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बालभवन जबलपुर - महत्वपूर्ण सूचनाएं

विश्वविद्यालयीन प्रवेश के लिए अंतिम तिथि 31 अगस्त 2017 को समाप्त  ::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: क्रमांक /   622 / 2017                                             जबलपुर 28 अप्रैल 17                 // महत्वपूर्ण सूचनाएं // 1.   प्रवेश हेतु आयु :- बालकों के लिए –     5 से 16 वर्ष बालिकाओं के लिए – 5 से 18 वर्ष 2.   पंजीयन शुल्क मात्र रूपए  60 =00 वार्षिक जिसका भुगतान   प्रवेश हेतु निर्धारित आवेदन प्रारूप रूपए  10 =00 तथा शेष रूपए 50=00 फ़ार्म जमा करने पर देय होगा . जिसकी रसीद अंतिम भुगतान पर प्राप्त होगी 3.   पंजीयन उपरांत   आई-कार्ड प्राप्ति के बाद ही प्रशिक्षण हेतु कक्षाओं में प्रवेश मिलेगा. फ़ार्म जमा  करन...

Balbhavan With Nai Duniya

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बाल भवन के नन्हें कलाकारों का गौरैया के प्रति समर्पण देकर सभी भावविभोर हो गए। अभिनय के दौरान बच्चों के हावभाव ने छात्र-छात्राओं का दिल जीत लिया। इसके बाद सभी ने एक सुर में गौरैया को वापस लाने का संकल्प लिया। अवसर था विस्डम पब्लिक स्कूल और शासकीय मानकुंवर बाई कॉलेज में नईदुनिया द्वारा आयोजित नुक्कड़ नाटक का। नाटक के दौरान नन्हें कलाकारों ने गौरैया को वापस लाने की अपील की। इस दौरान उन्होंने गौरैया की उपयोगिता पर भी प्रकाश डाला। नाटक में पेड़ दादा और बैल चाचा का दर्द भी बताया गया। बच्चों ने बताया कि विलुप्त होती गौरैया अब केवल वाट्सअप और फेसबुक पर ही नजर आती है। उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि गौरैया को वापस लाने के लिए सभी से आंगन और छत पर दाना-पानी रखने कहा। नाटक में कहा गया कि घरों में लगी जालियों के कारण गौरैया अपने पास नहीं आती। इनका रहा सहयोग - निर्देशन- संजय गर्ग - गीत रचना- गिरीश बिल्लौरे - संगीत- शिप्रा सुल्लेरे - बाल भवन के उप संचालक गिरीश बिल्लौरे के निर्देशन में बाल भवन के कलाकारों ने नाटक तैयार किया। नन्हें कलाकार- वैशाली बरसैंया, आस्था अग्रहरि, वैष्णवी...

बालभवन जबलपुर : क्लासेस अब प्रात: 7:00 बजे से

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“दो माह में दो नाटक तैयार करेगा बालभवन ”

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संभागीय बालभवन जबलपुर द्वारा बाबा भीम राव अम्बेडकर जयंती दिनांक  14  अप्रैल  2016  से बालनाट्य एवं अभिनय कार्यशाला प्रारम्भ की गई . कार्यशाला का संचालन श्री संजय गर्ग  द्वारा किया जा रहा है. इस कार्यशाला में 2 बालनाटक तैयार किये जावेंगे. प्रथम नाटक पोट्रेटस है जिसका मुख्य पात्र नकारात्मक विचारों वाला एक कलाकार है . जो अपने मित्रों के मुखौटे एवं चित्र बनाता है पर उनको  को किसी न किसी नकारात्मक हिंसक चरित्र या पशु के रूप में बनाता है. अंत में एक यक्ष उन सभी को उसी रूप में सजीव कर देता है जिस रूप में कलाकार उसे देखता है. और अंत में सभी पात्र कलाकार के पास आते हैं जिनसे भयभीत होकर भागता है और बचने के लिए स्थान तलाशता है. इस नाटक के  लेखक गिरीश बिल्लोरे हैं . संगीत रचना शिप्रा सुल्लेरे तथा कोरियोग्राफी सुश्री प्रभुता चौबे करेंगीं.            निर्देशक श्री संजय गर्ग ने बताया – “बाल-रंगकर्म के लिए बालभवन की भूमिका उल्लेखनीय है. संस्थान ने रानी अवंतिबाई के जीवन पर आधारित नाटक के अलावा विगत वर्ष बॉबी ना...
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नई दुनिया जबलपुर के साथ  Balbhavan Jabalpur  ने *लौट आओ गौरैया* गीतनाटिका के ज़रिए गौरैया बचाओ अभियान में भागीदारी तय की है । दिनांक 13 अप्रैल 17  से प्रारंभ इस कार्यक्रम का प्रदर्शन सात दिनों तक कई स्कूलों में होगा । निरंतर ७ दिन तक अथक परिश्रम के बाद यह गीतनाटिका तैयार हुई है.  फुदक चिरैया उड़ गई भैया माँ कहती थी आ गौरैया कनकी चांवल खा गौरैया उड़ गई भैया उड़ गई भैया ..!! पंखे से टकराई थी तो काकी चुनका लाई थी ! दादी ने रुई के फाहे से जल बूंदे टपकाई थी !! होश में आई जब गौरैया उड़ गई भैया उड़ गई भैया ..!! गेंहू चावल ज्वार बाजरा पापड़- वापड़, अमकरियाँ , पलक झपकते चौंच में चुग्गा भर लेतीं थीं जो चिड़ियाँ !! चिकचिक हल्ला करतीं - आँगन आँगन गौरैया ...!! जंगला साफ़ करो न साजन चिड़िया का घर बना वहां ..! जो तोड़ोगे घर इनका तुम भटकेंगी ये कहाँ कहाँ ? अंडे सेने दो इनको तुम – अपनी प्यारी गौरैया ...!! हर जंगले में जाली लग गई आँगन से चुग्गा भी गुम...! बच्चे सब परदेश निकल गए- घर में शेष रहे हम तुम ....!! न तो घर में रौनक बाक़ी, न आंगन में गौरैया ...!!