रविवार, 10 जनवरी 2016

अंतरजाल पर मकबूल हुआ गीत – “लाडो पलकें झुकाना नहीं ..!” ........

       
माननीय मंत्री महिला बाल विकास श्रीमती मायासिंह एवं जबलपुर के सांसद श्री राकेश सिंह  ने  8 जनवरी 2016 को जबलपुर में आयोजित प्रथम सबला-सम्मेलन के अवसर पर रिलीज़ हुआ “लाडो पलकें झुकाना नहीं ..!” गीत यूट्यूब 04 चैनल्स पर अपलोड हो चुका है . संचालनालय महिला सशक्तिकरण भोपाल की परिकल्पना को आकार देने के लिए प्रयास किये विभाग के दो सहायक-संचालकों क्रमश: गीतकार  गिरीश बिल्लोरे, एवं गायक श्री सत्शुभ्र मिश्र
ने . यूं तो यह गीत- महिला सशक्तिकरण की योजनाओं के प्रमोशन को लेकर तैयार हुआ पर गीत को सुनकर ऐसा प्रतीत होता है कि गीत विशुद्ध रूप से सामाजिक-मुद्दों को उकेरता है. जारी होने के दूसरे दिन तक वीडियो को यूट्यूब पर अपलोड हुआ है. जबलपुर के सांसद श्री राकेश सिंह कलेक्टर एस एन रूपला ने इसे
  अनूठा प्रयोग बताया तो विभाग की अपर-संचालक श्रीमती राजपाल कौर दीक्षित ने कहा-“गीत मुझे भावुक कर दिया है ”.  आयुक्त महिला सशक्तिकरण श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने गीत के निर्माण में लगी टीम की सराहना की है .

 जबलपुर के एक अखबार ने गीत के बोल को समारोह की रिपोर्ट की हैडलाइन बना दिया. महिला सशक्तिकरण संचालनालय की परिकल्पना को प्रस्तुत किया है  संभागीय बाल-भवन जबलपुर ने . एलबम के शब्दकार हैं  गिरीश बिल्लोरे “मुकुल” गायक- सत्शुभ्र मिश्र , एवं पूर्वी फडनीस  एवं प्रसिद्ध रंगकर्मी श्री  के जी त्रिवेदी के निर्देशन में  बालभवन भोपाल के कलाकारों ने गीत के वीडियो में अभिनय किया है.  


गुरुवार, 7 जनवरी 2016

सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कृतसंकल्पित है - महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह

महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री श्रीमति माया सिंह ने कहा है कि मध्य प्रदेश शासन महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कृत संकल्पित है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पहल कर महिलाओं के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक की व्यवस्था के लिए एक अलग से महिला सशक्तिकरण विभाग भी गठित कर दिया गया है। इसके अन्तर्गत प्रदेश में 12 हजार 900 स्व-सहायता समूहों के गठन के साथ इनकी बीएलसी और महासंघ गठित कर संचालित गतिविधियों से महिलाएँ सशक्त होती जा रहीं है। इन समूहों के माध्यम से वे अपनी गतिविधियॉ संचालित कर समाज के बीच अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं। श्रीमती सिंह आज मण्डला जिले के ग्राम चिरईडोगरी (रेल्वे) में तेजस्विनी मॉ रेवा नर्मदा महिला संघ एवं महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहीं थी। इस अवसर पर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष श्री शैलेष मिश्रा, जनपद पंचायत मण्डला की अध्यक्ष श्रीमती पांचो बाई पदम, नैनपुर कृषि उपज मण्डी के अध्यक्ष श्री प्रकाश कटारे, जनपद सदस्य श्री चन्द्रशेखर, महिला बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री कंसोटिया, महिला सशक्तिकरण विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव सहित अन्य अधिकारीगण, स्व-सहायता समूहों की सदस्य, शौर्या दल सदस्य एवं ग्रामीण उपस्थित थे।
   श्रीमती माया सिंह ने कहा कि महिला बाल विकास विभाग एक संवेदनशील विभाग है, जो महिलाओं एवं बच्चों के लिए सेवाएँ दे रहा है। प्रत्येक जिले में गठित शौर्या दल की सदस्य पूरी सजगता के साथ महिलाओं को उनके अधिकार और सामाजिक प्रतिष्ठा दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन शौर्या दल की गतिविधियों को देखते हुए केन्द्र सरकार पूरे देश में मातृ एवं शिशु सुरक्षा दल गठित करने के संबंध में विचार कर रहा है। इस अवसर पर महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती सिंह ने अपना स्वयं का बाल विवाह रोकने वाली बालिका सहदा खान सहित समूह के सदस्य एवं शौर्या दल के सदस्यों को सम्मानित किया। संघ की सदस्यों ने संघ गठन के बाद संचालित गतिविधियों को पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से अतिथियों के बीच में प्रदर्शित किया। 
   कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए महिला बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री कंसोटिया ने कहा कि गठित संघ महिलाओं में जागरूकता पैदा कर उन्हें आत्म निर्भर बनाने और उनके सशक्तिकरण में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। महिलाओं को इन संघों से जुड़कर अपने आपको आत्म निर्भर बनाना चाहिए।

बुधवार, 6 जनवरी 2016

“लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं..!!”

                      
आंसुओं से ये आँखें भिगोना नहीं
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
आंसुओं से ये आँखें भिगोना नहीं
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
मेंहदी कंगन माथे की बिंदिया तले
बेटियाँ अब कभी न इनसे दबें ,
मेंहदी कंगन माथे की बिंदिया तले
बेटियाँ अब कभी न इनसे दबें ,
निर्भया की कसम लाडो में हो ये दम
हो जो साहस तो थमेंगे  सिलसिले ..!
बोझ हैं बेटियाँ ये गीत गाना नहीं..!
लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं .
हो जहां पराजय हो,  हों  गीत हार के
साजो सामां मिलें झूठे  श्रृंगार  के
पढ़ सको न किताबें, गीत लिख न सको
रिश्ते नातें बुनें हों व्यापार से
ऐसी राहों पे लाडो को जाना नहीं ...!
कुछ भी हो लाडो पलकें झुकाना नहीं .
बेटा और बेटी की एक ही है  माँ
फिर बराबर नहीं क्यों दौनों  यहाँ ..?
भाइयों से तुम हो कमतर कहाँ ..?
कोख पे अब निशाना लगाना नहीं ...!
कुछ भी हो माँ पलकें झुकाना नहीं !!
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
लाडली का जो हो घर कहीं आगमन...!
तो मानो आई है घर लक्ष्मी धन ..!
अब सितारों के आगे जहां खोजते
छोटी सी  लाडो को बिहाना नहीं ..!!
         
आंसुओं से ये आँखें भिगाना नहीं !
           लाडो कुछ भी हो पलकें झुकाना नहीं
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
स्वागतम लक्ष्मी.. स्वागतम स्वागतम लाडो स्वागतम
·       गीतकार  :- गिरीश बिल्लोरे , सहायक-संचालक, संभागीय बाल-भवन जबलपुर



शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

हर बिटिया को देना होगा, जीवन का हर ज्ञान !


“सबला-गीत”
दृढ़ निश्चय करके हमने,  किया आज ऐलान
हर बिटिया को देना होगा, जीवन का हर ज्ञान !
जिस घर आँगन विदुषी बिटिया वो घर ही धनवान
जिस घर की बेटी हो सबला वो घर ही बलवान !!
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माँ सोई तो अभिमन्यु ने विजय द्वार न पाया
जागी मात जसोदा ने, तिरलोक का दर्शन पाया !
अर्थ यही है बेटी को भी होने दो हर ज्ञान –
तब सच में पाएगा भारत विश्व गुरु का मान ..!!  
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“निर्णय-क्षमता” के विकास का, देना है अधिकार
स्वस्थ्य रहे सबल हो बेटी, पक्का हो आधार !
कल की माएं होंगी सक्षम, फिर करना अभिमान –
नए दौर में नए क्षितिज का करना है निर्माण !!
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गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

अपना बचपन न छिनने दो : बाबुषा कोहली



          “प्रेम गिलहरी : दिल अखरोट” की रचनाकार साहित्यकार श्रीमती बाबुषा कोहली टाक शो के अंतर्गत बालभवन के बच्चों चर्चा में कहा कि – आज के दौर का सबसे बड़ा  संकट बचपन छिनने का संकट है । अत्यधिक सूचनाओं के प्रवाह से बाल-मनोस्थितियां बेहद विचलित हुई है ।  आज समय से पहले बच्चों का बड़ा हो जाना एक मजबूरी है । साहित्य एक ठहराव की प्रेरणा देता है । ताकि मासूम बचपन भ्रम की स्थिति में न हो । हमारे दौर में हम बालसाहित्य से जुड़े होते थे । जो हमारे भाषाई विकास में सहायक साबित हुआ । पर अब चैट में प्रयुक्त हो रही  शब्दावली से न तो हिन्दी अँग्रेजी अथवा अन्य किसी भी भाषा को लाभ नहीं हुआ । तदाशय के विचार  श्रीमती बाबुषा कोहली ने बालभवन द्वारा आयोजित टाक शो में बच्चों द्वारा किए सवालों के जवाब में कही गई ।
               इस अवसर पर वर्षांत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में बाल-भवन के बच्चों ने दी । कार्यक्रम में  गिरीश बिल्लोरे संचालक बालभवन,  श्री सुनील कोहली श्री प्रहलाद पटेल विशेष रूप उपस्थित थे ।

                 कार्यक्रम में श्रीमती रेणु पांडे, सुश्री शिप्रा सुल्लेरे, श्री इंद्र पांडे, श्री देवेन्द्र यादव, श्री सोमनाथ सोनी, टी आर डेहरिया का विशेष योगदान रहा । कार्यक्रम का संचालन बाल साहित्यकार कुमारी सुनीता केवट एवं बाल संवाद लेखिका कुमारी सृष्टि गुप्ता ने किया ।     

मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

बालश्री विजेता


  20 अगस्त 1997 को जन्मे शुभम के पिता श्री जगदीश राज अहिरवार पेशे से सब्जी व्यापारी हैं . 2007 में  बाल भवन में बेटे को उसकी रूचि देखते हुए  संभागीय बाल भवन में प्रवेश दिलाया । रोज़ कमाने वाले जगदीश बच्चों के भविष्य को लेकर बेहद संवेदित हैं .
बच्चों को घरेलू आर्थिक परेशानियों से अप्रभावित रखने वाली शुभमराज माताजी श्रीमती कोमल का सपना है –“बच्चे के  सारे सपने पूरे हों.... !
          तीन भाईयों में शुभम सबसे बड़े बेटे शुभम जिसका रुझान बचपन से ही  चित्रकारी में है जबकि अन्य छोटे भाई खेल और पढ़ाई में रुचि रखते हैं ।
           
 शुभम का   चित्रकला के प्रशिक्षण का सपना बाल-भवन ने  पूरा किया । उसका मानना है हमें  खुद के विकास के  लिए  अच्छे अवसर एवं अच्छे स्थान की तलाश  करनी चाहिए मुझे बालभवन जबलपुर में आकर अपने सपने पूरा करने का मौका मिला  मैं रोमांचित हूँ । अपनी सफलता का श्रेय माता पिता एवं बालभवन को देते हुए शुभमराज ने कहा की- बाल-भवन  की अनुदेशिका श्रीमती रेणु पाण्डे के प्रभावी प्रशिक्षण एवं अनुशासन से ही  मुझे राष्ट्रीय स्तर के इस पुरस्कार प्राप्त हुआ है ।” 
बालभवन अनुदेशिका श्रीमती रेणु पाण्डे कहतीं हैं - बालभवन आने से कला के साथ साथ शुभम के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आएँ है । कला-साधना से जहां एक ओर  शैक्षिक उपलब्धियां श्रेष्ठ रहीं वहीं उसके संवाद-कौशल एवं व्यक्तित्व में भी निखार देखा गया । शुभमराज अहिरवार पंडित लज्जा शंकर झा उत्कृष्टता विद्यालय में 12 वीं कक्षा (गणित-विज्ञान) में अध्ययनरत हैं । इस उपलब्धि पर संभागीय उप संचालक  श्रीमती मनीषा लुम्बा, जो पूर्व में बालभवन की संचालक रह चुकीं हैं का मानना है कि- "कला को कोई अभाव रोक पाने में कभी भी सफल नहीं हो सकता " 
शुभमराज़ अहिरवार 2013 के बालश्री अलंकरण लिए  नामांकित हैं देवताल जबलपुर का सजीव चित्र जिसे  मास्टरपीस कहना गलत न होगा . इस चित्र का विश्लेषण किया मशहूर आर्टिस्ट  धुव गुप्ता जी ने ... मुझसे आज कर रहे थे वे.. शुभमराज देश का मशहूर चित्रकार बनेगा ... इसमें कोई दो राय नहीं .
शुभम राज के स्कूल के शिक्षक श्री शिवेन्द्र परिहार साइंस व्याख्याता  जो स्वयं एक अच्छे शिक्षक हैं ने शुभम की रियलिस्टिक पेंटिंग्स को अद्वितीय बताते हैं .
यूं तो शुभम कम बोलते हैं पर उनकी पेंटिंग्स मुक्तकंठ बोलती हैं ...  

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

लाड़ो-अभियान अंतर्गत रंगों-की-उड़ान प्रदर्शनी आमंत्रण


                   दिनांक 22 से 23 दिसंबर 15 तक आयोजित रंगों की उड़ान दो-दिवसीय कला-प्रदर्शनी का आयोजित है उपरोक्त कार्यक्रम में आप सपरिवार  सादर आमंत्रित हैं
कार्यक्रम
·       उदघाटन सत्र :- दिनांक 22 दिसंबर 2015 अपरान्ह 03:00 बजे से
·       सांस्कृतिक कार्यक्रम
·       लाड़ो-अभियान ब्रांड एम्बेस्ड़र ईशिता एवं जबलपुर  जिले की लाड़ो-अभियान ब्रांड एम्बेस्ड़र का  सम्मान एवं  पट्टिका अलंकरण   
·        प्रदर्शनी का अवलोकन   
·       समापन  सत्र :- दिनांक 23 दिसंबर 2015 प्रात:11 बजे से
·        प्रदर्शनी का अवलोकन
·       मार्शल-आर्ट दीक्षांत-प्रदर्शन
·       सम्मान, सराहना एवं पुरस्कार वितरण
·        समापन रात्रि 09:00 बजे    
       स्थान  :- रानी दुर्गावती संग्रहालय, भंवरताल जबलपुर 
गिरीश बिल्लोरे
संचालक  
(सहायक-संचालक स्तर)
सभागीय बाल-भवन जबलपुर

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