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फ़रवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बालभवन जबलपुर

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बालभवन जबलपुर 2007 से संचालित है । बालभवन एक स्लम बस्तियो    से घिरे होने के कारण बस्तियों से बच्चों को लाना कठिन था    किन्तु तत्कालीन अधिकारियों एवं स्टाफ की सतत कोशिशों का असर हुआ । आज जबलपुर बालभवन बच्चों के लिए प्रमुख कला साधना केंद्र बन गया है । निरंतर गतिविधियों की वज़ह से इस वर्ष   हमने 855 बच्चों का पंजीकरण   किया । बदलता स्वरुप :- मध्य प्रदेश के बालभवनों को अब हम संसाधन केन्द्रों के रूप में आगे ले जाना चाहते है। इस क्रम में   01 जबलपुर में हमने स्थानीय एवं लोक भाषा के विकास एवं उसका अनुप्रयोग कर प्रदर्शनकारी एवं सृजनात्मक कलाओं शामिल किया । 02 शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों जैसे राष्ट्रीय स्तर से सम्मानित बाल विवाह रोकने जारी अभियान लाडो-अभियान सबला कुपोषण मुक्ति हेतु आंगनवाडी कार्यक्रम के लिए दृश्य एवं श्रव्य सामग्री का निर्माण दो एलबम क्रमश: लाडो मेरी लाडो एवं लाडो पलकें झुकाना नहीं के साथ साथ विभिन्न मुद्दों पर नाटक एवं नुक्कड़ नाटक वेश किये । 03 बालभवन निराश्रित बच्चों दिव्यांगों एवं बालिकाओं    के लिए अधिक सजग है । हमार...

खिलती कलियाँ : श्रीमती लावण्या दीपक शाह

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सत्यम-शिवम-सुंदरम गीत के रचनाकार पंडित नरेंद्र शर्मा की पुत्री श्रीमती लावण्या दीपक शाह  ने मेल के जरिये बालभवन के लिए भेजी ये रचना इस वर्ष ग्रीष्मकालीन नाट्य शिविर का प्रथम प्रकल्प (प्रोजेक्ट) होगा  ॐ   नमस्ते गिरीश भाई   यह आपकी बच्चों की पत्रिका के लिए भेज रही हूँ।   मिल जाने पर सूचित कीजियेगा।   आशा है आप परिवार सहित मज़े में हैं।   - लावण्या   खिलती कलियाँ :   ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ यवनिका उठते गीत संगीत से शुभारम्भ :   बच्चों के   समवेत स्वर :  " हम फूल हैं , हम फूल हैं ,      हम फूल हैं इस बाग़ के - ( ३ )         आओ....सब आओ , सब मिल कर गाओ ,        इस जीवन में कुछ बन कर , इस देश का मान   बढाओ             आओ , आओ आओ आओ ....               है देश हमारा प्यारा , इसे खुशहाल बनाओ                 कुछ हैं पिछड़े , कुछ ...