निर्भया दिवस :- दिनांक 16.12 .2014 से बालिकाओं के लिए भारतीय मार्शल आर्ट kalaripayattu कलरीपयटट कार्यशाला
राज्य केरल से व्युत्पन्न भारत की एक युद्ध कला है। संभवतः सबसे पुरानी अस्तित्ववान
युद्ध पद्धतियों में से एक, ये केरल में और तमिलनाडु व कर्नाटक से सटे भागों में साथ ही पूर्वोत्तर श्रीलंका और मलेशिया के मलयाली समुदाय के बीच प्रचलित है। इसका अभ्यास मुख्य रूप से केरल की
योद्धा जातियों जैसे नायर,
एझावा द्वारा, किया जाता था

कलारी पयट के कुछ युद्ध अभ्यासों को
नृत्य में उपयोग किया जा सकता है और वो कथकली नर्तक जो युद्ध कला को जानते थे, वे स्पष्ट रूप से
अन्य दूसरे कलाकारों की तुलना में बेहतर थे । कुछ पारंपरिक भारतीय नृत्य स्कूल अभी भी कलारी पयट को अपने व्यायाम नियम के हिस्से के रूप में
शामिल करते हैं
कलरई एवं पयाट्टू शब्द, दो
शब्दों की तत्पुरुष संधि है, पहला कलरई (मलयालम:കളരി)जिसका अर्थ विद्यालय या व्यायामशाला है, तथा दूसरा पयाट्टू जिसे पयाट्टूका से लिया गया है एवं जिसका अर्थ
युद्ध/व्यायाम या "कड़ी मेहनत करना" है। अंग्रेजी में kalaripayattu लिखा जाता है ।
कलरईपयट्के विस्तार के लिए बाकायदा संस्थागत कोशिशें जारी हैं जिसे इस वेबसाइट www.kalaripayattu.org पर देखा जा सकता है ।
इस मार्शल आर्ट में गति-दिशा- एवं सटीक अनुमान से अचानक हमले से बचा जा सकता है । महिलाओं के लिए तो वर्तमान संदर्भों में यह बेहद आवश्यक आत्मरक्षा-विधा के रूप में आवश्यक प्रतीत होता है । निर्भया की स्मृति में बालभवन जबलपुर द्वारा "कलरीपयटट" पर एक कार्यशाला आयोजित कर 40 बालिकाओं को प्रशिक्षित करने का प्रारम्भिक लक्ष्य रखा है ।
- कलरईपयट् प्रशिक्षणार्थी समूह :- 10 से 18 वर्ष आयु वर्ग की बालिकाएं
- अवधि :- दिनांक 16.12 .2014 से 31.12 .2014
- स्थान :- बालभवन परिसर
- प्रशिक्षक :- श्री अमित सुदर्शन एवं कुमारी राशि गौतम
- प्रशिक्षणोपरांत - बालिकाओं के निर्भया ब्रिगेड गठित किए जाने के प्रयास होंगे....
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