शनिवार, 15 नवंबर 2014

वरिष्ट कलाकार श्री राजेंद्र कामले किलकारी में

 दशावतार पेंटिंग में खो गये मुख्य अतिथि श्री  राजेंद्र कामले जी .. ऐनक  के पीछे वाली आंखें स्थिर थीं.. अवाक भी हुए कुछ पल फ़िर बोले बच्चे कभी अमौलिक नहीं होते  वे असली होते हैं और उनके रंग भी....... वाह क्या बात है !! 

बाल दिवस बच्चों का दिन मस्ती मज़ा और एक दूसरे से भोलेपन से मिलने वाला दिन पूरे एक हफ़्ते की गई मेहनत के रिज़ल्ट वाला दिन ठीक दो बज़े शहीद स्मारक भवन में आ गए हमारे प्रथम सत्र यानी प्रदर्शनी एवम मूर्ति के अनावरणकर्ता  मुख्यअतिथि श्री राजेंद्र कामले जी. गैलरी में सजी चित्र प्रदर्शनी का प्रवेशद्वार फ़ीता काटकर खोला     
दशावतार पेंटिंग में खो गये मुख्य अतिथि श्री  राजेंद्र कामले जी .. चस्मे के पीछे वाली आंखें स्थिर थीं.. अवाक भी हुए कुछ पल फ़िर बोले बच्चे कभी अमौलिक नहीं होते  वे असली होते हैं और उनके रंग भी....... वाह क्या बात है !! 

 चाहा नेहरू की प्रतिमा का अनावरण किया 
कैप्शन जोड़ें
 महान पुरुषों की चर्चा करते हुए नेहरूजी की प्रतिमा में अच्कन पर चस्पा लाल ग़ुलाब को अपलक निहारते बोले- "वाह, बच्चे ही किसी भी रंग के सटीक अनुप्रयोग को पूरी दृढ़ता से उपयोग में लाने  का सामर्थ्य रखते हैं "


 मुख्यअतिथि श्री कामले ने स्वच्छतारत  गांधी जी के  चित्र पर हस्ताक्षर करके "स्वच्छभारत" आंदोलन के प्रति समर्थ व्यक्त किया.  

बच्चों द्वारा रानी दुर्गावति संग्रहालय में  जाकर प्रतिमाओं का हूबहू चित्रांकन किया गया जिससे प्रभावित होकर  श्री कामले ने बालकलाकार को  प्रतिभा सम्पन्न कलाकार बनने की भविष्यवाणी की. उन्हौने कहा -"कमर्शियल आर्ट के दौर में पोट्रेट , लाइव एवम स्पोट पेंटिंग को नेपथ्य में लाया गया है पर बच्चों ने आज भी मौलिकता को बरकरार रखा है मुझे आज़ विश्वास हो चला है.  "  


टाक-शो में खूब पूछा बच्चों ने 
               
 प्रदर्शनी के उदघाटन अवलोकन के बाद मुख्य अतिथि श्री राजेंद्र कामले जी को  टाक-शो के लिये कु. लक्षिता शुक्ला , कल्याणी नेमा एवं मास्टर स्वमेव सूर्यवंशी ने मंचासीन कराया और बौछार कर दी सवालों की. 
आप ने सिर्फ़ पेंटिंग क्यों सीखी...? 


आप पेंटिंग कब करते हैं....?
आप किससे प्रभावित हैं....?
आपको, आपके मम्मी-पापा ने पेंटिंग के लिये डांट डपट तो नहीं की..?
    जैसे ही श्री कामले ने कहा नहीं... कभी नहीं तो .. अक्षिता झट बोल पड़ी- मेरी मम्मी को समझा दीजिये..  
_________________________________________________________________


दिनांक  बाल दिवस 14. नवम्बर 2014 को जबलपुर के  शहीद स्मारक भवन परिसर में “चित्रकला एवं  कला प्रदर्शनी”  का आयोजन मुख्य अतिथि श्री राजेन्द्र कामले की उपस्थिति में किया गया . जिसे में प्रशिक्षणरत बच्चों  कु. लक्षिता शुक्ला कल्याणी नेमा एवं मास्टर स्वमेव सूर्यवंशी ने संचालित किया . प्रवेश द्वार पर ही बच्चों ने  गुलदस्ता भैंट कर  मुख्य अतिथि श्री कामले का स्वागत किया गया .
 मुख्यअतिथि श्री कामले ने स्वच्छतारत  गांधी जी के  चित्र पर हस्ताक्षर करके "स्वच्छ भारत आंदोलन" के प्रति समर्थन व्यक्त किया
अतिथि द्वारा बाल-भवन के प्रशिक्षणार्थी  द्वारा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. जवाहरलाल नेहरू की मूर्ति को अनावृत किया.  नेहरूजी की प्रतिमा में अचकन पर उकेरे लाल ग़ुलाब को अपलक देखते हुए अतिथि ने कहा कि -"वाह, ऐसा प्रयोग मुझे कभी देखने नही मिला अक्सर बस्ट में केवल आधार कलर का ही प्रयोग होता है. पर इस प्रतिमा में लगा ग़ुलाब अनूठा प्रयोग है.  बच्चे ही किसी भी अनुप्रयोग को पूरी दृढ़ता से करने एवं उस पर ध्यान आकृष्ट कराने का सामर्थ्य रख सकते हैं "
कु. लक्षिता शुक्ला, कल्याणी नेमा
एवं मास्टर स्वमेव सूर्यवंशी 
प्रदर्शनी का अवलोकन पूरे धैर्य से करते हुए श्री राजेंद्र कामले ने प्रत्येक पेंटिग पर अपनी टिप्पणी दी. तथा बाल कलाकारों को शाबासी देते हुए अनुदेशिका श्रीमति रेणु पांडे की भूरि-भूरि प्रशंसा की. प्रदर्शनी में 2007 से 2014 तक बच्चों द्वारा बनाए परंपरागत, लोकभित्ति चित्रांकन, लोकेशन पेंटिंग, प्राकृतिक चित्रांकन को शामिल किया गया था  

जबलपुर नगर के प्रतिष्ठित कलाकार श्री राजेंद्र कामले ने समारोह से विदा लेते समय सहायक संचालक से  अपनी आत्मीयता दर्शाते हुए कहा मैं स्वयं बालभवन आकर बच्चों के साथ सीखूंगा भी सिखाऊंगा भी ....  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thanking you For Visit

Featured Post

पुरस्कार पाकर लाड़ली-लक्ष्मियों के खिले चेहरे

संभागीय बाल भवन जबलपुर में लाडली लक्ष्मी सप्ताह अंतर्गत आयोजित विभिन्न गतिविधियों लाडली लक्ष्मी हितग्राही बालिकाओं द्वारा बढ़ चढ...