बालभवन जबलपुर पंद्रह दिवसीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला
बच्चों में रचनात्मक विधाओं के विकास के साथ साथ उनके व्यक्तित्व में निखार लाने के उद्देश्य से संभागीय बालभवन
जबलपुर द्वारा “पंद्रह दिवसीय व्यक्तित्व विकास
कार्यशाला ” आयोजन दिनाँक
25.11.14 से 10.12. 2014 तक किया गया । जिसमें 45 बच्चों
ने भाग लिया, जिसमें
नेत्रहीन बालिकाएँ का शामिल होना एक उल्लेखनीय बिन्दु रहा ।
कार्यशाला की विषय विशेषज्ञ सुश्री नीतू पाँडे, एम.एस-सी., एम सी ए , कराते ( ब्लैक-बैल्ट )
कार्यशाला एक्सपर्ट सुश्री नीतू पाँडे ने कार्यशाला में शामिल बच्चों को उनके व्यक्तित्व
विकास के लिए एक विशेष प्रविधि एवं तकनीकी का सहारा लिया जिसमें “करके दिखाओ : सिखाओ” . कार्यशाला, संप्रेषणीयता बातचीत, साक्षात्कार, संवाद, टेबल-मैनर्स ,
व्यक्तिगत दैनिक समय सारणी आदि मुद्दों पर विशेषरूप से केन्द्रित रही ।
“संपादक दैनिक नवभारत ने लिया कार्यशाला का जायजा”
दिनाँक 26.11.14 को बालभवन पहुँचे वरिष्ठ पत्रकार एवम नवभारत जबलपुर के सँपादक श्री चैतन्य भट्ट ने व्यक्तित्व विकास कार्यशाला में पहुँचकर प्रशिक्षणरत बच्चों से बातचीत की तथा व्यक्तित्व विकास को बच्चों के सम्पूर्ण विकास का ज़रूरी हिस्सा मानते हुए कहा कि- “शैक्षिकोत्तर गतिविधियों को रुचिकर एवम आवश्यकता के अनूकूल बनाके बालभवन जबलपुर ने उत्कृष्ट प्रयोग किया है. बहुधा अनेक प्रतिभाएँ केवल इस कारण पीछे रह जातीं हैं क्यों कि उनका एपीरिएन्स प्रभावशाली नहीं होता अथवा वे आगे चलकर प्रभावशाली संप्रेषणीयता असफल रह जाते हैं . सम्पूर्ण रूप से विकसित व्यक्तित्व किसी भी परिस्थिति मेँ प्रखर एवम मुखर होता है. सँभागीय बालभवन जबलपुर इस हेतु बधाई का पात्र है.”
“बच्चों
ने परिसंवाद के लिए स्वयमेव चुना विषय ”
दिनांक 08. 12. 2014 को संचालक की उपस्थिति में बच्चों द्वारा स्वयं चुने गए विषय
पर “ईश्वर एवं आस्था” विषय पर रोचक परिसंवाद का आयोजन हुआ । परिसंवाद में संचालक
द्वारा हस्तक्षेप कराते हुए “मानवीय सभ्यताओं
विकास में ईश्वर के प्रति आस्था को सर्वोपरि बताते हुए विश्व की धार्मिक
आस्थाओं एवं मान्यताओं का सरल शब्दों में विश्लेषण कर बच्चों को प्रेरक प्रसंगों
का उदाहरण देकर बताया कि किस प्रकार मानवसेवा, ही सच्ची ईश्वरीय भक्ति है ”
“टॉक- शो में पहुंचे होशंगाबाद के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ”
कार्यशाला
के समापन दिवस के एक दिन पूर्व दिनांक 9. 12. 2014 को होशंगाबाद के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री
शशांक गर्ग सपरिवार पहुँचें । जो
कार्यशाला के फीडबैक जानने के उद्देश्य से आयोजित “टॉक-शो” के लिए विशेष रूप से
आमंत्रित थे ।
टॉक-शो विषयाधारित न होकर
मुक्त रखा गया था ताकि इस तथ्य की पतासाजी की जा सके कि बच्चों की अतिथि से क्या अपेक्षाएँ हो सकतीं हैं एवं
बच्चे किसी पद विशेष पर आसीन अतिथि से क्या सवाल करेगें ? उम्मीद के अनुरूप अधिकतर बच्चों ने “पुलिस” की जवाबदेही पर अधिकाधिक सवाल
किए, किन्तु हाईस्कूल के बच्चों नें “पुलिस विभाग में करिअर
को लेकर सवाल किए । नीति अग्रवाल, कल्याणी नेमा, मनीषा तिवारी , स्वयमेव गजेंद्र डहरिया , आयुष राठौर , विशेष शर्मा, श्रेया ठाकुर, तान्या बड़कुल समृद्धि असाठी आदि ने विभिन्न मुद्दों पर सवाल किए गए ।
जबकि एक बालिका ने श्रीमती गर्ग से अचानक सवाल किया कि –“अपने पति की पुलिस अधिकारी के रूप में अत्यधिक जवाबदेही के चलते उनको क्या मुश्किलें होतीं है ?”
जबकि एक बालिका ने श्रीमती गर्ग से अचानक सवाल किया कि –“अपने पति की पुलिस अधिकारी के रूप में अत्यधिक जवाबदेही के चलते उनको क्या मुश्किलें होतीं है ?”
श्रीमती
गर्ग ने महिलाओं में आत्मनिर्भरता एवं प्रबंधन क्षमता के महत्व को रेखांकित करते
हुए बताया कि –“ हमें स्वयम के सशक्तिकरण
के लिए स्वम ही कोशिश करते रहना चाहिए । शिक्षण एवं प्रशिक्षण केवल नौकरी के लिए
ही नहीं वरन सफल जीवन प्रबंधन के लिए भी
आवश्यक हैं ।
यातायात एवं कानून व्यवस्था में पुलिस
की जवाबदारी को लेकर भी बच्चों ने सवाल किए गए । नीति अग्रवाल ने बालिकाओं की
सुरक्षा एवं पुलिस की भूमिका सवाल उठाया ।
बच्चों की हर जिज्ञासा को महत्वपूर्ण
मानते हुए बेहद सहज एवं रोचक तरीके बच्चों
को प्रतिउत्तर देकर श्री शशांक गर्ग जी ने उनकी जिज्ञासा शांत की । यातायात के
प्रश्न पर यातायात नियमों के पालन, को महत्वपूर्ण बताया तो बच्चों को सजग नागरिक के दायित्व के निर्वहन के
तरीके भी सुझाए । पुलिस के प्रति नकारात्मक सोच को बदलने का आग्रह करते हुए अपराधों
को अनदेखा न करने की शिक्षा दी और कहा कि- “ कई ऐसे घटना क्रम हैं जिनसे यह साबित
हुआ है कि अपराधी के हौसले उसकी अनदेखी की वजह से होते हैं ।”
बालिकाओं को सलाह दी कि वे किसी पर भी
सहज विश्वास न करें । हमेशा 1090 याद रखें । यथा संभव भयभीत न रहें बल्कि सदैव चौकस रहें ।
श्री गर्ग ने आई पी एस ,
राज्य पुलिस सेवा,
अथवा किसी भी सेवा में जाने के लिए नियत लक्ष्य को पाने दैनंदिन परिश्रम, को सर्वोपरि
बताया ।
सुश्री शिप्रा सुल्लेरे द्वारा संगीतबद्ध सरस्वती वंदना टॉक-शो के प्रारम्भ प्रस्तुत की गई में मास्टर अब्दुल , मास्टर विशेष शर्मा . मास्टर आयुष . ने सरस्वती वंदना
प्रस्तुत की । जिसमें हारमोनियम पर कु. मनीषा
तिवारी, तबले पर श्री सोमनाथ सोनी का सहयोग रहा । तदुपरान्त
अतिथियों का स्वागत कु .अपूर्वा तथा कु . अनन्या बालिकाओं ने किया ।
बाल-भवन की चित्रकार कुमारी तान्या बड़कुल ने गर्ग दंपति
को पेंटिंग भेंट की । कार्यक्रम का संचालन व्योम ने किया ।
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