“लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं..!!”
आंसुओं से ये
आँखें भिगोना नहीं
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
आंसुओं से ये
आँखें भिगोना नहीं
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
मेंहदी कंगन माथे
की बिंदिया तले
बेटियाँ अब कभी न इनसे दबें ,
बेटियाँ अब कभी न इनसे दबें ,
मेंहदी कंगन माथे
की बिंदिया तले
बेटियाँ अब कभी न इनसे दबें ,
निर्भया की कसम लाडो में हो ये दम
हो जो साहस तो थमेंगे सिलसिले ..!
बोझ हैं बेटियाँ ये गीत गाना नहीं..!
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
बेटियाँ अब कभी न इनसे दबें ,
निर्भया की कसम लाडो में हो ये दम
हो जो साहस तो थमेंगे सिलसिले ..!
बोझ हैं बेटियाँ ये गीत गाना नहीं..!
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
हो जहां पराजय
हो, हों गीत हार के
साजो सामां मिलें झूठे श्रृंगार के
पढ़ सको न किताबें, गीत लिख न सको
रिश्ते नातें बुनें हों व्यापार से
ऐसी राहों पे लाडो को जाना नहीं ...!
साजो सामां मिलें झूठे श्रृंगार के
पढ़ सको न किताबें, गीत लिख न सको
रिश्ते नातें बुनें हों व्यापार से
ऐसी राहों पे लाडो को जाना नहीं ...!
कुछ भी हो लाडो
पलकें झुकाना नहीं .
बेटा और बेटी की
एक ही है माँ
फिर बराबर नहीं क्यों दौनों यहाँ ..?
भाइयों से तुम हो कमतर कहाँ ..?
कोख पे अब निशाना लगाना नहीं ...!
कुछ भी हो माँ पलकें झुकाना नहीं !!
फिर बराबर नहीं क्यों दौनों यहाँ ..?
भाइयों से तुम हो कमतर कहाँ ..?
कोख पे अब निशाना लगाना नहीं ...!
कुछ भी हो माँ पलकें झुकाना नहीं !!
स्वागतम
लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
लाडली का जो हो घर कहीं आगमन...!
लाडली का जो हो घर कहीं आगमन...!
तो मानो आई है घर
लक्ष्मी धन ..!
अब सितारों के आगे जहां खोजते –
छोटी सी लाडो को बिहाना नहीं ..!!
आंसुओं से ये आँखें भिगाना नहीं !
अब सितारों के आगे जहां खोजते –
छोटी सी लाडो को बिहाना नहीं ..!!
आंसुओं से ये आँखें भिगाना नहीं !
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं
स्वागतम
लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
स्वागतम
लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
· गीतकार :- गिरीश
बिल्लोरे , सहायक-संचालक, संभागीय बाल-भवन जबलपुर
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