फुदक चिरैया
फुदक चिरैया उड़ गई भैया
माँ कहती थी आ गौरैया
कनकी चांवल खा गौरैया
उड़ गई भैया उड़ गई भैया ..!!
उड़ गई भैया उड़ गई भैया ..!!
पंखे से टकराई थी तो
काकी चुनका लाई थी !
काकी चुनका लाई थी !
दादी ने रुई के फाहे से
जल बूंदे टपकाई थी !!
होश में आई जब गौरैया उड़ गई भैया उड़ गई भैया ..!!
गेंहू चावल ज्वार बाजरा
पापड़- वापड़, अमकरियाँ ,
पलक झपकते चौंच में चुग्गा
भर लेतीं थीं जो चिड़ियाँ !!
चिकचिक हल्ला करतीं - आँगन आँगन
गौरैया ...!!
जंगला साफ़ करो न साजन
चिड़िया का घर बना वहां ..!
जो तोड़ोगे घर इनका तुम
भटकेंगी ये कहाँ कहाँ ?
अंडे सेने दो इनको तुम – अपनी प्यारी गौरैया
...!!
हर जंगले में जाली लग गई
आँगन से चुग्गा भी गुम...!
बच्चे सब परदेश निकस गए-
घर में शेष रहे हम तुम ....!!
न तो घर में रौनक बाक़ी, न आंगन में गौरैया ...!!
मैं .... पानी हूँ पानी हूँ पानी हूँ
Girish Billore “Mukul”
girishbillore@gmail.com
तपता हूँ
पिघलता भी हूँ ....
बह के तुम तक आना मुझे
अच्छा लगता है ...
बूंदों की शक्ल में
कल बरसूँगा ...... चकवे का गला
सूख जो गया है ....
टिहटिहाती
टिटहरी
की तड़प
सुनी
है न तुमने ...
सबके
लिए आउंगा
बादल
से रिमझिम रिमझिम से टपटप
बूँद
बूँद समा जाउंगा तुममें ...
धरा
में .... नदियों में ...
कंदराओं
में ..... तुम
मेरी
कीमत न लगा सकते हो ..
न किसी
को चुका सकते हो ...
मैं
....... अनमोल हूँ
मैं
.......बहुमोल हूँ
मैं ....
पानी हूँ पानी हूँ पानी हूँ
तुम सब प्यासे हो .....प्यासे हो ......प्यासे हो
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