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12 वीं के विद्यार्थी ने लिखा बालभवन गान

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शिवा नामदेव की रचना को सराहना मिल रही है बालभवन-गान रच कर शिवा सुर्ख़ियों में आ गए . 12 का विद्यार्थी शिवा साधारण मध्य-वर्ग का बेटा है ... सपनीला सा नज़र आने वाला शिवा अदभुत प्रतिभा  का धनी  है . मुझे डायरेक्टर जवाहर बालभवन आदरणीया  श्रीमती तृप्ति मिश्रा मैडम जब कहा बालभवन गान आपको लिखना है है मेरे लिए बहुत गर्व का अवसर था .. कुछेक  पंक्तियाँ रचीं भी पर फिर मैंने उनसे कहा- "दर्द का कवि हूँ .. किसी बच्चे की तरह बन जाऊं तब गीत पूरा हो शायद " बालसुलभ मस्तीभरा गीत लिखना हँसीखेल नहीं था सो वापस बालभवन आकर ऐलान किया सब बच्चे गीत लिखने की कोशिश करें . मुझे गुलज़ार यानी शुभम जैन पर भरोसा था . शुभम वही जिसने लाडो-मेरी लाडो   ( Lado Meri Lado  )गीत भर गर्मी में पिता जी की डपट से बचने  कम्बल ओढ़ सेलफोन की लाईट में लिखा पर व्यस्तता के कारण वो न लिख पाए . एक दिन अचानक शिवा एक गीत लेकर कमरे में आए . गीत में कुछ सुधार के साथ भेज दिया भोपाल और देखिये कितना मस्ती भरा गीत बन गया है . सतशुभ्र मिश्र जी की आवाज़ में ...  हर बालभवन में बजेगा आप इसे यूट्यूब पर सुनिए ... आशीर्वाद दीजिये इस यशस्वी बालक

बालश्री सम्मान में हुए नए बदलाव National Balshri Honour Revised

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लीची के गुच्छे लाया है !! श्री रूपचन्द्र शास्त्री मयंक, उत्तराखंड

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हरी ,  लाल और पीली-पीली ! लीची होती बहुत रसीली !! गायब बाजारों से केले । सजे हुए लीची के ठेले ।। आम और लीची का उदगम । मनभावन दोनों का संगम ।। लीची के गुच्छे हैं सुन्दर   । मीठा रस लीची के अन्दर ।। गुच्छा प्राची के मन भाया ! उसने उसको झट कब्जाया !! लीची को पकड़ा ,  दिखलाया ! भइया को उसने ललचाया   !! प्रांजल के भी मन में आया ! सोचा इसको जाए खाया !! गरमी का मौसम आया है ! लीची के गुच्छे लाया है   !! दोनों ने गुच्छे लहराए   ! लीची के गुच्छे मन भाए   !! श्री रूपचन्द्र शास्त्री मयंक, उत्तराखंड  

“बालभवन ने छेडी नुक्कड नाटको के ज़रिये जनजागृति की मुहिम”

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आयुक्त श्रीमति जयश्री कियावत महिला सशक्तिकरण संचालनालय के निर्देशानुसार प्रदेश भर  में  लाडो अभियान  अंतर्गत वातावरण निर्माण हेतु प्रचारात्मक –कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं . जिसमे बालविवाह के दुष्परिणाम , बालविवाह रोकथाम की जानकारी , विभिन्न माध्यमों से से दी जा रही हैं सम्भागीय बालभवन जबलपुर द्वारा 7 से 9 मई 2016 तक मज़दूर बाहुल्य क्षेत्रो में नुक्कड नाटको का प्रदर्शन किया जा रहा है  . इस क्रम में समदाढ़िया माल सिविक सेंटर ,  लेबर चौक पेट्रोल पम्प , एवम गढा बजरिया ,   तिलक भूमि तलैया ,  एवम रद्दि चौकी ,  में नुक्कड प्ले  में प्रस्तुत किये गए . नुक्कड नाटक में बाल विवाह रोकने  टोल फ्री नम्बर का ऐलान संवादो में किया जा रहा था . साथ ही यह बात भी रोचक तरीके  से बताई जा रही है कि – बालविवाह एक सामजिक ऐसी कुरीती है जिससे आने वाली पीढी बेहद कमज़ोर एवम समाज के लिये बोझ के रूप में जन्म ले सकती है . निर्देशक  रंग अभियान के संचालक सयोजक   श्री रवींद्र मुर्हार के निर्देशन में अक्षय ठाकुर , मनीषा तिवारी , शुभम जैन शालिनी अहिरवार , अंशुल साहू , बाल कलाकार क्रमश: श्रेया खंडेलवाल (बालश्

लाडो अभियान के समर्थन में आए बाल एवं किशोर कलाकार

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“अभी ब्याह की क्या है जल्दी पढलिख जाने दो ” सम्भागीय बालभवन जबलपुर द्वारा 7 से 9 मई 2016 तक मज़दूर बाहुल्य क्षेत्रो में नुक्कड नाटकों का प्रदर्शन किया जावेगा . इस क्रम में सात मई 2016 को नुक्कड नाटक  का प्रदर्शन  सिविक सेंटर स्थित शापिंग माल के सामने किया गया . तीन दिवसीय नुक्कड  नाटकों  की इस श्रृंखला में प्रस्तुत सभी  नाटकों  का निर्देशन रंग अभियान के संचालक सयोजक   श्री रवींद्र मुर्हार  द्वारा किया जा रहा है . आज प्रदर्शित नाटक  में पूर्व छात्र अक्षय ठाकुर , मनीषा तिवारी , शुभम जैन शालिनी अहिरवार , अंशुल साहू , बालकलाकार क्रमश: श्रेया खंडेलवाल (बालश्री नामिनी ) , पलक गुप्ता ,    समृद्धि असाटी , सागर सोनी , इसिका प्रसाद , वैशाली  बरसैंया     , वैष्णवी    बरसैंया   ने अभिनय किया है .       दिनांक 8 मई को लेबर चौक पेट्रोल पम्प , एवम गढा बजरिया , दिनांक 9  मई को तिलक भूमि तलैया , एवम रद्दि चौकी , में उपरोक्त प्रदर्शन किये जावेंगे . इस कार्यक्रम में हैल्प बाय हेल्प युवा संगठन  का सहयोग उल्लेखनीय रहा .   गिरीश बिल्लोरे , संचालक सम्भागीय- बालभवन ,  इंद्र पांडेय ,

मैं .... पानी हूँ पानी हूँ पानी हूँ & फुदक चिरैया

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फुदक चिरैया फुदक चिरैया उड़ गई भैया माँ कहती थी आ गौरैया कनकी चांवल खा गौरैया              उड़ गई भैया     उड़ गई भैया ..!! पंखे से टकराई थी तो            काकी चुनका लाई थी  ! दादी ने रुई के फाहे से जल बूंदे टपकाई थी !! होश में आई जब गौरैया उड़ गई भैया     उड़ गई भैया ..!! गेंहू चावल ज्वार बाजरा पापड़- वापड़ , अमकरियाँ , पलक झपकते चौंच में चुग्गा भर लेतीं थीं जो चिड़ियाँ !! चिकचिक हल्ला करतीं  - आँगन आँगन गौरैया ...!! जंगला साफ़ करो न साजन चिड़िया का घर बना वहां ..! जो तोड़ोगे घर इनका तुम भटकेंगी ये कहाँ कहाँ ? अंडे सेने दो इनको तुम – अपनी प्यारी गौरैया ...!! हर जंगले में जाली लग गई आँगन से चुग्गा  भी  गुम...! बच्चे सब परदेश निकस गए- घर में शेष रहे हम तुम ....!! न तो घर में रौनक बाक़ी , न आंगन में गौरैया ...!! मैं .... पानी हूँ पानी हूँ पानी हूँ Girish Billore “Mukul” girishbillore@gmail.com तपता हूँ   पिघलता भी हूँ .... बह के तुम तक आना मुझे   अच्छा लगता है ...  

अपूर्वा ने उड़ाई कार नेत्र दिव्यांग कवयत्री माया को मिली सराहना

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 (राष्ट्रीय बालश्री चयन शिविर में जबलपुर के बच्चे छाए) राष्ट्रीय बालश्री चयन शिविर में बालभवन जबलपुर की बाल विज्ञानी  अपूर्वा को उड़ने वाली कार बनाने का प्रयोग मिला । देश के विभन्न भागों से आये बच्चों एवं अपूर्वा को कार बनाने सामग्री दी गई जिसमें से उपयोगी सामग्री चुनना था । अपूर्वा ने सामग्री का चुनाव करते समय उड़ने वाली कार बनाने के लिए एक गुब्बारा भी लिया । कार बनाई और उस पर गुब्बारा फुला कर बांधा । फिर गुब्बारे का वह हिस्सा भी छोड़ दिया जिससे हवा धीरे धीरे नीचे से निकली और गुब्बारे के साथ कार ऊपर उठी ।          अपूर्वा सौर ऊर्जा को उपग्रह में एकत्र कर  तरंगों से पृथ्वी पर लाकर बिजली उत्पादन की सलाह भी दे चुकी हैं . स्मरण हो कि इस वर्ष जबलपुर बालभवन से 09 बच्चे राष्ट्रीय शिविर के लिए चयनित हुए हैं   1.     कु.     मनु कौशल   , तबला 2.     श्रेया खंडेलवाल ,   अभिनय 3.     प्रवीन उद्दे             गायन   ,   विशेष श्रेणी नेत्र दिव्यांग 4.     आकाश कोहली     पेंटिंग   ,   विशेष श्रेणी, [बालग्रह] 5.     सृष्टि गुप्ता             संवाद-लेखन , 6.     अभय सौंधिया       म