ओडिसी नृत्यांगना पद्मश्री माधवी मुदगल की बालभवन में बाल साधकों से की मुलाक़ात


        संभागीय बालभवन जबलपुर एवं स्पिक-मैके जबलपुर चैप्टर द्वारा आज बाल भवन के बच्चों से वरिष्ठ ओडिसी नृत्यांगना श्रीमती माधवी मुदगल  {नई दिल्ली } की एक मुलाक़ात कराई गई . श्रीमती मुदगल वर्ष 1990 में भारत सरकार के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित हो चुकीं है. 4 अक्टूबर 1951 में जन्मीं माधवी जी यद्यपि ओडिसी नृत्यांगना हैं परन्तु वे भरतनाट्यम , कत्थक पर भी समान अधिकार रखतीं हैं . 66 वर्ष की आयु में भी ओडिसी तथा अन्य शास्त्रीय नृत्य की प्रशिक्षण वर्तमान में भी देने वाली श्रीमती माधवी ने बाल साधकों को भारत के अन्य शास्त्रीय नृत्यों के  अंतर को सरल शब्दों में बताया . कार्यक्रम के शुभारम्भ में छोटी बालिकाओं  भक्ति, शर्मिष्ठा एवं श्रद्धा दासगुप्ता नें अतिथि कलाकारों का स्वागत किया. तदुपरांत श्रीमती माधवी द्वारा अपनी सह-नृत्यांगना शलाखा राय के साथ भगवान जगन्नाथ लीला की प्रस्तुति दी प्रस्तुति में गायन मणि कुंतला भौमिक सहयोग किया जबकि सितार पर यार मोहम्मद एवं पखावज पर जितेन्द्र स्वाइं का वादन प्रभावकारी रहा . देर शाम तक चली चर्चा में बच्चों को ज्ञात कराया गया कि – अन्य शास्त्रीय नृत्यों की तरह कथा एवं ताल नृत्य के  मूल घटक हैं . फर्क केवल यह है कि ओडिसी नृत्य त्रिभंग अर्थात शरीर के तीन हिस्सों से प्रस्तुत किया जाता है.
कार्यक्रम के आयोजन में श्री परिवेश चौधरी ,  डा शिप्रा सुल्लेरे एवं श्रीमती मीना सोनी का उल्लेखनीय योगदान रहा.





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