बुधवार, 6 जनवरी 2016

“लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं..!!”

                      
आंसुओं से ये आँखें भिगोना नहीं
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
आंसुओं से ये आँखें भिगोना नहीं
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
मेंहदी कंगन माथे की बिंदिया तले
बेटियाँ अब कभी न इनसे दबें ,
मेंहदी कंगन माथे की बिंदिया तले
बेटियाँ अब कभी न इनसे दबें ,
निर्भया की कसम लाडो में हो ये दम
हो जो साहस तो थमेंगे  सिलसिले ..!
बोझ हैं बेटियाँ ये गीत गाना नहीं..!
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
हो जहां पराजय हो,  हों  गीत हार के
साजो सामां मिलें झूठे  श्रृंगार  के
पढ़ सको न किताबें, गीत लिख न सको
रिश्ते नातें बुनें हों व्यापार से
ऐसी राहों पे लाडो को जाना नहीं ...!
कुछ भी हो लाडो पलकें झुकाना नहीं .
बेटा और बेटी की एक ही है  माँ
फिर बराबर नहीं क्यों दौनों  यहाँ ..?
भाइयों से तुम हो कमतर कहाँ ..?
कोख पे अब निशाना लगाना नहीं ...!
कुछ भी हो माँ पलकें झुकाना नहीं !!
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
लाडली का जो हो घर कहीं आगमन...!
तो मानो आई है घर लक्ष्मी धन ..!
अब सितारों के आगे जहां खोजते
छोटी सी  लाडो को बिहाना नहीं ..!!
         
आंसुओं से ये आँखें भिगाना नहीं !
           लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
·       गीतकार  :- गिरीश बिल्लोरे , सहायक-संचालक, संभागीय बाल-भवन जबलपुर



शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

हर बिटिया को देना होगा, जीवन का हर ज्ञान !


“सबला-गीत”
दृढ़ निश्चय करके हमने,  किया आज ऐलान
हर बिटिया को देना होगा, जीवन का हर ज्ञान !
जिस घर आँगन विदुषी बिटिया वो घर ही धनवान
जिस घर की बेटी हो सबला वो घर ही बलवान !!
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माँ सोई तो अभिमन्यु ने विजय द्वार न पाया
जागी मात जसोदा ने, तिरलोक का दर्शन पाया !
अर्थ यही है बेटी को भी होने दो हर ज्ञान –
तब सच में पाएगा भारत विश्व गुरु का मान ..!!  
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“निर्णय-क्षमता” के विकास का, देना है अधिकार
स्वस्थ्य रहे सबल हो बेटी, पक्का हो आधार !
कल की माएं होंगी सक्षम, फिर करना अभिमान –
नए दौर में नए क्षितिज का करना है निर्माण !!
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गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

अपना बचपन न छिनने दो : बाबुषा कोहली



          “प्रेम गिलहरी : दिल अखरोट” की रचनाकार साहित्यकार श्रीमती बाबुषा कोहली टाक शो के अंतर्गत बालभवन के बच्चों चर्चा में कहा कि – आज के दौर का सबसे बड़ा  संकट बचपन छिनने का संकट है । अत्यधिक सूचनाओं के प्रवाह से बाल-मनोस्थितियां बेहद विचलित हुई है ।  आज समय से पहले बच्चों का बड़ा हो जाना एक मजबूरी है । साहित्य एक ठहराव की प्रेरणा देता है । ताकि मासूम बचपन भ्रम की स्थिति में न हो । हमारे दौर में हम बालसाहित्य से जुड़े होते थे । जो हमारे भाषाई विकास में सहायक साबित हुआ । पर अब चैट में प्रयुक्त हो रही  शब्दावली से न तो हिन्दी अँग्रेजी अथवा अन्य किसी भी भाषा को लाभ नहीं हुआ । तदाशय के विचार  श्रीमती बाबुषा कोहली ने बालभवन द्वारा आयोजित टाक शो में बच्चों द्वारा किए सवालों के जवाब में कही गई ।
               इस अवसर पर वर्षांत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में बाल-भवन के बच्चों ने दी । कार्यक्रम में  गिरीश बिल्लोरे संचालक बालभवन,  श्री सुनील कोहली श्री प्रहलाद पटेल विशेष रूप उपस्थित थे ।

                 कार्यक्रम में श्रीमती रेणु पांडे, सुश्री शिप्रा सुल्लेरे, श्री इंद्र पांडे, श्री देवेन्द्र यादव, श्री सोमनाथ सोनी, टी आर डेहरिया का विशेष योगदान रहा । कार्यक्रम का संचालन बाल साहित्यकार कुमारी सुनीता केवट एवं बाल संवाद लेखिका कुमारी सृष्टि गुप्ता ने किया ।     

मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

बालश्री विजेता


  20 अगस्त 1997 को जन्मे शुभम के पिता श्री जगदीश राज अहिरवार पेशे से सब्जी व्यापारी हैं . 2007 में  बाल भवन में बेटे को उसकी रूचि देखते हुए  संभागीय बाल भवन में प्रवेश दिलाया । रोज़ कमाने वाले जगदीश बच्चों के भविष्य को लेकर बेहद संवेदित हैं .
बच्चों को घरेलू आर्थिक परेशानियों से अप्रभावित रखने वाली शुभमराज माताजी श्रीमती कोमल का सपना है –“बच्चे के  सारे सपने पूरे हों.... !
          तीन भाईयों में शुभम सबसे बड़े बेटे शुभम जिसका रुझान बचपन से ही  चित्रकारी में है जबकि अन्य छोटे भाई खेल और पढ़ाई में रुचि रखते हैं ।
           
 शुभम का   चित्रकला के प्रशिक्षण का सपना बाल-भवन ने  पूरा किया । उसका मानना है हमें  खुद के विकास के  लिए  अच्छे अवसर एवं अच्छे स्थान की तलाश  करनी चाहिए मुझे बालभवन जबलपुर में आकर अपने सपने पूरा करने का मौका मिला  मैं रोमांचित हूँ । अपनी सफलता का श्रेय माता पिता एवं बालभवन को देते हुए शुभमराज ने कहा की- बाल-भवन  की अनुदेशिका श्रीमती रेणु पाण्डे के प्रभावी प्रशिक्षण एवं अनुशासन से ही  मुझे राष्ट्रीय स्तर के इस पुरस्कार प्राप्त हुआ है ।” 
बालभवन अनुदेशिका श्रीमती रेणु पाण्डे कहतीं हैं - बालभवन आने से कला के साथ साथ शुभम के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आएँ है । कला-साधना से जहां एक ओर  शैक्षिक उपलब्धियां श्रेष्ठ रहीं वहीं उसके संवाद-कौशल एवं व्यक्तित्व में भी निखार देखा गया । शुभमराज अहिरवार पंडित लज्जा शंकर झा उत्कृष्टता विद्यालय में 12 वीं कक्षा (गणित-विज्ञान) में अध्ययनरत हैं । इस उपलब्धि पर संभागीय उप संचालक  श्रीमती मनीषा लुम्बा, जो पूर्व में बालभवन की संचालक रह चुकीं हैं का मानना है कि- "कला को कोई अभाव रोक पाने में कभी भी सफल नहीं हो सकता " 
शुभमराज़ अहिरवार 2013 के बालश्री अलंकरण लिए  नामांकित हैं देवताल जबलपुर का सजीव चित्र जिसे  मास्टरपीस कहना गलत न होगा . इस चित्र का विश्लेषण किया मशहूर आर्टिस्ट  धुव गुप्ता जी ने ... मुझसे आज कर रहे थे वे.. शुभमराज देश का मशहूर चित्रकार बनेगा ... इसमें कोई दो राय नहीं .
शुभम राज के स्कूल के शिक्षक श्री शिवेन्द्र परिहार साइंस व्याख्याता  जो स्वयं एक अच्छे शिक्षक हैं ने शुभम की रियलिस्टिक पेंटिंग्स को अद्वितीय बताते हैं .
यूं तो शुभम कम बोलते हैं पर उनकी पेंटिंग्स मुक्तकंठ बोलती हैं ...  

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

लाड़ो-अभियान अंतर्गत रंगों-की-उड़ान प्रदर्शनी आमंत्रण


                   दिनांक 22 से 23 दिसंबर 15 तक आयोजित रंगों की उड़ान दो-दिवसीय कला-प्रदर्शनी का आयोजित है उपरोक्त कार्यक्रम में आप सपरिवार  सादर आमंत्रित हैं
कार्यक्रम
·       उदघाटन सत्र :- दिनांक 22 दिसंबर 2015 अपरान्ह 03:00 बजे से
·       सांस्कृतिक कार्यक्रम
·       लाड़ो-अभियान ब्रांड एम्बेस्ड़र ईशिता एवं जबलपुर  जिले की लाड़ो-अभियान ब्रांड एम्बेस्ड़र का  सम्मान एवं  पट्टिका अलंकरण   
·        प्रदर्शनी का अवलोकन   
·       समापन  सत्र :- दिनांक 23 दिसंबर 2015 प्रात:11 बजे से
·        प्रदर्शनी का अवलोकन
·       मार्शल-आर्ट दीक्षांत-प्रदर्शन
·       सम्मान, सराहना एवं पुरस्कार वितरण
·        समापन रात्रि 09:00 बजे    
       स्थान  :- रानी दुर्गावती संग्रहालय, भंवरताल जबलपुर 
गिरीश बिल्लोरे
संचालक  
(सहायक-संचालक स्तर)
सभागीय बाल-भवन जबलपुर

रविवार, 13 दिसंबर 2015

कम्प्यूटर साक्षरता दिवस 22 दिसंबर 2015 : नि:बंध प्रतियोगिता



                                 ~~ लाड़ो अभियान अंतर्गत ~~
1.    कम्प्यूटर साक्षरता दिवस 22 दिसंबर 2015
2.    प्रतियोगिता :- नि:बंध प्रतियोगिता
3.    भाषा          :-  हिन्दी अथवा  अंग्रेज़ी
4.    आयु सीमा   :-  प्रतियोगिता दो आयु वर्ग के लिए आयोजित होगी
·      10 वर्ष से 14  वर्ष
·      14 वर्ष से  16 वर्ष
·      16 वर्ष  से  21  वर्ष {केवल बालिकाओं के लिए, स्नातक स्तर  }
·      शब्द सीमा – कोई शब्द सीमा नहीं निबंध सारगर्भित हो  
5.    विषय :-   
·       10 वर्ष से 14  वर्ष
कम्प्यूटर का महत्व
·      14 वर्ष से  16 वर्ष
कम्प्यूटर का विकास
·      16 वर्ष  से  21  वर्ष {केवल बालिकाओं के लिए  }
डिजीटल इंडिया की चुनौतियाँ एवं सुझाव
शर्तें एवं नियम :- नि:बंध, किसी भी एक चयनित भाषा में लिख कर अपने दिनांक 18 दिसंबर 2015 तक सीधे बिंदु क्रमांक 06 पर अंकित पते पर भेजें अथवा नीचे दिए मेल आई डी पर स्कैन एवं सॉफ्ट कॉपी में मेल करें
मेल आई डी



6.     संपर्क स्थान:- संचालक संभागीय बाल-भवन, महिला बाल विकास विभाग ( महिला सशक्तिकरण  संचालनालय )  गढ़ाफाटक जबलपुर

शनिवार, 12 दिसंबर 2015

All India Radio Jabalpur 13 Dec. 2015


आकाशवाणी जबलपुर से बालभवन जबलपुर के बच्चों द्वारा लिखित एवं अभिनीत ध्वनि रूपक अवश्य सुनिए आज दिनांक 13 दिसंबर 2015 को दोपहर 12:00 बजे
आकाशवाणी जबलपुर के प्राथमिक चैनल पर प्रसारित इस कार्यक्रम को 
बालभवन जबलपुर के बच्चों द्वारा बनाया है 
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आलेख
सुनीता केवट एवं सृष्टि  गुप्ता ,
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बाल-कलाकार
आयुष, राम, नयन, सजल, हर्ष, आस्था, शिफाली, कल्याणी, आकर्ष, श्रेया खंडेलवाल पलक गुप्ता, हर्ष छेड़े, विश्वेश,

संगीत :- सुश्री शिप्रा एवं श्री सोमनाथ सोनीनी

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