बालश्री विजेता
20 अगस्त 1997 को जन्मे शुभम के पिता श्री जगदीश राज अहिरवार पेशे से सब्जी व्यापारी हैं
. 2007
में बाल भवन में
बेटे को उसकी रूचि देखते हुए संभागीय बाल भवन में प्रवेश दिलाया । रोज़ कमाने
वाले जगदीश बच्चों के भविष्य को लेकर बेहद संवेदित हैं .
बच्चों को घरेलू आर्थिक परेशानियों से अप्रभावित
रखने वाली शुभमराज माताजी श्रीमती कोमल का सपना है –“बच्चे के सारे सपने पूरे हों.... !”
तीन भाईयों में शुभम सबसे बड़े बेटे शुभम जिसका रुझान बचपन से ही चित्रकारी में है जबकि अन्य छोटे भाई खेल और पढ़ाई में रुचि रखते हैं ।
शुभम का चित्रकला के प्रशिक्षण का सपना बाल-भवन ने पूरा किया । उसका मानना है हमें खुद के विकास के लिए अच्छे अवसर एवं अच्छे स्थान की तलाश करनी चाहिए मुझे बालभवन जबलपुर में आकर अपने सपने पूरा करने का मौका मिला मैं रोमांचित हूँ । अपनी सफलता का श्रेय माता पिता एवं बालभवन को देते हुए शुभमराज ने कहा की- “बाल-भवन की अनुदेशिका श्रीमती रेणु पाण्डे के प्रभावी प्रशिक्षण एवं अनुशासन से ही मुझे राष्ट्रीय स्तर के इस पुरस्कार प्राप्त हुआ है ।”
बालभवन अनुदेशिका श्रीमती रेणु पाण्डे कहतीं हैं
- “ बालभवन
आने से कला के साथ साथ शुभम के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आएँ है । कला-साधना से
जहां एक ओर शैक्षिक उपलब्धियां श्रेष्ठ रहीं वहीं उसके
संवाद-कौशल एवं व्यक्तित्व में भी निखार देखा गया । शुभमराज अहिरवार पंडित लज्जा
शंकर झा उत्कृष्टता विद्यालय में 12 वीं कक्षा (गणित-विज्ञान) में अध्ययनरत हैं ।
इस उपलब्धि पर संभागीय उप संचालक श्रीमती मनीषा लुम्बा, जो पूर्व में बालभवन की संचालक रह चुकीं हैं का
मानना है कि- "कला को कोई अभाव रोक पाने में कभी भी सफल नहीं हो सकता "
शुभमराज़ अहिरवार 2013
के बालश्री अलंकरण लिए नामांकित हैं देवताल
जबलपुर का सजीव चित्र जिसे मास्टरपीस कहना गलत न होगा . इस चित्र
का विश्लेषण किया मशहूर आर्टिस्ट धुव गुप्ता जी ने ... मुझसे आज
कर रहे थे वे.. शुभमराज देश का मशहूर चित्रकार बनेगा ... इसमें कोई दो राय नहीं .
शुभम राज के स्कूल के शिक्षक श्री शिवेन्द्र
परिहार साइंस व्याख्याता जो स्वयं एक
अच्छे शिक्षक हैं ने शुभम की रियलिस्टिक पेंटिंग्स को अद्वितीय बताते हैं .
यूं तो शुभम कम बोलते हैं पर उनकी पेंटिंग्स
मुक्तकंठ बोलती हैं ...
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