बाल नाट्य शिविर : व्यक्तित्व विकास का असाधारण टूल
बाल नाट्य शिविर : व्यक्तित्व विकास का असाधारण टूल
GIRISH BILLORE “MUKUL”
आप हजारों रुपये फीस देकर व्यक्तित्व विकास के कुछ एक बिंदु उपलब्धी स्वरुप हासिल कर सकते हैं पर रंगकर्म के ज़रिये जितना ज़ल्द और सटीक लाभ मिलताहै उतना अनुमान हमने कभी न लगाया था था . इसके कई उदाहरण हैं हमारे पास . यह निष्कर्ष तीन साल के प्रयोग के बाद लिख रहा हूँ
नाट्यलोक जबलपुर Natya Lok Sanstha में लगभग 20 सालों से सक्रीय रंगकर्मियों का समूह है. जो बालभवन जबलपुर के साथ वर्ष 2014 से सतत सक्रीय है. पर ऐसा नहीं कि वे हमारे साथ मेरे पदभार ग्रहण करने पर ही सक्रीय हुए बल्कि उनका सहयोग 2007 से ही बालभवन के बच्चों के लिए रहा है. उस दौर के बच्चों में Akshay Thakur, Shalini Ahirwar Tarun Thakur, Anshul Sahu सहित न जाने कितने बच्चे अब प्रोफेशनल आर्टिस्ट की सूची में शुमार हो गए हैं. नाट्यलोक संस्था के अलावा VIVECHNA RANGMANDAL, Arun Pandey जी, भाई संतोष राजपूत, सहित शहर के नामचीन रंगकर्मियों ने बालभवन के साथ बहुत काम किया. लेकिन 2014 के बाद Sanjay Gargजी से मेरा समझौता हुआ . समझौता क्या मेरा एक प्रस्ताव था संजय गर्ग जी के सामने कि आप बच्चों को थियेटर की शिक्षा दीजिये . एक समर्पित एवं संवेदित निर्देशक ने मेरी बात को बिना असमर्थता का रोना रोए सहमती तपाक से दे दी . फिर क्या था प्रशिक्षण का सिलसिला 2015 के आते आते शुरू हो गया. इस बीच अरुण पाण्डेय जी के दुर्गा नाटक में बालिकाओं का चयन प्रशिक्षण भी प्रारम्भ ही था. तब तक 2017 में मिला तेज़ से तेज़, बॉबी, लौट आओ गौरैया जैसे नाटकों का निर्माण पूर्ण हो चुका था. और सभी तैयार नाटकों के 5 से अधिक शो भी आयोजित हो चुके थे इस बीच दुर्गा में बाल कलाकारों ने अपनी आमद भी दर्ज करा दी थी. इतना ही नहीं कुमारी Shreya Khandelwal को एक रियलिस्टिक फिल्म में काम मिला
इन सभी बाल कलाकारों के बालभवन में प्रवेश से अब तक के विकास क्रम पर निगाह फेरी तो पता चला कि इनका व्यक्तित्व आत्मविश्वासी, एवं मज़जूत होता जा रहा है. नवम्बर 2017 से बालभवन की पूर्व छात्रा मनीषा तिवारी ने जो फेसबुक पर Mani Tiwari के नाम से मौजूद है ने बच्चों को नाट्य प्रशिक्षण देना आरम्भ किया. अप्रैल 2018 में बच्चों के परिक्षा से लौटते ही पूरे उत्साह से नाट्य कक्षा नियमित रूप से प्रारम्भ हो गई . सम-विसम सहयोग-विरोध मान-अपमान के बीच हमने काम जारी रखा . तथा बालभवन के बाद प्रशिक्षण श्री जानकी रमण महाविद्यालय में सुचारू रूप से जारी रहा. और तैयार हुए दो नाटक एक पोलीथीन के प्रयोग को रोकने का सन्देश देने वाला नाटक गणपति बप्पा मोरया {लेखक निर्देशक : संजय गर्ग } एवं पोट्रेट (लेखक मैं यानि गिरीश निर्देशक श्री संजय गर्ग ) उक्त नाटकों का निर्माण मध्य-प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के वित्त पोषण से हो सका.
सुधीजनों .... इन नाटकों के बाल कलाकारों ने 45 से 46.5 डिग्री तापमान की परवाह किये बिना जिस जज़्बे के साथ नाटकों को समझा और खुद को पात्र में रचाया बसाया वो उनके मुखर प्रखर होने का प्रमाण है.
इन सभी नाटकों में लाइव म्यूजिकल इफैक्ट लाने में DrShipra Sullere की टीम ने जो काम किया उसे देख कर मेरा मन अत्यधिक भावुक है. संभव होता तो दुनियाँ की सारी संपत्ति ऐसी प्रतिभाओं न्यौछावर कर देता. पर जो बन सका मैंने किया.
शेष सचाई ये है कि बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के लिए रंगकर्म से बड़ा टूल कोई नहीं . दरी फट्टे से लेकर मंचन तक Davinder Singh Grover भाई, तैलंग जी, Indra Kumar Pandey Ravindra Murhar #विनय_शर्मा सहित समूचे नाट्य लोक परिवार का योगदान अविस्मर्णीय रहा है. मेरे मित्र प्राचार्य श्री जानकीरमन महा विद्यालय श्री अभिजात कृष्ण को भूलना ना मुमकिन है
दौनों नाटकों ने दौनो दिन आसानी से हजार के आसपास दर्शक जुटा ही लिए है. अतिथि के रूप में श्री कपिल देव मिश्र कुलपति जी rdvv तो मुझे देखते बालभवन को नाटकों को नाट्यलोक को यकबयक याद कर लेते हैं
अस्तु मैं श्रद्धानत हूँ इन सबका . उनका भी आभारी हूँ जो इस संकल्प को रोकने दर दर भटक आए . और हमें इस बात का ज्ञान करा दिया कि- दुनियाँ ईश्वरीय सत्ता के अधीन थी है और रहेगी
ॐ श्री रामकृष्ण हरि:
आपका स्नेही
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
Mukul Gkb
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन आपातकाल की याद में ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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