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बालभवन जबलपुर में व्यक्तित्व सम्प्रेषण क्षमता के विकास एवं मोटिवेशन शिविर से बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं

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बच्चों के सम्पूर्ण विकास की कल्पना उसके व्यक्तित्व के विकास के बिना संभव कदापि नहीं बच्चों को आत्मसाहस का बीजारोपण करने वाले हज़ारों उदाहरण आज भी दुनिया में प्रेरक प्रसंगों में मौजूद हैं जो बच्चों में आत्मसाहस एवं विश्वास का बीजारोपण करने में सहायक साबित होंगे . तदाशय के विचार श्री पाठक जिला परियोजना समन्वयक जबलपुर ने बालभवन जबलपुर में आयोजित व्यक्तित्व विकास , विचार सम्प्रेषण एवं करियर मार्गदर्शन शिविर के उदघाटन सत्र में व्यक्त किये . कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्रीमती मनीषा लुम्बा संभागीय उप संचालक , महिला सशक्तिकरण ने कहा कि –“बच्चों को अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए अब अवसर के दरवाज़े  खुले हुए हैं, इस क्रम में  बालभवन जबलपुर की टीम ने मौजूदा  संसाधनों से जिस तरह  अधिकतम प्रयास एवं प्रयोग किये जा रहे हैं उससे बच्चों को लाभ मिल रहा है . जो सराहनीय है ”  इस अवसर पर " लाडो-मेरी- लाडो " आडियो एलबम की संगीत निर्देशिका सुश्री शिप्रा सुल्लेरे के प्रेरक व्यक्तित्व की सराहना करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमती लुम्बा ने   सुश्री सुल्लेरे को पुष्प-ग...

Lado-Abhiyan लाडो-अभियान पर केन्द्रत कार्टून्स

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मध्य-प्रदेश महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा बालविवाह की रोकथाम के लिए 2013 से लाडो-अभियान का  संचालं किया जा रहा है . इस हेतु जबलपुर के  वरिष्ठ कार्टूनिष्ट श्री राजेश कुमार दुबे से बाल-भवन जबलपुर द्वारा  बेहद प्रभावी कार्टून्स प्रचार सामग्री के रूप में  विकसित कराए गए हैं जिनमें से एक कार्टून का प्रयोग प्रदेश स्तर पर जारी विज्ञापन में भी किया गया है .  

मध्यप्रदेश का लाड़ो अभियान : बालविवाह रोकने उठाया सटीक कदम

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मध्यप्रदेश शासन के महिला सशक्तिकरण विभाग ने 2013 से    लाडो अभियान चलाकर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम   2006   को प्रभावी बनाने जो कदम उठाए उससे इस दिशा में अभियान के द्वितीय चरण अर्थात   लाडो अभियान   2015   के प्रभावी असर दिखाई डे रहे हैं . लाडो-अभियान एक मिशन मोड में चलाया जाने वाला कार्यक्रम है . इस कार्यक्रम की प्रणेता महिला सशक्तिकरण संचालनालय की आयुक्त  श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव का स्वप्न है  कि महिलाओं एवं बच्चों सशक्तिकरण के लिए सर्वांगीण पहल होनी चाहिए . आम जनता को यह महसूस हो कि  सामाजिक बदलाव लाने के लिए   सरकार के साथ साथ आम नागरिक की ज़िम्मेदारी भी है . इस हेतु योजनाएं अथवा कार्यक्रमों का जनजन तक पहुँचना आवश्यक होता है .. इसी क्रम में  महिला सशक्तिकरण संचालनालय की आयुक्त  श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव  की सोच लीक से हटकर नज़र आ रही है . उनकी सोच से  स्वागतम लक्ष्मी ,   लाडो-अभियान   ,   शौर्यादल  जैसे  कार्यक्रम  समाज के सामने आए हैं जो महिलाओं एवं बच्चों के समग्र कल्याण ...

ग्रीष्मकालीन शिविर के लिए पंजीयन शुरू हुआ

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प्रदर्शनकारी व सृजनात्मक कलाओं में दक्ष बनेंगे बच्चे ग्रीष्मकालीन शिविर के लिए पंजीयन शुरू हुआ जबलपुर 23 मार्च 2015             अपने बच्चे को प्रदर्शनकारी व सृजनात्मक कलाओं में दक्ष बनाने तथा उसमें खेल - कूद एवं विज्ञान के प्रति दृष्टिकोण का विकास सुनिश्चित करने के इच्छुक अभिभावक संभागीय बाल भवन में सम्पर्क कर सकते हैं। बाल भवन केसरवानी कालेज के आगे , छोटी मस्जिद के सामने स्थित है और यहां प्रात : 10.30 बजे से शाम 5 बजे तक सम्पर्क किया जा सकता है। बाल भवन में 5 + से 16 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों ( बालिकाओं के लिए आयु सीमा 18 वर्ष ) को प्रशिक्षण दिया जाता है।           संचालक बाल भवन श्री गिरीश बिल्लोरे ने बताया कि बाल भवन जबलपुर द्वारा प्रदर्शनकारी एवं सृजनात्मक कलाओं तथा खेल - कूद आदि के लिए ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों हेतु पंजीयन आरंभ कर दिए गए हैं। अपने बच्चों को इन प्रशिक्षणों का लाभ दिलाने के इच्छुक अभिभावक बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र , द...

बाल-भवन जबलपुर एक बहुद्देशीय केंद्र

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  बच्चों में प्रदर्शनकारी रूपंकर एवं ललित कलाओं के विकास   , विज्ञान के प्रति दृष्टिकोण एवं खेल के लिए बच्चों की अभिरुचि के विकास के लिए संभागीय बाल-भवन एक बहुद्देशीय केंद्र के रूप में वर्ष 2007 से गढ़ा फाटक , मुख्यमार्ग केशरवानी महाविद्यालय के आगे संचालित है । उद्देश्य : - इन प्रशिक्षणों का उद्देश्य यह   है   बच्चों में विषय का ज्ञान , नया नजरिया एवं प्रभावशाली अभिव्यक्ति सम्पुष्ट हो सके   ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके। उक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु बालभवन जबलपुर में बच्चो के लिए निम्नानुसार प्रशिक्षणसत्र   5+ से 16 वर्ष तक के बच्चों के लिए चलाए जाते हैं 1. पूर्णकालिक प्रशिक्षण 2. अल्पकालिक प्रशिक्षण 1. पूर्णकालिक प्रशिक्षण : बालभवन जबलपुर   में नियमित रूप से बच्चों को छ: तरह के पूर्णकालिक प्रशिक्षण दिये जाते हैं , जो प्रत्येक दिन दो-दो घंटे के तीन सत्रों में चलता है। बच्चे अपनी इच्छानुसार किसी भी विधा में किसी भी समय आकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। संबंधित क्षेत्र के योग्य एवं अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा यह प्रशिक्षण द...