“शारदे माँ शारदे मन को नवल विश्वास दे के अनुगायन के साथ बालभवन में सरस्वतिपूजन संपन्न"


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दिव्य चिंतन नीर अविरल गति विनोदित देह की !
छब तुम्हारी शारदे मां सहज सरिता नेह की !!
घुप अंधेरों में फ़ंसा मन ज्ञान दीपक बार दे …!!
शारदे मां शारदे मन को धवल विस्तार दे
मां तुम्हारा चरण-चिंतन, हम तो साधक हैं अकिंचन-
डोर थामो मन हैं चंचल, मोहता क्यों हमको कंचन ?
ओर चारों अश्रु-क्रंदन, सोच को विस्तार दे…!!
शारदे मां शारदे मन को धवल विस्तार दे !!
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