर दिया . सागर को बुला कर मैंने उसका कुछ दिनों के लिए बालभवन में प्रवेश वर्जित भी किया. 
घर जाकर बड़ी मासूमियत से सागर ने बताया कि – कितनी गलत बात है ताई जी, बताओ किसी लड़के ने बालभवन की टायलेट में बम फोड़ा . 
सभी उसकी दी गई खबर से दुखी भी हुए. ताई जी को भी बहुत पीढ़ा हुई . परिवार सागर की मासूमियत को तब जान पाया जब सागर की माताजी को बुला कर बताया गया कि – बम ब्लास्टिंग का असली विलेन सागर ही है. उसे कुछ दिनों के लिए बाल भवन से सस्पैंड किया है. अब उसे वापस आने की अनुमति है. आप ज़रा ध्यान रखिये. जब माँ ने सागर की ताई जी को यह खबर दी तो ताई जी ने झाडू से शरारत का भूत उतारा . पूरे परिवार ने सागर की जम के क्लास भी ली. कुछ दिनों पहले ही सागर के पिता जी का उनको छोड़ कर जाना मेरे लिए भी दुःख का कारण था. सागर जैसे बच्चे गीली मिट्टी होते हैं हम सभी के मन में सागर के लिए गहरी संवेदनाएं भी थीं . 
16 साल की उम्र पूर्ण होने पर सागर को 2017 में बालभवन से जाना पड़ा . तब तक सागर ने बॉबी में बेहतरीन अभिनय कर मेरे सपने को पूरा किया. मुझे विश्वास है कि जो जितना शरारती होता है वो ख़ास तरह की आतंरिक उर्जा से भरा होता है. सागर ने मेरी थ्योरी की पुष्टि की अक्षय की तरह . 
सागर ने अब थियेटर को ज़िंदगी का अहम मक़सद बना लिया है. नाट्यलोक संस्था के साथ जुड़कर थियेटर में सक्रीय है सागर गंभीर भी है . आज यानी 3 अगस्त 2018 को स्कूल ग्रेसियस कान्वेंट की ड्रेस में हमसे मिलने आए इस किशोर की जेब के उपर “डिसीप्लीन-इंचार्ज” की नाम पट्टी देख मुझे बेहद खुशी हुई . परन्तु हमने मज़ा लेते हुए उससे सवाल किया .. भाई तुमको डिसीप्लीन इंचार्ज किसने बनाया . और फिर देर तक बीते दिनों के किस्से ताज़ा हो गए. हम सब देर तक हँसते रहे सागर मस्ती के किस्से सुनाता रहा

शनिवार, 21 जुलाई 2018

बाल विकास भविष्य के आदर्श भारत की आधारशिला है : पूर्व महाप्रबंधक भारतीय रेल सेवा डॉ आलोक दवे



          "बच्चों में सदाचार वृत्तियों का बीजारोपण करने का दायित्व माता-पिता का ही है । बदलते परिवेश में अब अधिक सजगता एवम सतर्कता की ज़रूरत है ।आज संचार माध्यमों के ज़रिए जो कुछ भी हासिल हो रहा है उससे बच्चों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर हर अभिभावकों में चिंता व्याप्त है । अब ज़रूरत है 5 से 10 वर्ष की आयु तक के बच्चों से सतत संवाद करते रहने की क्योंकि हर बच्चा अनमोल है" - तदाशय के विचार पूर्व महाप्रबंधक भारतीय रेल सेवा डॉ आलोक दवे ने बालभवन में आयोजित *बदलते सामाजिक परिवेश में अभिभावकों के दायित्व* विषय पर आयोजित आमंत्रित  अभिभावकों के सम्मेलन में बोल रहे थे । श्री दवे सेवा निवृत्ति के उपरांत सत्य साईं सेवा समिति में बालविकास की गतिविधियों के लिए मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रभारी भी हैं ।


सम्मेलन का शुभारंभ करते हुये संस्कार शिक्षा प्रशिक्षक (मानसेवी) डॉ. अपर्णा तिवारी, ने बालभवन में 2010 से संचालित संस्कार कक्षाओं का संक्षिप्त विवरण देते हुए सम्पूर्ण बाल विकास में बच्चों के लिए संस्कार शिक्षा की उपयोगिता एवम औचित्य पर विस्तार से विचार रखे । श्रीमती पुनीता उपाध्याय ने विजुअल माध्यम से पॉवर-प्वाइंट प्रजेंटेशन के ज़रिये बच्चों के लिए के दायित्वों का तथ्यात्मक विश्लेषण करते हुए बच्चों के प्रति जागरूक किया ।

आयोजन के दौरान प्रशिक्षण खेलों का अभ्यास भी कराया गया । इस एक दिवसीय कार्यक्रम में प्रशिक्षण सहभागिता श्रीमती सीमा इसरानी , श्रीमती ज्योति नायडू, श्रीमती भारती , श्रीमती कुंदा, विरुढ़कर सुश्री प्रियंका मौज़ूद थीं ।
अतिथियों का सम्मान डॉ शिप्रा सुल्लेरे, श्री देवेंद्र यादव, श्री सोमनाथ सोनी द्वारा तिलक लगाकर एवम श्रीफल भेंट कर किया गया । आयोजन के लिए सहायक संचालक बालभवन गिरीश बिल्लोरे द्वारा आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के आयोजन में श्री टी आर डेहरिया एवम श्री धर्मेंद्र, श्रीमती सीता ठाकुर  का विशेष योगदान उल्लेखनीय रहा ।




सोमवार, 2 जुलाई 2018

सुशील शुक्ला ने दी बाल भवन के बच्चों के लिए खेल सामग्री


पंडित सुशील शुक्ला ने दी बाल भवन के बच्चों के लिए खेल सामग्री 
      माननीय सदस्य  जिला योजना समिति  एवं पार्षद श्री सुशील शुक्ला जो बालभवन सलाहकार एवं सहयोगी समिति के अध्यक्ष हैं द्वारा बालभवन के बच्चों के लिए लगभग रूपए  7000 /- की  खेल सामग्री प्रदान की गई. 
संभागीय बालभवन में नाट्यगतिविधियों को बढ़ावा देने विगत दो वर्षों से   नाट्यलोक द्वारा बच्चों को नि:शुल्क रूप से श्री जानकी रमण महाविद्यालय में  प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसके फलस्वरूप बॉबी, मिला तेज़ से तेज़, लौट आओ गौरैया , प्लास्टिक के प्रयोग को रोकने गणपति बप्पा मोरया, एवं पोट्रेट नाटकों का निर्माण एवं मंचन संस्कृति विभाग के सहयोग से श्री जानकी रमण म.वि. की रंगड्यौढ़ी पर किया जा चुका है. नाट्य-प्रशिक्षण में शामिल बच्चों  को  आहार हेतु डा संध्या जैन श्रुति श्री सतीश बिल्लोरे द्वारा व्यवस्था की गई  . साथ ही विवेचना रंग मंडल के श्री अरुण पांडे के सहयोग से नाट्य नवरात्र में बाल एवं महिला कवयत्री सम्मेलन सहित कई प्रस्तुतियां नाट्य नवरात्र के तहत की गईं. साथ ही 5 जून को पर्यावरण दिवस का आयोजन म.प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं 21 जून को ग्रीष्मकालीन योग शिविर का समापन भी नेहरू युवा केंद्र जबलपुर के सौजन्य से संपन्न हुआ. 
 संचालक संभागीय बालभवन द्वारा इस वर्ष बालोपयोगी साहित्य के ग्रंथालय के लिए व्यक्तियों, संस्थाओं से किताबें उपलब्ध कराने की अपील की जाती है ताकि बच्चों के सर्वांगीण विकास में अधिकाधिक जन भागीदारी जुटाई जा सके . 

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