रविवार, 21 जून 2015

वैज्ञानिक एवं चिकित्सकीय महत्व के कारण योग वैश्विक रूप से स्वीकारा : योगाचार्य सुश्री सुशीला पटेल

 प्रथम विश्व योग दिवस के अवसर पर संभागीय बाल भवन जबलपुर में  योग क्रियाएँ योगाचार्य सुश्री सुशीला पटेल के मुख्य आतिथ्य एवं मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ ।  कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए योगाचार्य सुश्री सुशीला पटेल ने योग के महत्व एवं भारतीय योग प्रणाली को  स्वास्थ्य एवं मानसिक शांति का मूल साधन बताते हुए कहा कि- “ योग के वैज्ञानिक एवं चिकित्सकीय  महत्व के कारण इसे वैश्विक रूप  से स्वीकारा गया है एवं  मान्यता प्राप्त हुई है जो हमारे लिए गौरव का कारण  है विषम पर्यावरण एवं प्रदूषित वायुमंडल में जीवन को बचाए रखने के संसाधन एवं तकनीकी के रूप में योग क्रियाओं को देखा जा रहा है ।”
                  योग प्रशिक्षक आचार्य  श्री देवेन्द्र यादव  के अनुसार – योग क्रियाओं की निरंतरताऔसत  स्वस्थ्य आयु  में वृद्धि होगी लोग स्वास्थ्य रहेंगे . कार्यक्रम के अंत में प्रमाण-पत्र एवं स्वल्पाहार वितरण किया गया .  
फोटो लिंक :-  




शनिवार, 13 जून 2015

जनसंपर्क कार्यालय जबलपुर द्वारा जारी महिला सशक्तिकरण विभाग के समाचार

सशक्तिकरण अधिकारियों का प्रशिक्षण 15 जून से
जबलपुर 13 जून 2015
                     जबलपुररीवा एवं शहडोल संभागों के खण्ड स्तरीय सशक्तिकरण अधिकारियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण 15 से 17 जून तक महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान आधारताल जबलपुरमें आयोजित होगा । कमिश्नर श्री दीपक खाण्डेकर  15 जून को दोपहर 12.30 बजे  इस प्रशिक्षण  कार्यक्रम  का शुभारंभ करेंगे 
क्रमांक/310/जून-51/नीरज/।।

नि:शक्त बच्चों के अभिभावकों की बैठक 20 जून को
जबलपुर 13 जून 2015
                संचालक बाल भवन  गिरीष बिल्लोरे ने नि:शक्त बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिएसंसाधन और सहायक सुविधाओं के बारे में जानकारी और मार्गदर्शन देने के लिए 20 जून को प्रात: 11.30  बजे उनके अभिभावकों की बैठक बुलाई है । श्री बिल्लोरे ने नि:शक्त बच्चों के अभिभावकों से अनुरोध  किया है कि वे निर्धारित तिथि एवं समय पर अपने बच्चों के साथ गढ़ाफाटक जबलपुर स्थितबाल भवन में पहुंचकर बैठक में सम्मिलित हों ।

गुरुवार, 11 जून 2015

जबलपुर महिला सशक्तिकरण विभाग की सूक्ष्म समीक्षा की सम्भायुक्त श्री दीपक खांडेकर ने

संशोधित लाड़ली लक्ष्मी योजना के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 के लक्ष्य पूरे करने के लिए 30 जून की डेडलाइन निर्धारित की गई है । कमिश्नर श्री दीपक खाण्डेकर ने संभाग के समस्त महिला सशक्तिकरण अधिकारियों को आगाह किया है कि वे स्वीकृत प्रकरणों में राशि जमा करने तथा प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया तयशुदा डेडलाइन तक हर हाल में पूरी कर लें। ऐसा करने में असफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। श्री खाण्डेकर आज यहां जिला एवं विकासखण्ड स्तर के महिला सशक्तिकरण अधिकारियों एवं परियोजना अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। इस दौरान प्रभारी संयुक्त संचालक महिला सशक्तिकरण श्रीमती मनीषा लुम्बा भी मौजूद थीं। श्री खाण्डेकर ने ऑनलाइन एन्ट्री कम होने को लेकर ऐतराज जताया और निर्देश दिए कि एन्ट्रीज में आवश्यक संशोधन भी अविलम्ब किए जाएं। किसी प्रकार की त्रुटि किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी। अधिकारियों को ऑनलाइन एन्ट्री शत-प्रतिशत होने की बाबत् प्रमाणीकरण प्रस्तुत करना होगा। कमिश्नर ने इस सम्बन्ध में भी जानकारी तलब की कि कितने प्रकरणों में अब तक राशि ड्रा कर निधि में जमा की जा चुकी है। बैठक में श्री खाण्डेकर ने वर्ष 2015-16 में लाड़ली लक्ष्मी योजना (संशोधित) की जिलेवार समीक्षा भी की । सिवनी जिले में स्वीकृत प्रकरणों की संख्या शून्य होने को लेकर कमिश्नर ने सम्बन्धित अधिकारी से जवाब तलब किया । उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि समस्त जानकारी पोर्टल पर होने के बावजूद सम्बन्धित अधिकारी इससे अनभिज्ञ हैं। इस स्थिति पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्री खाण्डेकर ने सभी अधिकारियों को हिदायत दी कि वे कम से कम पोर्टल पर मौजूद जानकारी के अवलोकन के काबिल कम्प्यूटर साक्षरता हासिल करें। उन्होंने कहा कि विभाग का पूरा रिपोर्टिंग सिस्टम ऑनलाइन कर दिया गया है। यह जरूरी है कि अधिकारी कम्प्यूटर-साक्षर बनें अन्यथा उनके लिए अपने दायित्वों को निभाना कठिन से कठिनतर होता जाएगा। श्री खाण्डेकर ने निर्देशित किया कि निधि में राशि जमा होने के पहले प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाने चाहिए। राशि जमा होने के बाद ही प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। कमिश्नर ने तीन जिलों के महिला सशक्तिकरण अधिकारियों को अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत नहीं करने को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के निर्देश दिए। सम्बन्धित परियोजना अधिकारियों को भी नोटिस जारी किए जाएंगे। बैठक में विभाग द्वारा रोके गए बाल विवाहों का ब्यौरा भी प्रस्तुत किया गया। घरेलू हिंसा रोकने के लिए संचालित ऊषा किरण योजना के अन्तर्गत विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की भी बैठक में समीक्षा हुई। श्री खाण्डेकर ने प्रस्तुत आंकड़ों में विसंगतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि संभाग के विभिन्न जिलों के आंकड़ों में समरूपता नजर नहीं आती। ऊषा किरण योजना के तहत घरेलू हिंसा सम्बन्धी शिकायतों के बारे में विभाग को अधिक सक्रिय रवैया अपनाना होगा। इस दौरान जिले में स्थापित सेनेटरी नैपकिन मशीनों का समुचित उपयोग नहीं होने को लेकर कमिश्नर ने चिंता जताई। उन्होंने निर्देश दिए कि लक्ष्य-समूह में जागरूकता लाने की दिशा में कदम उठाए जाएं। श्री खाण्डेकर ने खराब गुणवत्ता तथा अन्य कारकों की समीक्षा के निर्देश प्रभारी संयुक्त संचालक श्रीमती लुम्बा को दिए। बैठक में श्री खाण्डेकर ने शौर्य दलों के गठन की स्थिति की समीक्षा की और दल सदस्यों को प्रशिक्षण दिए जाने के बंदोबस्त करने के निर्देश दिए । फॉस्टर केयर एवं स्पॉन्सरशिप योजना की प्रगति का भी आकलन किया गया। श्री खाण्डेकर ने दत्तक ग्रहण योजना की प्रगति के बारे में भी समीक्षा की और आवश्यक निर्देश दिए । अधिकारियों ने कमिश्नर के समक्ष उपरोक्त योजना के क्रियान्वयन में पेश आ रही दिक्कतों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। कमिश्नर ने स्थिति से विभागीय आयुक्त को अवगत कराने के निर्देश दिए। जिले में भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए किए गए प्रयासों की भी जानकारी प्रस्तुत की गई। इसके अलावा श्री खाण्डेकर ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में प्राप्त आवंटन और व्यय की भी समीक्षा की। बैठक में प्रभारी संयुक्त संचालक एवं संभागीय उपसंचालक  श्रीमती मनीषा लुम्बा, जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारीगण तथा परियोजना अधिकारीगण मौजूद थे . 

बुधवार, 3 जून 2015

चित्रकला प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न

म.प्र. प्रदूषण बोर्ड जबलपुर, हिन्दुस्तान इको सॉफ्ट  जबलपुर एवं संभागीय बाल भवन जबलपुर द्वारा पर्यावरण दिवस पर चित्रकला प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण समारोह शुभारम्भ दीप प्रज्जवल एवं शिप्रा सुल्लेरे के संगीत निर्देशन में बालभवन के  बच्चों द्वारा पर्यावरण गीत  से हुआ ।
कार्यक्रम  के मुख्य अतिथि श्री एच. के. शर्मा संयुक्त संचालक,एकीकृत बाल विकास सेवाएं , जबलपुर तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता  श्री व्ही के अहिरवार ,वरिष्ठ अधीक्षण अभियन्ता, म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( भोपाल ) रहे ।  संभागीय उपंसचालक श्रीमती मनीषा लुम्बा (महिला  सशक्त्किरण) एवं क्षेत्रीय समन्वयक ,महिला संसाधन केन्द्र ,जबलपुर श्रीमती शालिनी तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थिति थीं ।
                                     मुख्य अतिथि श्री एच. के. शर्मा सयुक्त संचालक ने कहा कि बाल भवन द्वारा सामाजिक एवं ज्वलंत मुद्दों पर जो कार्य किया जा रहा है इसकी जितनी तारीफ की जावे कम है उससे अधिक तारीफ प्रशंसा उनकी करना होगी जो स्पर्धा में शामिल होते हैं . अपनी अभिव्यक्ति में राष्ट्रीय बालश्री  पुरस्कार हेतु चयनित शुभमराज अहिरवार  एवं महिला पंचायत भोपाल में गहरी छाप छोड़ने वाली बाल-गायिका इशिता का उदाहरण देते हुए श्री शर्मा ने बच्चों से लक्ष्य को सपनों में देखने फिर लक्ष्य की पूर्ती के लिए सतत जुटाने की सलाह दी .
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री व्ही एस अहिरवार वरिष्ठ अधीक्षण अभियन्ता द्वारा बच्चों द्वारा रचित चित्रों की भूरि-भूरि प्रसंशा की गई एवं बच्चों को यह प्रण लेने को कहा कि वे पर्यावरण सरंक्षण कर मानव जीवन को बचाने का संदेश दिया।  वे बच्चे जिन्होन पर्यावरण को बचाने पर केन्द्रित रचनात्कता प्रदर्षित की है उन बच्चों को विशेष रुप से बधाई दी साथ ही श्री अहिरवार ने बच्चों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए तथा यह भी  कहा कि  बाल भवन द्वारा निराश्रित एवं निषक्त बच्चों कों प्रोत्साहित कर सामाजिक सरोकारों  को जोड़ने का बीड़ा उठाया है जो निःसदेह सराहनीय है ।       
                                  हिन्दुस्तान ईको सॉफ्ट  की ओर से श्री राजेश दुबे ने एवं संभागीय बालभवन की ओर से श्री पियूष खरे ,श्रीमति रेणु पांडे एवं श्रीमति मीना सोनी का कार्यक्रम में शिप्रा सुल्लेरे,सोमनाथ सोनी ,देवेन्द्र यादव एवं इन्द्र पाण्डे का सहयोग रहा ।
पुरस्कृत होकर प्रसन्न हुए ये बच्चे
जूनियर वर्ग - प्रथम  स्थान-आदित्य  सिंह ठाकुर,द्वितीय स्थान-हर्षिता  गुप्ता एवं तृतीय  स्थान-अनुराग  सीनियर वर्ग - प्रथम  स्थान-यशी पचैरी ,द्वितीय स्थान-आस्था  गुप्ता एवं तृतीय  स्थान-सुनीता केवट विशेष श्रेणी {मानसिक विकलांग/नि:शक्त} - प्रथम  स्थान-मानसी साहू ,द्वितीय स्थान-गोलू एवं तृतीय  स्थान-राजेश कुशवाहा


म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से रीजनल मैनेजर श्री एस एन द्विवेदी एवं वैज्ञानिक श्री खरे बालभवन संचालक गिरीश बिल्लोरे , के अनुसार 5 जून तक आयोजित कार्यक्रमों में संभागीय बाल-भवन एवं  म.प्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सतत भागीदारी रहेगी तथा आगामी वर्षों में पर्यावरण की जनजागरूकता हेतु बाल-प्रतिभाओं का सहयोग सुनिश्चित किया जावेगा .    

शुक्रवार, 22 मई 2015

बालभवन जबलपुर में व्यक्तित्व सम्प्रेषण क्षमता के विकास एवं मोटिवेशन शिविर से बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं

बच्चों के सम्पूर्ण विकास की कल्पना उसके व्यक्तित्व के विकास के बिना संभव कदापि नहीं बच्चों को आत्मसाहस का बीजारोपण करने वाले हज़ारों उदाहरण आज भी दुनिया में प्रेरक प्रसंगों में मौजूद हैं जो बच्चों में आत्मसाहस एवं विश्वास का बीजारोपण करने में सहायक साबित होंगे . तदाशय के विचार श्री पाठक जिला परियोजना समन्वयक जबलपुर ने बालभवन जबलपुर में आयोजित व्यक्तित्व विकास , विचार सम्प्रेषण एवं करियर मार्गदर्शन शिविर के उदघाटन सत्र में व्यक्त किये . कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्रीमती मनीषा लुम्बा संभागीय उप संचालक , महिला सशक्तिकरण ने कहा कि –“बच्चों को अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अब अवसर के दरवाज़े  खुले हुए हैं, इस क्रम में  बालभवन जबलपुर की टीम ने मौजूदा  संसाधनों से जिस तरह  अधिकतम प्रयास एवं प्रयोग किये जा रहे हैं उससे बच्चों को लाभ मिल रहा है . जो सराहनीय है ”
 इस अवसर पर " लाडो-मेरी- लाडो " आडियो एलबम की संगीत निर्देशिका सुश्री शिप्रा सुल्लेरे के प्रेरक व्यक्तित्व की सराहना करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमती लुम्बा ने  सुश्री सुल्लेरे को पुष्प-गुच्छ देकर सम्मानित भी किया .  
प्रशिक्षण सत्र में का संचालन डा. आस्था बिल्लोरे एवं युवा अभिप्रेरक श्री पर्व परमार द्वारा  किया जा रहा है . प्रशिक्षकों का मानना है कि निम्न ,मध्यम, आयवर्ग के परिवारों से आए इन बच्चों में न तो  प्रतिभा की कमी है नहीं आत्मविश्वास की बस वे बेहतर अवसर एवं मार्गदर्शन चाहते हैं जो बालभवन में उन्हें दिया जा रहा है .
उदघाटन सत्र में विकास खंड महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्रीमती माया भदौरिया एवं श्रीमती अनुराधा दीवान , श्री इंद्र पाण्डेय, श्रीमती रेनू पाण्डेय , सुश्री शिप्रा सुल्लेरे , श्री देवेन्द्र यादव , की उपस्थिति उल्लेखनीय रही . कार्यक्रम का संचालन श्री पियूष खरे ने किया जबकि आभार प्रदर्शन सहायक संचालक द्वारा किया गया .

बुधवार, 29 अप्रैल 2015

Lado-Abhiyan लाडो-अभियान पर केन्द्रत कार्टून्स

मध्य-प्रदेश महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा बालविवाह की रोकथाम के लिए 2013 से लाडो-अभियान का  संचालं किया जा रहा है . इस हेतु जबलपुर के  वरिष्ठ कार्टूनिष्ट श्री राजेश कुमार दुबे से बाल-भवन जबलपुर द्वारा  बेहद प्रभावी कार्टून्स प्रचार सामग्री के रूप में  विकसित कराए गए हैं जिनमें से एक कार्टून का प्रयोग प्रदेश स्तर पर जारी विज्ञापन में भी किया गया है .
 








शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

मध्यप्रदेश का लाड़ो अभियान : बालविवाह रोकने उठाया सटीक कदम

मध्यप्रदेश शासन के महिला सशक्तिकरण विभाग ने 2013 से  लाडो अभियान चलाकर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 को प्रभावी बनाने जो कदम उठाए उससे इस दिशा में अभियान के द्वितीय चरण अर्थात लाडो अभियान 2015 के प्रभावी असर दिखाई डे रहे हैं . लाडो-अभियान एक मिशन मोड में चलाया जाने वाला कार्यक्रम है . इस कार्यक्रम की प्रणेता महिला सशक्तिकरण संचालनालय की आयुक्त  श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव का स्वप्न है  कि महिलाओं एवं बच्चों सशक्तिकरण के लिए सर्वांगीण पहल होनी चाहिए . आम जनता को यह महसूस हो कि  सामाजिक बदलाव लाने के लिए सरकार के साथ साथ आम नागरिक की ज़िम्मेदारी भी है . इस हेतु योजनाएं अथवा कार्यक्रमों का जनजन तक पहुँचना आवश्यक होता है .. इसी क्रम में  महिला सशक्तिकरण संचालनालय की आयुक्त  श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव  की सोच लीक से हटकर नज़र आ रही है . उनकी सोच से  स्वागतम लक्ष्मी, लाडो-अभियान , शौर्यादल  जैसे  कार्यक्रम  समाज के सामने आए हैं जो महिलाओं एवं बच्चों के समग्र कल्याण  के लिए सामाजिक पहल की  दूरगामी आइडियोलोजी सूत्रपात करने में सक्षम हैं .  मध्य-प्रदेश का लाडो अभियान 2015   एक ऐसा बहुआयामी कांसेप्ट बन गया है जो भविष्य के  लिया एक दिशा सूचक का कार्य करेगा. 
2009 में जारी  यूनिसेफ की रिपोर्ट से पता चलता है कि -भारत में दुनिया के सापेक्ष  40  प्रतिशत बाल  विवाह होते है तथा 49  प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18  वर्ष से कम आयु में ही हो जाता है । लिंगभेद और अशिक्षा का ये सबसे बड़ा कारण है . राजस्थानबिहारमध्य प्रदेशउत्तर प्रदेश और पश्चिम       बंगाल में सबसे ख़राब स्थिति है यूनिसेफ के अनुसार राजस्थान में 82 प्रतिशत विवाह 18 साल से पहले  ही हो जाते है .
    ऐसा नहीं है कि भारत सरकार इस सामाजिक कुरीति को रोकने प्रभावी उपाय एवं ऐतियाती कदम नहीं उठा सकी .  सरकार नें विवाह की आयु का निर्धारण कर कुरीती पर अंकुश लगाने के समुचित प्रयत्न कर लिए हैं किन्तु सम्पूर्ण रूप से बाल-विवाह रोकने के लिए सामाजिक सोच में सकारात्मक बदलाव लाने की सर्वाधिक ज़रुरत सदा ही  है .   भले ही  1978  में संसद द्बारा बाल विवाह निवारण कानून पारित किया गया .  इसमे विवाह की आयु लड़कियों के लिए  18  साल और लड़कों के लिए 21  साल का निर्धारण  किया गया साथ ही भारत सरकार ने नेशनल प्लान फॉर चिल्ड्रेन 2005  में 2010  तक बाल विवाह को 100 प्रतिशत ख़त्म करने का लक्ष्य रखा था . 
          कोई भी क़ानून तब प्रभावशाली हो जाता है जब उस देश के लोग उस क़ानून के महत्व को जानें एवं समझें . इस हेतु वातावरण निर्माण भारतीय प्रजातांत्रिक संरचना के लिए बेहद आवश्यक है  लाडो-अभियान इसी सोच का परिणाम है . 
 लाडो अभियान क्या है ....?
समाज में प्रचलित बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति से बच्चों का मानसिक शारीरिकबौद्धिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण पर गहरा एवं नकारात्मक प्रभाव पडता है । बालक एवं बालिकाओं को उनके अधिकारों से वंचित होना पडता है । मिलेनियम डेवलपमेन्ट गोल जैसे गरीबी उन्मूलनप्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमिकरण लैंगिक समानता को बढावा देनाबच्चों के जीवन की सुरक्षामहिला स्वास्थ्य में सुधार आदि को प्राप्त करने के लिए बाल विवाह को  ख़त्म करने  की ज़रुरत  महसूस की जाती रही है .
पर्याप्त ज्ञान और व्यापक जागरूकता के अभाव में बाल विवाह की कुरीति बालिकाओं की शिक्षास्वास्थ्य और विकास में बाधक बन रही है । बाल विवाह को केवल कानूनी प्रावधानों के माध्यम से नहीं रोका जा सकता है,वरण  इसे जनजागरूकता और सकारात्मक वातावरण निर्माण कर ही बदला जा सकता है । इसी उददेष्य से वर्ष 2013 से बाल विवाह को रोकने के कार्य को एक अभियान का रूप दिया गया ''लाडो अभियान" . 
अभियान के अंतर्गत ग्राम तथा वार्ड स्तर पर  कोर ग्रुप के गठन का प्रावधान भी  है . जो जिला/ विकासखंड / ग्राम / वार्ड  स्तर पर दायित्व बोध कराने का अवसर देता है . कोरग्रुप एक निगरानी यूनिट की तरह कार्य करता है .
 प्रदेश में बाल विवाह पर अंकुश के लिए वर्ष 2013 में ये अभियान शुरू किया गया।
 श्रीमती श्रीवास्तव ने इसमें जनता व सरकार की समान भागीदारी सुनिश्चित करने मुहिम चलाई।
 जागरूकता के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों का प्रचार-प्रसार किया गया। बाल विवाह रोकने के लिए इससे बच्चों को मानसिक व शारीरिक रूप से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी दी गई । बाल विवाह रोकथाम विशेष अवसरों पर चिन्हित क्षेत्रों में ही होता था,लेकिन इस अभियान को पूरे प्रदेश में साल भर चलाया गया। जिले से ले कर ग्राम स्तर तक कोर सदस्य बनाए गएजिन्होंने लोगों को जागरूक किया । मात्र 1 वर्ष (अप्रैल 2014 से फरवरी 15) में लगभग 52,000 तय बाल विवाह सम्पन्न होने के पूर्व परामर्श से रोके गए । 1511 बाल विवाह स्थल पर रोके गए व 41 प्रकरण पुलिस में दर्ज कराए गए । अभियान के तहत लगभग 1 लाख बच्चों का दाखिला स्कूल में कराया गया ।  22000 स्कूलों में बाल विवाह कानून की जानकारी दी गई  । अभियान ने अपने पहले ही चरण में ऐसा वातावरण निर्माण किया कि समुदाय में बाल-विवाह के प्रति सकारात्मकता की सोच रखने वाले समुदायों एवं व्यक्तियों में भी आमूल-चूल परिवर्तन के लक्षण परिलक्षित होने लगे हैं .
  सिविल सर्विस दिवस  पर मंगलवार 21 अप्रैल 2015  को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने श्री जे एन कांसोटिया प्रमुख सचिवमबावि,  संचालनालय महिला सशक्तिकरण  की आयुक्त श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव एवं श्रीमती टिनी पाण्डेय सहायक संचालक महिला सशक्तिकरण एवं अरविन्द सिंह भाल प्रबंधक महिला वित्त विकास निगम को मेडल व प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया ।
कैसे हुआ लाडो अभियान असरकारी....?
         लाडो-अभियान एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए सतत निगरानी मार्गदर्शन एवं उत्साहवर्धन में महिला सशक्तिकरण संचालनालय की आयुक्त  श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव  कभी चूक नहीं करतीं . अपने मैदानी अधिकारियों एवं  अमले से   सीधे, अथवा वाट्सएप  फेसबुक, ट्विटर के ज़रिये जुड़े रहना उनको सलाह देना, सपोर्ट करना, श्रीमती श्रीवास्तव का मानो कार्यदायित्व सा हो गया है . वे हर कार्यकारी अधिकारी से व्यक्तिगत रूप से जुड़ जातीं हैं . श्रीमती श्रीवास्तव एवं उनकी सहयोगिनी टिनी पांडे अभियान को प्रभावकारी बनाने के लिए अभियान में नवाचार जोड़ने में कतई कोताही नहीं बरततीं । अभियान की तह में जाने पर समझ में आता है कि इस अभियान को अबतक मिली सफलता  में अभियान का जनोन्मुखी होना है । किसी अभियान  अथवा सामाजिक संकल्प के सफल होने का कारण उसमें  “जनोन्मुखी” होने का तत्व की मौजूदगी ही होता है । जहां एक ओर  लाड़ो अभियान  की सफलता के लिए मैदानी अधिकारियों को नए नए प्रयोगों को शामिल करने की  खुली छूट देकर आशातीत सफलता का सूत्र महिला सशक्तिकरण विभाग ने सहज ही हासिल कर लिया है वहीं विभाग की किसी भी इकाई को अभियान से अछूता नहीं रहने दिया गया है । जवाहर बाल भवन एवं अपने सभी छै: संभागीय बालभवनों को कार्यदायित्व सौंपे गए हैं ।  इस क्रम में जबलपुर बालभवन ने अभियान को  प्रभावकारी  बनाने आडियो-विजुअल, प्रचार-सामग्री, नुक्कड़ नाटक , रोसीनियम नाटक, नृत्य आदि का निर्माण एवं प्रयोग भी आरंभ कर दिया है । 
लाड़ो-अभियान के कारण रुकते बाल विवाह
        सटीक एवं प्रभावशाली यानी फुल-प्रूफ लाडो अभियान 2015 के प्रारम्भिक चरण अर्थात 21 अप्रैल 2015 से इस आलेख के लिखे जाने तक 605 बाल विवाह रोके जा चुकें हैं । 


Featured Post

पुरस्कार पाकर लाड़ली-लक्ष्मियों के खिले चेहरे

संभागीय बाल भवन जबलपुर में लाडली लक्ष्मी सप्ताह अंतर्गत आयोजित विभिन्न गतिविधियों लाडली लक्ष्मी हितग्राही बालिकाओं द्वारा बढ़ चढ...